Sahir Ludhianvi Biography In Hindi: देश के मशहूर रूमानी शायर साहिर लुधियानवी का जीवन परिचय
साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi) का जन्म 8 मार्च, 1921 को लुधियाना में और मृत्यु 25 अक्तूबर 1980 को मुम्बई में हुई थी। ये भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार और कवि थे। साहिर ने जब लिखना शुरू किया, तब इक़बाल, फ़ैज़, फ़िराक आदि शायर अपनी बुलंदी पर थे, पर उन्होंने अपना जो विशेष लहज़ा और रुख़ अपनाया, उससे न सिर्फ उन्होंने अपनी अलग जगह बना ली, बल्कि वे भी शायरी की दुनिया पर छा गये, आईये आज आपको मिलाएं इनके जीवन से...
नाम | साहिर लुधियानवी |
पूरा नाम | अब्दुल हयी साहिर |
जन्म | 8 मार्च 1921 |
जन्म स्थान | करीमपुरा, लुधियाना |
पिता का नाम | फज़ल मोहम्मद |
माता का नाम | सरदार बेगम |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | मुस्लिम |
जाति | – |
साहिर लुधियानवी का जन्म और शुरुवाती जिंदगी | Sahir Ludhianvi Birth And Early Life
अब्दुलहयी ‘साहिर’ 1921 ई. में लुधियाना, पंजाब के एक जागीरदार घराने में पैदा हुए। उनकी माँ के अतिरिक्त उनके वालिद की कई पत्नियाँ और भी थीं। किन्तु एकमात्र सन्तान होने के कारण उसका पालन-पोषण बड़े लाड़-प्यार में हुआ। पति से तंग आकर उसकी माता पति से अलग हो गई और चूँकि ‘साहिर’ ने कचहरी में पिता पर माता को प्रधानता दी थी, इसलिए उसके बाद पिता से और उसकी जागीर से उनका कोई सम्बन्ध न रहा और इसके साथ ही जीवन की कठिनाइयों और निराशाओं का दौर शुरू हो गया।
साहिर लुधियानवी की शिक्षा | Sahir Ludhianvi Education
साहिर की शिक्षा लुधियाना के 'खालसा हाई स्कूल' में हुई। सन् 1939 में जब वे 'गवर्नमेंट कॉलेज' के विद्यार्थी थे अमृता प्रीतम से उनका प्रेम हुआ जो कि असफल रहा। कॉलेज़ के दिनों में वे अपने शेर और शायरी के लिए प्रख्यात हो गए थे और अमृता इनकी प्रशंसक थीं। अमृता के परिवार वालों को आपत्ति थी क्योंकि साहिर मुस्लिम थे। बाद में अमृता के पिता के कहने पर उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया। जीविका चलाने के लिये उन्होंने तरह तरह की छोटी-मोटी नौकरियाँ कीं।
साहिर लुधियानवी का अमृता प्रीतम से प्रेम | Sahir Ludhianvi Love Story
साहिर की निजी जिंदगी में प्यार कभी परवान न चढ सका। ग्लैमर तथा शौहरत की दुनिया में रहने के बावजूद वे कभी किसी लड़की को जीवन संगनी नही बना पाये। कॉलेज के दौरान महिंदर और ईशार के संग असफल प्यार का जिक्र उनकी काव्य संग्रह तल्खियां में मिलता है। महान पंजाबी कवित्री अमृता प्रीतम के प्यार में साहिर गिरफ्त हुए थे। ये एकतरफा प्यार नही था। अमृता प्रितम ने भी इसे कबूल किया है। बंटवारे के बाद जब साहिर मुम्बई में बस गये थे और अमृता दिल्ली में तब भी अमृता प्रीतम अपनी कहानियों और कविताओं के माध्यम से अपने दिल की बात साहिर तक पहुँचाती थीं। साहिर जैसे मशहूर गीतकार तथा उम्दा इंसान की मोहब्बत का परवान न चढना एक अजीब ही बात लगती है। जावेद अख्तर का कहना है कि, “साहिर की माँ उनकी दुनिया थीं और जब किसी की माँ उस इंसान के जीवन में इतनी एहमियत ले लेती है , तो फिर वह किसी और औरत के बारे में सोचने को पाप समझने लगता है। शायद जब भी उनका किसी और से रिश्ता जुड़ता तो वह अपने आपको माँ का गुनाहगार समझने लगते थे।”
साहिर लुधियानवी के शादी पर विचार | Sahir Ludhianvi Marriage
एकबार साहिर ने खुद इस विषय में कहा था कि, ‘मैं विवाह की संस्था के खिलाफ नही हूं, लेकिन जहाँ तक मेरा सवाल है , मैने कभी शादी करने की जरूरत महसूस नही की, मेरी राय में औरत और आदमी का रिश्ता केवल पति-पत्नी तक सीमित नही रह सकता। यह उसके अपनी माँ तथा बहनो के प्यार तथा स्नेह से भी जुड़ा हो सकता है।” साहिर ने ताउम्र अपनी माँ तथा दो ममेरी बहनों का ख्याल बहुत ही शिद्दत से रखा था।
साहिर लुधियानवी की पहली पुस्तक | Sahir Ludhianvi Book
कॉलेज से निकाले जाने के बाद साहिर ने अपनी पहली किताब पर काम शुरू कर दिया। 1943 में उन्होंने ‘तल्ख़ियां’ नाम से अपनी पहली शायरी की किताब प्रकाशित करवाई। ‘तल्ख़ियां’ से साहिर को एक नई पहचान मिली। इसके बाद साहिर ‘अदब़-ए-लतीफ़’, ‘शाहकार’ और ‘सवेरा’ के संपादक बने। साहिर 'प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन' से भी जुड़े रहे थे। ‘सवेरा’ में छपे कुछ लेख से पाकिस्तान सरकार नाराज़ हो गई और साहिर के ख़िलाफ़ वारंट जारी कर दिया दिया। 1949 में साहिर दिल्ली चले आए। कुछ दिन दिल्ली में बिताने के बाद साहिर मुंबई में आ बसे।
साहिर लुधियानवी का फ़िल्मी सफ़र | Sahir Ludhianvi Bollywood Career
1948 में फ़िल्म 'आज़ादी की राह पर' से फ़िल्मों में उन्होंने कार्य करना प्रारम्भ किया। यह फ़िल्म असफल रही। साहिर को 1951 में आई फ़िल्म "नौजवान" के गीत "ठंडी हवाएं लहरा के आए ..." से प्रसिद्धी मिली। इस फ़िल्म के संगीतकार एस डी बर्मन थे। गुरुदत्त के निर्देशन की पहली फ़िल्म "बाज़ी" ने उन्हें प्रतिष्ठित किया। इस फ़िल्म में भी संगीत बर्मन साहब का था, इस फ़िल्म के सभी गीत मशहूर हुए। साहिर ने सबसे अधिक काम संगीतकार एन दत्ता के साथ किया। दत्ता साहब साहिर के जबरदस्त प्रशंसक थे। 1955 में आई 'मिलाप' के बाद 'मेरिन ड्राइव', 'लाईट हाउस', 'भाई बहन',' साधना', 'धूल का फूल', 'धरम पुत्र' और 'दिल्ली का दादा' जैसी फ़िल्मों में गीत लिखे।
गीतकार के रूप में उनकी पहली फ़िल्म थी 'बाज़ी', जिसका गीत तक़दीर से बिगड़ी हुई तदबीर बना ले...बेहद लोकप्रिय हुआ। उन्होंने 'हमराज', 'वक़्त', 'धूल का फूल', 'दाग़', 'बहू बेग़म', 'आदमी और इंसान', 'धुंध', 'प्यासा' सहित अनेक फ़िल्मों में यादग़ार गीत लिखे। साहिर जी ने शादी नहीं की, पर प्यार के एहसास को उन्होंने अपने नग़मों में कुछ इस तरह पेश किया कि लोग झूम उठते। निराशा, दर्द, कुंठा, विसंगतियों और तल्ख़ियों के बीच प्रेम, समर्पण, रूमानियत से भरी शायरी करने वाले साहिर लुधियानवी के लिखे नग़में दिल को छू जाते हैं। लिखे जाने के 50 साल बाद भी उनके गीत उतने ही जवाँ हैं, जितने की पहले थे।
साहिर लुधियानवी की लोकप्रियता | Sahir Ludhianvi As Writer
साहिर की लोकप्रियता काफ़ी थी और वे अपने गीत के लिए लता मंगेशकर को मिलने वाले पारिश्रमिक से एक रुपया अधिक लेते थे। इसके साथ ही 'ऑल इंडिया रेडियो' पर होने वाली घोषणाओं में गीतकारों का नाम भी दिए जाने की मांग साहिर ने की, जिसे पूरा किया गया। इससे पहले किसी गाने की सफलता का पूरा श्रेय संगीतकार और गायक को ही मिलता था। हिन्दी (बॉलीवुड) फ़िल्मों के लिए लिखे उनके गानों में भी उनका व्यक्तित्व झलकता है। उनके गीतों में संजीदगी कुछ इस क़दर झलकती है जैसे ये उनके जीवन से जुड़ी हों। उनका नाम जीवन के विषाद, प्रेम में आत्मिकता की जग़ह भौतिकता तथा सियासी खेलों की वहशत के गीतकार और शायरों में शुमार है। साहिर वे पहले गीतकार थे जिन्हें अपने गानों के लिए रॉयल्टी मिलती थी।
साहिर लुधियानवी का फिल्मों से जुड़ाव | Sahir Ludhianvi Movie Career
सवेरा में उनके भड़काऊ लेखन ने पाकिस्तान सरकार को उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी किया। इसलिए, साहिर दिल्ली भाग आये , लेकिन कुछ महीनों के बाद, बॉम्बे (वर्तमान मुंबई) चले गए । साहिर ने 1948 में फिल्म “आजादी की राह पर” से गीतकार के रूप में अपनी शुरुआत की। फिल्म में उनके लिखे चार गीत थे। उनका पहला गीत “बडल रहि है ज़िन्दगी” था। हालांकि, यह 1951 का वर्ष था, जब उन्हें प्रसिद्धि और पहचान मिली । 1951 में रिलीज़ हुई दो फ़िल्मों में ऐसे गाने थे जो लोकप्रियता में आसमान छू गए और आज भी गुनगुनाए जाते हैं। पहले नौजवान से “थानादि हवयने लेहरा के आया” था। दूसरी फिल्म एक ऐतिहासिक फिल्म थी, जो गुरु दत्त – बाजी के निर्देशन में बनी थी। संयोग से दोनों फिल्मों में एस.डी.बर्मन का संगीत था।
साहिर लुधियानवी का कार्य काल | Sahir Ludhianvi Career
उन्होंने 1945 में अपने छात्र जीवन रहते हुए ही अपनी पहली कविताओं की पुस्तक, तल्खियान (कड़वाहट) प्रकाशित की। 1948 में साहिर ने शाहकार और सवेरा के लिए संपादक के रूप में काम शुरू किया। उन्होंने दिल्ली से शाहराह को भी प्रकाशित किया और “प्रीत की लाडी” / “पृथ्वीलाल” के लिए कुछ संपादकीय कार्य किए, जिनमें से सभी सफल रहे। वह प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्य भी बने।
साहिर का गीतकार के रूप में लंबा और सफल करियर रहा और 50 और 60 के दशक में रोशन, मदन मोहन, खय्याम, रवि, एस डी बर्मन और एन। दत्ता सहित अधिकांश संगीत निर्देशकों के साथ काम किया। वे गुरुदत्त की टीम के अभिन्न अंग थे और एस। डी। बर्मन के साथ कई हिट फ़िल्में दीं। रोशन के साथ उनके काम ने कई पीरियड फिल्मों के लिए शानदार संगीत दिया, जिसमें ताजमहल भी शामिल था, जिसके लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। 70 के दशक में, उनका अधिकांश काम यश चोपड़ा की फ़िल्मों के लिए था, लेकिन फ़िल्मों की गंभीरता निश्चित रूप से उनके लेखन की गुणवत्ता को कम नहीं करती थी और उन्होंने 1976 में कबाली के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए अपना दूसरा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीता। उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था 1971 में भारत सरकार।
साहिर लुधियानवी के प्रसिद्ध फ़िल्मी गाने | Sahir Ludhianvi Movie Songs
क्रमांक | गाना | फ़िल्म | सन | संगीतकार |
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1. | आना है तो आ | नया दौर | 1957 | ओ. पी. नैय्यर |
2. | ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है | प्यासा | 1957 | एस डी बर्मन |
3. | अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम | हम दोनों | 1961 | जयदेव |
4. | चलो एक बार फिर से अजनबी बन जायें हम दोनों | गुमराह | 1963 | रवि |
5. | मन रे तू काहे न धीर धरे | चित्रलेखा | 1964 | रोशन |
6. | ईश्वर अल्लाह तेरे नाम | नया रास्ता | 1970 | एन दत्ता |
7. | मैं पल दो पल का शायर हूं | कभी कभी | 1976 | ख़य्याम |
साहिर लुधियानवी की रचनाएँ | Sahir Ludhianvi Writings
- मैंने जो गीत तेरे प्यार -साहिर लुधियानवी
- भड़का रहे हैं आग -साहिर लुधियानवी
- सज़ा का हाल सुनाये -साहिर लुधियानवी
- उदास न हो -साहिर लुधियानवी
- अहले-दिल और भी हैं -साहिर लुधियानवी
- अपने माज़ी के तसव्वुर -साहिर लुधियानवी
- मायूस तो हूं वायदे से तेरे -साहिर लुधियानवी
- ताजमहल -साहिर लुधियानवी
- तेरी आवाज़ -साहिर लुधियानवी
- ख़ुद्दारियों के ख़ून को -साहिर लुधियानवी
- ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा -साहिर लुधियानवी
- आओ कि कोई ख़्वाब बुनें -साहिर लुधियानवी
- सोचता हूँ -साहिर लुधियानवी
- तुम्हें उदास सा पाता हूँ -साहिर लुधियानवी
- मेरे गीत -साहिर लुधियानवी
- खून अपना हो या पराया हो -साहिर लुधियानवी
- नाकामी -साहिर लुधियानवी
- शाहकार -साहिर लुधियानवी
- नज़रे-कालिज -साहिर लुधियानवी
- हर चीज़ ज़माने की जहाँ -साहिर लुधियानवी
- शिकस्त -साहिर लुधियानवी
- मादाम -साहिर लुधियानवी
- ज़िन्दगी से उन्स है -साहिर लुधियानवी
- सांझ की लाली सुलग-सुलग -साहिर लुधियानवी
- सदियों से इन्सान -साहिर लुधियानवी
- ऐ शरीफ़ इन्सानो -साहिर लुधियानवी
- मोहब्बत तर्क की मैंने -साहिर लुधियानवी
- हवस-नसीब नज़र को -साहिर लुधियानवी
- जब कभी उन के तवज्जो -साहिर लुधियानवी
- जश्ने ग़ालिब -साहिर लुधियानवी
- ख़ून फिर ख़ून है -साहिर लुधियानवी
- मैं जिन्दा हूँ ये -साहिर लुधियानवी
- नूरजहाँ की मज़ार पर -साहिर लुधियानवी
- मेरे ख्वाबों के झरोकों -साहिर लुधियानवी
- सनाख्वान-ए-तक्दीस -साहिर लुधियानवी
- लब पे पाबन्दी नहीं -साहिर लुधियानवी
- अब आए या न आए -साहिर लुधियानवी
- रद्द-ए-अमल -साहिर लुधियानवी
- मेरे सरकश तराने सुन -साहिर लुधियानवी
- अक़ायद वहम है मज़हब -साहिर लुधियानवी
साहिर लुधियानवी के पुरस्कार | Sahir Ludhianvi Awards
फ़िल्म 'ताजमहल' के बाद कभी कभी फ़िल्म के लिए उन्हें उनका दूसरा फ़िल्म फेयर अवार्ड मिला। साहिर जी को अनेक पुरस्कार मिले, पद्म श्री से उन्हें सम्मानित किया गया, पर उनकी असली पूंजी तो प्रशंसकों का प्यार था। अपने देश भारत से वह बेहद प्यार करते थे।
- वर्ष 1958: में, उन्हें "औरत ने जन्म दिया साधना" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1964: में, उन्हें फ़िल्म ताजमहल के गीत "जो वादा किया" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1971: में, उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1977: में, उन्हें फिल्म कभी-कभी के गीत "कभी कभी मेरे दिल में" के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
साहिर लुधियानवी के विवाद | Sahir Ludhianvi Controversies
वह अपने तुनक मिज़ाजी के कारण काफी विवादों में रहे हैं।
वह संगीतकारों को सिर्फ अपनी ही नज़्मों का प्रयोग करने के लिए ही कहते थे। जिसके चलते वह विवादों में रहे।
उन्होंने लता मंगेशकर की तुलना में 1 रुपए ज्यादा भुगतान करने पर जोर दिया, जिसके चलते दोनों के बीच काफी अनबन हो गई।
अपने रसूख का उपयोग करते हुए अपनी प्रेमिका सुधा मल्होत्रा के गायन करियर को बढ़ावा देने के लिए वह विवादों में रहे।
उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो पर जोर दिया किया, वह उनके सभी गीतों को प्रसारित करे।
साहिर लुधियानवी का निधन | Sahir Ludhianvi Death
साहिर ने विवाह नहीं किया। उनकी ज़िंदगी बेहद तन्हा रही। पहले अमृता प्रीतम के साथ प्यार की असफलता और इसके बाद गायिका और अभिनेत्री सुधा मल्होत्रा के साथ भी एक असफल प्रेम से ज़मीन पर सितारों को बिछाने की हसरत अधूरी रह गई। अंतत: 25 अक्टूबर, 1980 को दिल का दौरा पड़ने से साहिर लुधियानवी का निधन हो गया।