Samachar Nama
×

Nida Fazli Biography In Hindi: देश के सबसे मशहूर शायरों में शुमार निदा फ़ाज़ली का जीवन परिचय 

निदा फ़ाज़ली का जीवन परिचय, बायोग्राफी, जन्म, जन्म स्थान,रचनाएँ, कवितायेँ, साहित्यिक परिचय, युग,राष्ट्रीय भावना पर लेख, Nida Fazli Biography in Hindi, rachna, janm, मूवीज, वरिटिंग्स, सांग्स, गाने, Poems, Songs, Movies, Scripts, Kavita, Poems, Books, Rachnaye, Death, Essay, Awards In Hindi...
segsegf

निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli) का जन्म 12 अक्तूबर 1938 को हुआ था ये आधुनिक उर्दू शायरी के बहुत ही लोकप्रिय शायर हैं। यह शायर हिन्दी के पाठकों के लिए भी उतना ही सुपरिचित है जितना उर्दू के पाठकों के लिए। इनका पूरा नाम मुक़्तिदा हसन निदा फ़ाज़ली है, जो बाद में निदा फ़ाज़ली के रूप में प्रसिद्ध हुआ। निदा फ़ाज़ली इनका लेखन का नाम है। निदा का अर्थ है स्वर/ आवाज़/ Voice। फ़ाज़िला कश्मीर के एक इलाके का नाम है जहाँ से निदा के पूर्वज आकर दिल्ली में बस गए थे, इसलिए उन्होंने अपने उपनाम में फ़ाज़ली जोड़ा, तो आईये जाने इनके जीवन को करीब से...

नाम निदा फ़ाज़ली
जन्म 12 अक्टूबर 1938
जन्म स्थान दिल्ली
पिता मुर्तजा हुसैन बैदी
माता जमील फातिमा
पत्नी मालती जोशी फाजली
पेशा शायर
मृत्यु 18 फरवरी 2016

निदा फ़ाज़ली का जन्म | Nida Fazli Birth

निदा फ़ाज़ली का जन्म दिल्ली में 12 अक्तूबर, 1938 को हुआ था। निदा फ़ाज़ली के पिता एक शायर थे, जो भारत विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए। भारतीयता के पोषक निदा फ़ाज़ली भारत को छोड़कर पाकिस्तान नहीं गए और आज भी इस देश को अपनी रचनात्मक प्रतिभा से समृद्ध कर रहे हैं। 

निदा फ़ाज़िल की शुरुवाती ज़िन्दगी | Nida Fazli Early Life

निदा फ़ाज़ली Nida Fazli का पूरा का पूरा बचपन बिता ग्वालियर में वहीं से उन्होने अपनी पढ़ाई लिखाई भी की, सन 1958 में ग्वालियर कॉलेज (विक्टोरिया कॉलेज या लक्ष्मीबाई कॉलेज) से अपनी ग्रेजुवेशन तक की पढ़ाई की, जब हिन्दू मुस्लिम दंगे भड़के थे देश में तो निदा फ़ाज़ली के माता पिता पाकिस्तान चले गए। मगर निदा ने अपने देश में ही रहने का फैसला किया और वो यहीं रेह गए, अब सवाल उठा रोज़ी रोटी का तो वो सन 1964 मे उस समय के बॉम्बे आज के मुंबई चले गए, जहां काम की तलाश में इधर उधर भटकने के बाद उन्हे धर्मयुग और ब्लीट्ज़ जैसी पत्रिका और समाचार पत्र में लिखने का मौका मिला। उनकी सरल और जनता को समझ आ जाने वाली शैली ने उन्हे बहुत जल्दी पहचान दिला दी, शायरी का शौक तो बचपन से था, या यूं कहें शायरी उनके खून में थी वो वक़्त निकाल कर शायरी भी किया करते। जहां रहते इस तरह उन्होने अपना पहला दीवान (काव्य संग्रह) छपवाया सन 1979 में जो की काफी पसंद किया गया पढ़ने वालों के बीच।

निदा फ़ाज़ली की शिक्षा | Nida Fazli Education

निदा फ़ाज़ली ने अपना बचपन ग्वालिर में गुजारा और वही पर इन्हें शिक्षा भी मिली. इन्होने 1958 में ग्वालियर कॉलेज (विक्टोरिया कॉलेज या लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातकोत्तर पढ़ाई पूरी की. इनके पिता भी एक शायर थे. Nida Fazli को लेखन का शौक था इसलिए छोटी-सी उम्र में ही लिखने लगे थे. “निदा फ़ाज़ली” इनके लेखन का नाम हैं. “निदा” का अर्थ ‘स्वर/ आवाज़/ Voice/’ हैं. “फ़ाज़िला” क़श्मीर के एक इलाके का नाम है जहाँ से निदा के पुरखे आकर दिल्ली में बस गए थे इसलिए उन्होंने अपने उपनाम में फ़ाजली जोड़ रखा था.

निदा फ़ाज़ली की शादी | Nida Fazli Marriage 

निदा फ़ाज़ली की वाइफ का नाम मालती जोशी है.जब फाज़ली से उनकी शादी हुई थी तब वे सिर्फ 26 साल की थी और फाज़ली उस समय 50 वर्ष के थे.मालती जोशी राजकोट की रहने वाली है और वो एक गायिका है.उनकी मुलाक़ात एक अस्पताल में हुई थी जहाँ पर फाज़ली जी को किसी बीमारी के कारण भर्ती कराया गया था. निदा फ़ाज़ली की यह दूसरी शादी थी.उनका पहली पत्नी से तलाक़ हो चुका था.शादी के बाद मालती मुंबई में रहने लगी.उनकी एक बेटी भी है जिसका नाम तहरीर है. 

निदा फ़ाज़ली करियर | Nida Fazli Career

निदा फ़ाज़ली कमाई की तलाश में कई शहरों में भटके और बाद में मुंबई आ पहुँचे. यहाँ पर उन्होंने कुछ पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेखन कार्य शुरू कर दिया और उनकी सरल और प्रभावशाली लेखनशैली ने शीघ्र ही उन्हें सम्मान और लोकप्रियता दिलाई. निदा फ़ाज़ली की पहली उर्दू कविता 1969 में छपा.

फ़िल्म प्रोड्यूसर-निर्देशक-लेखक कमाल अमरोही उन दिनों फ़िल्म रज़िया सुल्ताना बना रहे थे जिसके अभिनेता और अभिनेत्री क्रमशः धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी थी. इस फ़िल्म की गीत को जाँनिसार अख़्तर लिख रहे थे जिनका अकस्मात निधन हो गया. जाँनिसार अख़्तर ग्वालियर से ही थे और निदा फ़ाजली के लेखन के बारे में जानकारी रखते थे जो उन्होंने शत-प्रतिशत शुद्ध उर्दू बोलने वाले कमाल अमरोही को बताया हुआ था. तब कमाल अमरोही ने उनसे संपर्क किया और उन्हें फ़िल्म के वो शेष रहे दो गाने लिखने को कहा जो कि निदा फ़ाजली ने लिखे और इस प्रकार उन्होंने फ़िल्मी गीत लेखन प्रारम्भ किया और उसके बाद इन्होने कई हिन्दी फिल्मों के लिये गाने लिखे. एक बार जब “निदा फ़ाजली” पाकिस्तान गए तो एक मुशायरे के बाद कट्टरपंथी मुल्लाओं ने उनका घेराव कर लिया और उनके लिखे शेर कुछ इस प्रकार थे.

घर से मस्जिद है बड़ी दूर, चलो ये कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाएं.

निदा फ़ाज़िल का फ़िल्मी सफ़र | Nida Fazli Bollywood Career

जाँनिसार अख्तर जो की एक बहुत बड़े शायर थे, उस दौर के उनका मिलना जुलना था, निदा फ़ाज़ली Nida Fazli  से क्योंकि दोनों एक ही शहर ग्वालियर से थे इस नाते जाँनिसार अख्तर जानते थे की निदा फ़ाज़ली एक बहुत अच्छे शायर हैं, तो बात कुछ ऐसी है की उनदिनों बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्माता कमाल अमरोही एक फिल्म पर काम कर रहे थे। जिसका नाम था रज़िया सुल्तान जिसमें धर्मेंद्र और हेमा मालिनी मुख्य भूमिकाओं में थे, और इस फिल्म के गाने लिख रहे थे। मगर ऊपर  वाले को कुछ और ही पसंद था, सब गाने लिखे चुके थे। बस आख़री  के दो गाने लिखने बचे थे, जिसको लेकर कमाल आमरोही बहुत चिंतित थे, की अब ये गाने कौन लिखेगा? कमाल अमरोही से जाँनिसार अख्तर ने निदा फ़ाज़ली के बारे में बात कर रखी थी, कमाल साहब को याद आई निदा फ़ाज़ली की, उन्होने उनसे संपर्क किया उनसे कहा की वो इस फिल्म के बचे सारे गाने लिखे, थोड़ा सोचने के बाद निदा साहब ने हामी भर ली, इस तरह शुरू हुआ निदा फ़ाज़ली का बॉलीवुड का फिल्मी सफर। फिर उन्होने सन 1980 में आई फिल्म “आप तो ऐसे न थे” के गाने लिखे जिसमें एक गाने आज भी बहुत मशहूर है “तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है” और एक फिल्म आहिस्ता आहिस्ता आई जिसमे निदा साहब ने एक गाना लिखा जो बहुत मशहूर हुआ वो था “कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता” जो की काफ़्फ़ी पसंद किया गया आज भी लोग इस गाने को सुनते हैं ।

उन्होने एक किताब लिखी उसका नाम रखा “मुलाकातें” इस किताब में उन्होने ने उस समय के दिग्गज कहे जाने वाले लेखकों और पत्रकारों को आईना दिखाया था, जो अकसर ताक़त के सामने झुक जाया करते थे। और जी हुज़ूरी करके बड़े बड़े सम्मान पाते थे, इस किताब की उनलोगों ने बहुत आलोचना की मगर ये आम लोगों में काफी पसंद की गई, उन लेखकों ने निदा फ़ाज़ली को किनारे कर दिया निदा फ़ाज़ली को ऐसे किसी समारोह में बुलाना बंद कर दीया गया, और उन्होने खुद भी वहाँ जाना छोड़ दिया।

निदा फ़ाज़ली की रचनाये | Nida Fazli Writings 

निदा फ़ाज़ली के कुछ लोकप्रिय गीत इस प्रकार है…

  • तू इस तरह से मेरी ज़िंदग़ी में शामिल है (फ़िल्म- आप तो ऐसे न थे)
  • चुप तुम रहो, चुप हम रहें (फ़िल्म इस रात की सुबह नहीं)
  • दुनिया जिसे कहते हैं, मिट्टी का खिलौना है (ग़ज़ल)
  • हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी (ग़ज़ल)
  • अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये (ग़ज़ल)
  • टीवी सीरियल सैलाब का शीर्षक गीत
  • होश वालों को खबर क्या, बेखुदी क्या चीज है (फ़िल्म सरफ़रोश)
  • कभी किसी को मुक़म्मल जहाँ नहीं मिलता (फ़िल्म आहिस्ता-आहिस्ता)(पुस्तक मौसम आते जाते हैं से)
  • तेरा हिज्र मेरा नसीब है, तेरा गम मेरी हयात है (फ़िल्म रज़िया सुल्ताना)। यह उनका लिखा पहला फ़िल्मी गाना था।
  • आई ज़ंजीर की झन्कार, ख़ुदा ख़ैर कर (फ़िल्म रज़िया सुल्ताना)

Nida Fazli Books

काव्य संग्रह  

  • लफ़्ज़ों के फूल (पहला प्रकाशित संकलन)
  • मोर नाच
  • आँख और ख़्वाब के दरमियाँ
  • खोया हुआ सा कुछ (1996) (1998 में साहित्य अकादमी से पुरस्कृत)
  • आँखों भर आकाश
  • सफ़र में धूप तो होगी

आत्मकथा

  • दीवारों के बीच
  • दीवारों के बाहर
  • निदा फ़ाज़ली (संपादक: कन्हैया लाल नंदन)

संस्मरण

  • मुलाक़ातें
  • सफ़र में धूप तो होगी
  • तमाशा मेरे आगे


निदा फ़ाज़ली की लेखन शैली | Nida Fazli Writing Style 

निदा फ़ाज़ली ने जो भी लिखा वो आम लोगों के लिये लिखा, उनकी ग़ज़ल कोई भी पढ़कर आसानी से समझ सकता है । ये जादू था निदा फ़ाज़ली Nida Fazli साहब की कलम में उन्होने कभी ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया, जो समझने में किसी को भी मुश्किल हों। निदा साहब की शायरी एक सूफी की शायरी है, आप जब भी उनकी शायरी पड़ेंगे आप पाएंगे की उसमें जीवन के लिए कोई न कोई संदेश बड़े सहज और सरल तरीके से बताया है, वो कबीर मिरा, मिर्ज़ा ग़ालिब  मीर तक़ी मीर से बहुत ज़्यादा प्रभावित थे ।

इनका उर्दू हिन्दी शायरी का एक बहुत बड़ा नाम है, निदा फ़ाज़ली का शायर बनने के पीछे एक किस्सा कहा जाता है कहा जाता है की, निदा फ़ाज़ली जब अपने स्कूल के दिनों में थे। तब उनकी साथ एक लड़की पढ़ा करती थी, उस लड़की से निदा साहब को एक अलग सा लगाव था, अब इसको प्यार कहा जा सकता है की नहीं ये तो नहीं कहा जा सकता। मगर हाँ उस लड़की का असर निदा साहब पर बहुत था, ऐसे ही दिन गुज़र रहे थे, एक दिन की बात है अभी निदा साहब पहुंचे ही थे की notice board पर एक notice पर उनकी नज़र पड़ी जिसमें लिखा हुआ था की, कुमारी टंडन की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी है। निदा साहब इस घटना से बहुत दुखी हुए, वो पहले भी शायरी किया करते थे मगर उनकी कोई ग़ज़ल कोई नज़्म कोई शेर उनके इस दर्द की तरजुमानी नहीं कर पा रहा था, वो चाहते थे की अपने दर्द को शायरी के जरिये बाहर निकले। मगर वो जिस तरीके से लिखा करते थे, उस तरीके से ये होना मुश्किल था। इसी दर्द के हालत में एक दिन वो सुबह सुबह किसी मंदिर के सामने से गुज़र रहे थे, जहां कोई सूरदास का भजन गा रहा था।

मधुबन तुम क्यौं रहत हरे?

बिरह बियोग स्याम सुंदर के ठाढ़े क्यौं न जरे?

इस भजन में सूरदास ने राधा और गोपियों के दर्द की तरजुमानी की है, सूरदास ने लिखा की जब कृष्ण मथुरा से द्वारका चले गए तब गोपियाँ और राधा की हालत बहुत खराब होने लगीं, वो इस कदर दुखी हुईं की उन्होने फूलों से कहा की जब कृष्ण नहीं हैं तो तुम कैसे हरी भरी खड़ी हुई हो तुम दर्द से जल क्यों नहीं गईं। इस भजन ने ही निदा साहब को निदा फ़ाज़ली Nida Fazli बना दिया उन्होने सूरदास, तुलसीदास, बाबा फरीद, बुल्ले शाह जैसे शायरों और कवियों को पढ़ना शुरू किया। और उनकी ही तरह सीधी साधी भाषा का उपयोग किया । अपनी शैली में जो आज भी एक अलग रंग की शायरी है जो सबसे अलगा सबसे कारगर और सबसे सरल है।

निदा फ़ाज़ली के पुरस्कार और सम्मान | Nida Fazli Awards

निदा फाजली को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चूका है,जिसमे कई उर्दू अकादमी अवार्ड भी शामिल है.उनको मीर तकी मीर पुरूस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. फ़ाज़ली जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार भी दिया जा चुका है,और 2013 में उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चूका है जो कि राष्ट्र के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक है, आईये जाने इनके पुरुस्कारों को...

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार
  • नेशनल हारमनी अवॉर्ड फॉर राइटिंग ऑन कम्युनल हारमनी
  • स्टार स्क्रीन पुरस्कार
  • बॉलीवुड मूवी पुरस्कार
  • मप्र सरकार द्वारा मीर तकी मीर पुरस्कार
  • खुसरो पुरस्कार
  • महाराष्ट्र उर्दू अकादमी का श्रेष्ठतम कवि‍ता पुरस्कार
  • बिहार उर्दू पुरस्कार
  • उप्र उर्दू अकादमी पुरस्कार
  • हिन्दी उर्दू संगम पुरस्कार
  • मारवाड़ कला संगम द्वारा पुरस्कृत
  • पंजाब एसोसिएशन के द्वारा नवाजा गया।
  • कला संगम पुरस्कार से नवाजा गया।
  • 2013 में भारत सरकार ने उन्हे पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया।

निदा फ़ाज़ली का निधन | Nida Fazli Death

वैसे तो हर किसी को एक न एक दिन इस दुनियाँ को अलविदा कहकर चले ही जाना है, मगर किसी किसी का जाना याद रह जाता है। वैसे ही एक नाम में से है, निदा फ़ाज़ली Nida Fazli साहब का चले जाना उन्होने 8 फरवरी 2016 के दिन आखरी सांस ली, और पीछे छोड़ गए हम जैसे उनकी शायरी को पसंद करने वालों के लिए उनकी शायरी जो आने वाली कई नस्लों के लिए जीने की राह और सच्ची की रौशनी दिखती रहेंगी।

Nida Fazli FAQ's

Q. निदा फाजली जी की मृत्यु कब हुई थी?
Ans. निदा फ़ाज़ली जी की मृत्यु एक सामयिक मृत्यु थी। ऐसे में निदा फ़ाज़ली जी की मृत्यु 18 फरवरी वर्ष 2016 को हुई थी।
Q. निदा फ़ाज़ली कौन है?
Ans. मशहूर शायर और गीत लेखक।
Q. निदा फ़ाज़ली का जन्म कब हुआ था?
Ans. 12 अक्टूबर 1938
Q. निदा फ़ाज़ली किस किस भाषा में शायरी और गीत लिखते थे?
Ans. हिंदू और उर्दू भाषा।
Q. निदा फ़ाज़ली का सबसे पहला गीत किस फिल्म के लिए लिखा गया था?
Ans. रजिया सुल्तान।
Q. निदा फ़ाज़ली की मृत्यु कब हुई थी?
Ans. 18 फरवरी 2016

Share this story

Tags