Samachar Nama
×

10 दिन की बच्ची का अपहरण, 6 साल तक घर के पास रखा गया, फिर खुलासा कैसे हुआ?

sds

फिलाडेल्फिया, अमेरिका — 15 दिसंबर 1997 की वह रात बाकी रातों से बहुत अलग थी। पुएर्तो रिको से अमेरिका आए लूज़ कुवेवास और पेड्रो वेरा उस रात अपने दो बेटों और महज 10 दिन की नवजात बेटी डेलिमर के साथ अपने घर में थे। किसी को नहीं पता था कि चंद पलों में यह परिवार एक ऐसी त्रासदी में घिर जाएगा, जिसका अंत कई सालों बाद जाकर होगा।

अचानक आग और बच्ची का गायब होना

उस रात अचानक उनके घर में आग लग गई। लूज़ ने ऊपर जाकर देखा कि जिस कमरे में बच्ची सो रही थी, वह आग की लपटों में घिर चुका था। वह चीखते हुए बच्ची को ढूंढ़ने लगी, लेकिन न डेलिमर दिखाई दी और न ही उसका झूला। वहीं खिड़की खुली हुई थी, जो दिसंबर की ठंडी रात में अजीब लग रही थी। जब दमकलकर्मी पहुंचे और आग पर काबू पाया गया, तो उन्हें डेलिमर का कोई अवशेष नहीं मिला। मेडिकल जांच में बताया गया कि बच्ची आग में पूरी तरह जल गई और इसी आधार पर बच्ची को मृत मान लिया गया। यह परिवार शोक में डूब गया, खासकर लूज़, जिसने अपनी मासूम बेटी को खो दिया था।

कथित गर्भवती महिला और साजिश की शुरुआत

आग लगने से ठीक पहले एक महिला दरवाज़े पर आई थी — कैरोलिन कोरलोज़, जो पेड्रो की दूर की रिश्तेदार थी। वह पेड्रो से मिलने आई थी, यह कहकर कि उसके पास नौकरी का एक प्रस्ताव है। जब पेड्रो कैरोलिन के साथ चला गया, तो थोड़ी देर बाद कैरोलिन वापस आई यह कहकर कि वह अपना बटुआ भूल गई है। कैरोलिन ने बाथरूम जाने की बात कही और ऊपर चली गई। जब लूज़ ऊपर गई तो देखा कि बच्ची अपने बिस्तर से गायब थी और खिड़की के पास एक झूला रखा था। जब उसने कैरोलिन से पूछा कि उसने बच्ची को क्यों हटाया, तो कैरोलिन ने जवाब दिया: “मैं नहीं चाहती थी कि वह गिर जाए।” इसके बाद कैरोलिन चली गई। तभी अचानक तेज धमाके की आवाज आई और ऊपर के कमरे में आग लग गई।

सालों तक किसी को नहीं हुआ शक

इसके बाद कैरोलिन ने यह दावा किया कि उसने खुद बच्ची को जन्म दिया है और उसका नाम आलिया रखा। उसने अपने आस-पास के लोगों को बताया कि उसने एक दोस्त की मदद से घर पर ही बच्ची को जन्म दिया। वर्षों तक कैरोलिन ने आलिया की माँ बनकर उसकी परवरिश की। डेलिमर (अब आलिया) जब छह साल की थी, तब पेड्रो की बहन के यहाँ जन्मदिन की पार्टी में लूज़ और कैरोलिन दोनों पहुंचे। लूज़ की नजर जब बच्ची के गाल पर डिंपल पर पड़ी तो वह चौंक गई — वह हूबहू डेलिमर जैसी दिख रही थी।

माँ का शक, और DNA टेस्ट की माँग

लूज़ ने अपनी बहन से कहा कि वह बच्ची दरअसल डेलिमर है। उस वक्त बच्ची ऊपर बच्चों के साथ खेल रही थी। लूज़ उसके पीछे गई और बहाने से उसकी एक लट खींच ली — ताकि डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल मिल सके। इसके बाद लूज़ एक स्थानीय विधायक के पास गईं जिन्होंने उसकी बात गंभीरता से ली और एक सरकारी वकील नियुक्त किया। आखिरकार, फरवरी 2004 में हुए डीएनए टेस्ट ने साबित कर दिया कि आलिया असल में डेलिमर वेरा ही थी — छह साल पहले जो कथित रूप से आग में जलकर मर गई थी।

कैरोलिन की गिरफ्तारी और गुनाह का इक़बाल

जांच में पता चला कि कैरोलिन ने गर्भवती होने का नाटक किया था और उस रात डेलिमर को अगवा कर लिया। पुलिस का मानना है कि आग जानबूझकर लगाई गई थी ताकि बच्ची के गायब होने की कहानी को छिपाया जा सके। कैरोलिन ने बाद में गुनाह कबूल कर लिया और उसे अपहरण और धोखाधड़ी के आरोपों में जेल भेज दिया गया।

माँ-बेटी का पुनर्मिलन, लेकिन भावनात्मक उलझनें बरकरार

अब डेलिमर को अचानक नया नाम, नया परिवार और नई जिंदगी मिल गई थी। वह कैरोलिन को ही अपनी माँ मानती थी और लूज़ को समझने में समय लगा। वह पूछती थी: “आप मुझे मेरी माँ से दूर क्यों ले जा रही हैं?” धीरे-धीरे उसे पूरी सच्चाई समझ आने लगी। उसे अब अहसास हुआ कि जिस महिला को वह माँ समझती रही, वह असल में उसकी अपहरणकर्ता थी। लेकिन एक भावनात्मक जुड़ाव तो बन ही चुका था। डेलिमर ने एक बार कैरोलिन से जेल में मिलने भी गई और पूछा: “तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? तुम्हारे पास पहले से तीन बच्चे थे, फिर भी तुमने मुझे क्यों चुराया?” लेकिन कैरोलिन ने कभी माफी नहीं मांगी।

कई सवाल अब भी अनुत्तरित

डेलिमर आज भी सोचती है कि क्या उस रात कैरोलिन अकेली थी? जब आग लगी थी और वह खुद पेड्रो के साथ फुटपाथ पर खड़ी थी, तो बच्ची को खिड़की से बाहर निकालने वाला कौन था? क्या उसका कोई साथी था जिसने अंदर घुसकर बच्ची को खिड़की से निकाल लिया? आज तक यह रहस्य बना हुआ है।

"मेरी दो माँएँ थीं" — भावनात्मक स्वीकारोक्ति

डेलिमर कहती है, “मैं सोचती हूँ कि मेरे पास दोनों दुनियाओं का सबसे अच्छा हिस्सा था। एक माँ जिसने मुझे जन्म दिया, और एक जिसने मेरी परवरिश की।” वह अब भी याद करती है कि कैसे वह अपने भावनात्मक द्वंद्व से जूझ रही थी। नया नाम, नया परिवार, और पुराना प्यार सबकुछ उलझ चुका था। लेकिन अब वह सुलझ चुकी है। “मैंने सच्चाई को स्वीकार कर लिया। मैंने समझ लिया कि इंसाफ क्या होता है, और माँ का असली मतलब क्या होता है।”

यह कहानी केवल चोरी का खुलासा नहीं है, बल्कि परिवार, ममता, विश्वास और न्याय के बीच उठने वाले सवालों की जांच है। डेलिमर आज शायद दो मांओं का प्यार पा चुकी है, लेकिन घर की दीवारों के उस राज़, उस साथी और उस सुरंग का पर्दाफाश अब तक अधूरा है।

Share this story

Tags