Wasim Barelvi Shayari: शायरी के बादशाह वसीम बरेलवी के ये मशहूर शेर सिखायेगें प्यार करना
ज़ाहिद हसन (वसीम बरेलवी) को आज के समय में इन्हें कौन नहीं जानता, हर शेरो शायरी गज़लों के शौखिन इनकी शायरी के दीवाने हैं, इनकी कलम का जादू सब के सर चढ़ कर बोलता हैं. Wasim Barelvi जी के लिखने का अंदाज़ एसा हैं की सीधा दिल छू जाता हैं, ज़ाहिद हसन (वसीम बरेलवी) का जन्म 8 फरवरी 1940 बरेली में हुआ. बरेली इनका ननिहाल हैं और इनका जन्म ननिहाल में हुआ. इनके पिता जी का नाम जनाब शाहिद हसन "नसीम" जो की मुरादाबाद नवाबपुर में ज़मीदार थे. लेकिन वहा के हालात कुछ एसे बिगड़े की उन्हें मुरादाबाद छोड़ कर अपने ससुराल बरेली आना पड़ा और ज़ाहिद हसन (वसीम बरेलवी) का जन्म यही हुआ. और इनकी परवरिश यहीं हुई।
इनके वालिद का ताल्लुक़ात रईस अमरोहवी और जिगर मुरादाबादी से बहुत ही अच्छे थे. जिसके कारण रईस अमरोहवी और जिगर मुरादाबादी का आना जाना इनके घर पर भी होता था. जिसके कारण वहा शेरो शायरी का माहोल होता था. और इसी कारण ज़ाहिद हसन "वसीम बरेलवी" का बचपन से ही शेरो शायरी की ओर झुकाव रहा। 1947 में बरेली के हालात कुछ बिगड़ने लगे तो नसीम मुरादाबादी साहब अपने परिवार के साथ रामपुर आ गये. और रामपुर में बरेली से अच्छा माहोल मिला. उस समय वसीम बरेलवी साहब की उम्र मात्र 8 से 10 साल की थी. और इसी उम्र में ही कुछ शेर लिखे और अपने वालिद साहब को दिखा तब इनके वालिद साहब ने ये शेर जिगर मुरादाबादी साहब को दिखाए तब जिगर मुरादाबादी साहब ने सलाह दी, कहा की बेटे अभी आपकी उम्र शेरो शायरी की नहीं पढ़ने की हैं, पहले पढ लो अभी पूरी उम्र पड़ी हैं शेरो शायरी के लिए...











