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Munawwar Rana Shayari: मशहूर शायर मुनव्वर राणा की जुदाई पर लिखी कुछ सबसे मशहूर शायरी

Munawwar Rana Shayari: मशहूर शायर मुनव्वर राणा की जुदाई पर लिखी कुछ सबसे मशहूर शायरी

मुनव्वर राणा की शायरी देश-दुनिया का दर्द समेटे हुए सामाजिक सरोकार से अलग नज़र नहीं आती। मां-बेटियों पर तो उन्होंने काफी बेहतर लिखा है। मुनव्वर के शेर एक तरह से भावुक लफ्जा़ें की महीन कारीगरी हैं। ये हैं मुनव्वर राणा के 10 बड़े शेर...  

हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं

नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है
परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है

मोहाजिरो यही तारीख है मकानों की
बनाने वाला हमेशा बरामदों में रहा

तुझसे बिछड़ा तो पसंद आ गयी बे-तरतीबी
इससे पहले मेरा कमरा भी ग़ज़ल जैसा था

किसी भी मोड़ पर तुमसे वफ़ादारी नहीं होगी
हमें मालूम है तुमको यह बीमारी नहीं होगी

तुझे अकेले पढूँ कोई हम-सबक न रहे
मैं चाहता हूँ कि तुझ पर किसी का हक न रहे

तलवार तो क्या मेरी नज़र तक नहीं उठी
उस शख़्स के बच्चों की तरफ देख लिया था

फ़रिश्ते आके उनके जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं
वो बच्चे रेल के डिब्बे में जो झाडू लगाते हैं

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सबसे छोटा था मेरी हिस्से में माँ आई

सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं
हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं

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