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Nasir Kazmi Shayari: पढ़ें मशहूर उर्दू शायर नासिर काज़मी के लिखे सबसे क्लासिक शेर

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नासिर काज़मी का जन्म 8 दिसंबर 1923 को अंबाला (Ambala) में हुआ था. 'नासिर' का पूरा नाम नासिर रज़ा काज़मी था. हामिदी काश्मीरी के मुताबिक "नासिर काज़मी के कलाम में जहां उनके दुखों की दास्तान, ज़िंदगी की यादें नई और पुरानी बस्तीयों की रौनकें, एक बस्ती से बिछड़ने का ग़म और दूसरी बस्ती बसाने की हसरत-ए-तामीर मिलती है, वहीं वो अपने युग और उसमें ज़िंदगी बसर करने के तक़ाज़ों से भी ग़ाफ़िल नहीं रहते. उनके कलाम में उनका युग बोलता हुआ दिखाई देता है, तो आईये आज आपको पढ़ाते हैं इनकी लिखी कुछ सबसे मशहूर शायरी.....

भरी दुनिया में जी नहीं लगता 
जाने किस चीज़ की कमी है अभी 

मुझे ये डर है तिरी आरज़ू न मिट जाए 
बहुत दिनों से तबीअत मिरी उदास नहीं 

इस क़दर रोया हूँ तेरी याद में 
आईने आँखों के धुँदले हो गए 

कौन अच्छा है इस ज़माने में 
क्यूँ किसी को बुरा कहे कोई 

वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का 
जो पिछली रात से याद आ रहा है 

दिल धड़कने का सबब याद आया 
वो तिरी याद थी अब याद आया

आज देखा है तुझ को देर के बअ'द 
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं 

तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगर 
तू ने वादा किया था याद तो कर 

आरज़ू है कि तू यहाँ आए 
और फिर उम्र भर न जाए कहीं 

नए कपड़े बदल कर जाऊँ कहाँ और बाल बनाऊँ किस के लिए 
वो शख़्स तो शहर ही छोड़ गया मैं बाहर जाऊँ किस के लिए 

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