उर्दू और हिंदी के शायर, गीतकार, संवाद लेखक और पत्रकार निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्तूबर 1938 को दिल्ली में हुआ था. उनका असल नाम मुक़तिदा हसन था, तो आईये आज आपको पढ़ाएं इनकी कुछ क्लासिक शायरियां...

सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें,क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है, इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है

कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन, फिर इस के ब'अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं, रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमीजिस को भी देखना हो कई बार देखना

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता, मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो

