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सोसायटी में खेल रही थी 4 महीने की बच्ची पर पालतू कुत्ते ने नोंच-नोंचकर ले ली जान

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गुजरात के अहमदाबाद शहर से एक बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। शहर के हाथीजन इलाके में एक पालतू रोटवीलर कुत्ते ने 4 महीने की एक मासूम बच्ची पर हमला कर उसे बुरी तरह नोंच-नोंच कर मार डाला। यही नहीं, बच्ची को बचाने आई उसकी मौसी भी कुत्ते का शिकार बन गईं और बाद में इलाज के दौरान उन्होंने भी दम तोड़ दिया। यह घटना राधे रेजिडेंसी में हुई और इसका सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई है।

कैसे हुआ हादसा?

हादसा उस समय हुआ जब एक युवती अपने पालतू रोटवीलर कुत्ते को लेकर कॉल पर बात करते हुए बाहर निकली थी। बताया जा रहा है कि बातचीत के दौरान युवती का ध्यान बंट गया और तभी कुत्ता अचानक उसके हाथ से छूट गया। कुछ ही पलों में रोटवीलर बेकाबू हो गया और वहां खेल रही 4 महीने की मासूम बच्ची पर झपट पड़ा। बच्ची की चीख-पुकार सुनकर उसकी मौसी दौड़ी और मासूम को बचाने की भरसक कोशिश की, लेकिन खतरनाक कुत्ता अब उस पर भी टूट पड़ा। गंभीर रूप से घायल हुई महिला को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों की कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।

परिवार में मातम, इलाके में दहशत

यह भयानक हादसा महज कुछ मिनटों में दो जिंदगियां लील गया। बच्ची की मौत ने जहां पूरे परिवार को शोक में डुबो दिया, वहीं मौसी की मौत ने इस त्रासदी को और भी गहरा बना दिया है। घटना के बाद राधे रेजिडेंसी सहित पूरे हाथीजन इलाके में भय और आक्रोश का माहौल है।

पुलिस और नगर निगम की तत्परता

हादसे के बाद पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज करते हुए कुत्ते की मालकिन के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का केस दर्ज कर लिया है। अहमदाबाद नगर निगम की सीएनसीडी टीम ने भी त्वरित कार्रवाई करते हुए खूंखार रोटवीलर को पकड़कर पिंजरे में बंद कर दिया है। इस घटना के बाद नगर निगम की ओर से पालतू जानवरों की निगरानी को लेकर सख्ती बरतने के संकेत मिले हैं।

खतरनाक नस्लों के कुत्तों से सावधानी जरूरी

जानकारों के मुताबिक रोटवीलर, पिटबुल, डोबर्मन और जर्मन शेफर्ड जैसी नस्लें बेहद आक्रामक मानी जाती हैं। ये कुत्ते विशेष ट्रेनिंग के बिना समाज के लिए खतरनाक हो सकते हैं। पशु चिकित्सक और पशु व्यवहार विशेषज्ञ मानते हैं कि इन नस्लों के कुत्तों को पालने से पहले मालिकों को जरूरी प्रशिक्षण लेना चाहिए।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि ऐसे कुत्तों का स्वभाव नियमित तौर पर जांचना चाहिए। यदि कुत्ता अचानक उग्र व्यवहार दिखाने लगे तो तुरंत किसी पशु चिकित्सक या व्यवहार विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। पहली बार कुत्ता पालने वाले लोगों को इन आक्रामक नस्लों से दूर रहना चाहिए।

समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी

यह घटना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि पालतू जानवर पालना सिर्फ शौक नहीं, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी भी है। कुत्ते को बाहर ले जाते समय मुँह पर मज़बूत मज़ल और मजबूत बेल्ट होना अनिवार्य होना चाहिए। ऐसे हादसे प्रशासन की ओर से भी यह मांग खड़ी करते हैं कि खतरनाक नस्लों के पालतू कुत्तों के लिए लाइसेंसिंग और रेगुलेशन अनिवार्य बनाए जाएं।

सुरक्षा और संवेदनशीलता का समय

यह घटना केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की चिंता का विषय है। हमें यह समझना होगा कि पालतू जानवरों से प्यार करना गलत नहीं है, लेकिन उनकी परवरिश में जिम्मेदारी और सतर्कता बेहद जरूरी है। यदि समय रहते सावधानी बरती जाती तो शायद मासूम बच्ची और उसकी मौसी की जान बच सकती थी।

इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि इंसानों की लापरवाही का खामियाजा किसी मासूम को अपनी जान देकर चुकाना पड़ सकता है। जरूरत है एक जागरूक समाज और सख्त प्रशासनिक नीति की, जो पालतू जानवरों के पालन-पोषण को नियमबद्ध और जिम्मेदार बनाए।

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