Munawwar Rana Biography in Hindi: भारत के मशहूर कवि और शायर मुनव्वर राणा का जीवन परिचय
मुनव्वर राणा भारत के एक मशहूर कवि और शायर हैं. इनकी लोकप्रियता देश और विदेश दोनों जगह हैं. इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनकी रचनाएँ कई भाषाओं में अनुवाद करके प्रकाशित की गयी हैं. मुनव्वर राणा अपनी बेहतरीन रचनाओं के लिए “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से सम्मानित किये जा चुके हैं, तो आईये आज आपको मिलाएं इनके जीवन से करीब से...
| नाम | मुन्नव्वर राणा |
|---|---|
| जन्म तिथि | 26 नवम्बर 1952 |
| पिता का नाम | अनवर राणा |
| माता का नाम | आयशा ख़ातून |
| जन्म स्थान | रायबरेली, उत्तरप्रदेश |
| पत्नी का नाम | रैना राणा |
| पुत्र | तबरेज़ राणा |
| पुत्री | सुमैया, फौजिया और उरूसा |
| धर्म | इस्लाम |
| पेशा | शायरी, ट्रांसपोर्ट |
मुन्नव्वर राणा का जन्म और शुरुवाती जीवन | Munawwar Rana Birth And Early Life
मुनव्वर राना Munawwar Rana का जन्म 26 नवम्बर 1952 के दिन उत्तरप्रदेश के रायबरेली ज़िले में हुआ, उनके वालिद (पिता) के नाम अनवर राणा उनकी वालिदा का नाम आयशा खातून है। ये आयशा ख़ातून यानि मुनव्वर राना की माँ हैं, जिनसे वो बेइंतेहा प्यार करते हैं। जो आपको उनकी शायरी में साफ नज़र आएगा। मुनव्वर राना की पैदाइश हुई तो उत्तरप्रदेश के रायबरेली में, मगर उनकी ज़िंदगी का काफी हिस्सा बिता कोलकाता में वही उन्होने अपनी पढ़ाई लिखाई की, और फिर उनकी शादी हो गई। जिसके बाद वो लखनऊ आ बसे अब वो अपने पूरे परिवार के साथ लखनऊ में ही रहते हैं। शायरी का शौक उनको बचपने से था, मगर रोज़ी रोटी के लिए उन्होने Transport के काम को चुना शायद के ये उनका खानदानी काम था। उनकी शादी रैना राणा के साथ हुई मुनव्वर राणा की तीन बेटियां सुमैया, फौजिया और उरूसा हैं उनका एक बेटा भी है जिसका नाम तबरेज़ राणा है
मुनव्वर राणा का परिवार | Munawwar Rana Family
मुनव्वर राना के माता-पिता के अलावा उनकी पत्नी (अदीबा राणा) जो एक गृहनी है। तथा उनके 6 बच्चे हैं। मुनव्वर राणा का एक बेटा तबरेज राणा तथा उनकी पांच बेटियां है। बड़ी बेटी का नाम सुमैया राणा जो समाजवादी पार्टी मे है तथा उससे छोटी उजमा राणा है। मुनव्वर राना के चार भाई तथा तीन बहने हैं। इस प्रकार से मुनव्वर राणा का एक भरा पूरा परिवार है। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समय मुनव्वर राना के कई रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए थे, लेकिन मुनव्वर राना के पिता ने भारत में रहना ही स्वीकार किया।
मुनव्वर राना की शादी | Munawwar Rana Marriage
मुनव्वर राना के परिवार में उनकी पत्नी और बच्चे है. मुनव्वर राना के छह बच्चे है – एक बेटा और पांच बेटियां. मुनव्वर राना के बेटे के नाम तबरेज राना है. मुनव्वर राना की दो बेटियां सुमैया राना और फौजिया राना भी अक्सर चर्चा में रहती है.
मुन्नव्वर राणा की शिक्षा | Munawwar Rana Education
1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तब देश का बटवारा हुआ जिसमें भारत और पाकिस्तान दो अलग देश बन गए जिसमें मुन्नव्वर के बहुत से रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए मगर उन्के पिता ने भारत में ही रहने का फैसला किया वो मूल रूप से रायबरेली उत्तरप्रदेश के रहने वाले थे मगर काम के सिलसिले में वो कलकत्ता चले गए जहाँ उन्होंने ट्रांसपोट का व्यवसाय शुरू किया। परिवार के साथ मुन्नव्वर भी कलकत्ता चले आये जहाँ उनकी पढाई लिखाई हुई। शुरुआत की intermediate तक पढाई मुनव्वर राणा जी की उत्तर प्रदेश रायबरेली से हुई और जब मुनव्वर राणा कोलकाता शिफ्ट हुए तो वहां के उमेश चन्द्र कॉलेज, लालबाजार (कोलकाता ) से इन्होंने BA किया।
मुनव्वर राना का करियर | Munawwar Rana Career
मुनव्वर राना की कविताये हिंदी और बंगाली दोनों भाषा में प्रकाशित की गयी है। उनकी कविता में ग़ज़ल की झलक देखने को मिलती है। कविता करने के साथ साथ उन्होंने ख़ुद के चरित्र पर भी किताब लिखी है। हाल ही में उन्होंने 2012 के एन. आई. टी. अलाहाबाद में एक सांस्कृतिक समारोह में ख़ुद की कविता गाकर सुनाई थी। मुन्नावर ने कई सारी ग़ज़ले भी लिखी है और उन्हें प्रकाशित भी किया है। वो जिस अंदाज से हिदुस्तानी कविता लिखते है वो बाकि कवी से बिलकुल हटकर होती है। उनके जितने भी शेर होते है उन सब में मा के लिए प्यार नजर आता है। और यही बात उन्हें बाकि कवी से भिन्न बनाती है।
मुन्नव्वर राणा का साहित्यिक सफ़र | Munawwar Rana Literature
मुन्नव्वर राणा अपनी शायरी में उर्दू और हिंदी भाषा का प्रयोग बखूबी करते हैं जिस महफ़िल में उनके आने की खबर हो वहां उनसे पहले उनके चाहने वाले पहुँच जाया करते हैं और जब वो अपनी ग़ज़लों में माँ को याद करते हैं तो सुनने वालों की आँखों से आंसू नहीं रुकते थे। ये करिश्मा है इस अज़ीम शायर का मुनव्वर को उनकी शायरी के लिए देश विदेश में जाना पहचाना जाता है वो मुशायरों की जान हैं जहां भी आपको हिन्दी उर्दू बोलने समझने वाले लोग मिलेंगे वहाँ मुनव्वर राना को ज़रूर पहचाना जाता है।
मुन्नव्वर राणा की किताबे | Munawwar Rana Books
मुनव्वर ने सिर्फ शायरी ही की है ज़्यादातर और यही उनकी पहचान भी है उनकी शायरी की कई सारी किताबें भी छापी गई जो काफी पसंद की गई आज भी उनकी मांग वैसी ही है जिससे पहले द्दीन हुआ करती ये हैं उनकी किताबें जिन्हें छापा गया...
- माँ
- ग़ज़ल गाँव
- पीपल छाँव
- बदन सराय
- नीम के फूल
- सब उसके लिए
- घर अकेला हो गया
- कहो ज़िल्ले इलाही से
- बग़ैर नक्शे का मकान
- फिर कबीर
- नए मौसम के फूल
मुनव्वर राना की शायरियां | Munawwar Rana Poetry
वैसे तो मुनव्वर राना में काफी कुछ लिखा है, लेकिन मुनव्वर राना को असली प्रसिद्धि मिली उनके द्वारा मां पर लिखे गए शेर की वजह से. मुनव्वर राना ने माँ पर बहुत शेर लिखे हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार है ...
- मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू, मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना.
- लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती.
- जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा, मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा.
- किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई, मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई.
- इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है, माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है.
- अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा, मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है.
- कुछ नहीं होगा तो आँचल में छुपा लेगी मुझे, माँ कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी.
- बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर, माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है.
- खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से, बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही.
- ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है.
- चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है.
- जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, मां दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है.
मुनव्वर राना का सफ़र | Journey of Munavwar Rana
दोस्तों मुनव्वर राना एक प्रसिद्द कवि और लेखक है. मुनव्वर राना पिछले कई दशकों से कविताओं और ग़ज़लों के जरिए लोगों का मनोरंजन करते हुए आ रहे हैं. मुनव्वर राना अपनी मां से बहुत प्यार करते हैं. यहीं कारण है कि उनकी ज्यादातर रचनाओं में मां का जिक्र होता है.
मुन्नवर राणा को मिले पुरस्कार और सम्मान | Munawwar Rana Awards
कोई भी ऐसा शख्स आपको नहीं मिलेगा जो शायरी को पसंद तो करता होगा और वो मुन्नव्वर राणा को ना पहचानता हो किसी भी कलाकार के लिए ये बहुत बड़े सम्मान की बात होती है की लोग उसको उसके काम की वजह से पहचाने चूँकि मुन्नवर ने साहित्य की इतनी सेवा की और वो भी एक लम्बे समय तक उसकि लिए उन्हें कई सारे पुरस्कार और सम्मान भी मिले हैं..
| क्रमांक | साल | पुरस्कार |
|---|---|---|
| 1 | 1993 | रईस अमरोहवी पुरस्कार, रायबरेली |
| 2 | 1995 | दिलकुश पुरस्कार |
| 3 | 1997 | सलीम ज़ाफरी पुरस्कार |
| 4 | 2004 | सरस्वती समाज पुरस्कार |
| 5 | 2005 | ग़ालिब अवार्ड, उदयपुर |
| 6 | 2005 | डॉ. ज़ाकिर हुसैन पुरस्कार, नई दिल्ली |
| 7 | 2005 | शहूद आलम अफ्कुफी पुरस्कार, कोलकाता |
| 8 | 2006 | कविता का कबीर सम्मान, इंदौर |
| 9 | 2006 | आमिर खुसरो पुरस्कार, इटावा |
| 10 | 2011 | मौलाना अब्दुल रज्जाक मलीहाबादी पुरस्कार, पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी |
| 11 | 2012 | ऋतुराज सम्मान पुरस्कार |
| 12 | 2014 | साहित्य अकादमी पुरस्कार |
| 13 | भारती परिषद पुरस्कार, अलाहाबाद | |
| 14 | बज्मे सुखन पुरस्कार,भुसावल | |
| 15 | अलाहाबाद प्रेस क्लब पुरस्कार, प्रयाग | |
| 16 | अदब पुरस्कार | |
| 17 | मीर पुरस्कार | |
| 18 | हजरत अल्मास शाह पुरस्कार | |
| 19 | हुमायु कबीर पुरस्कार, कोलकाता | |
| 20 | मौलाना अबुल हसन नदवी पुरस्कार | |
| 21 | उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार |
मुन्नव्वर राणा के साथ जुड़े कुछ विवाद | Munawwar Rana Controversies
चूँकि मुन्नव्वर देश विदेश में एक ख्याति प्राप्त शायर हैं उनकी हर बात को मीडिया से लेकर आम जनता बहुत गंभीरता से लेती है वो जितना अपनी शायरी को लेकर चर्चाओं में रहते हैं उतना ही वो अपने बयानों को लेकर भी चर्चाओं में काफी रहे हैं....
- राम मंदिर निर्माण – अयोध्या के राम मंदिर और बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में अपना एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसमें विवादित ज़मीन पर राम मंदिर बनाने का आदेश दिया गया था जिसके बाद मुन्नवर ने तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई के लिए कहा था की उन्होंने न्याय नहीं किया उन्होंने आदेश दिया है
- चार्ली हेब्दो विवाद – फ़्रांस के एक स्कूल में चार्ली हेब्दो के अंक में छपे हज़रत मुहोम्मद के फोटो के लिए किसी ने हत्या कर दी थी जिसका समर्थन मुन्नव्वर ने किया था उन्होंने ने कहा था कैरिकेचर पैगंबर मुहम्मद और इस्लाम को बदनाम करने के लिए बनाए गए हैं। इस तरह की हरकतें लोगों को चरम कदम उठाने के लिए मजबूर करती हैं जैसा कि फ्रांस के मामले में हुआ। उन्होंने आगे कहा कि अगर वह उनकी जगह होते तो वह भी ऐसा ही करतेउनके इस बयान के बाद उत्तरप्रदेश पुलिस ने उनपर मामला दर्ज किया था
- तालिबान के पक्षधर – मुन्नव्वर ने एक बार कहा था की तालिबान सिर्फ अपने देश के लिए लड़ रहे हैं वो कोई आतंकी संगठन नहीं हैं
मुनव्वर राना के विवादित बयान | Munawwar Rana Disputed Statement
- मुनव्वर राना ने अपने बयान में भारत को सांप्रदायिक देश बताते हुए कहा था कि हिंदुओं को खुश करने के लिए मुसलमानों को मारा जा रहा है.
- मुनव्वर राना ने अपने ट्वीट में सद को गिराकर खेत बनाने की बात कही थी. हालाँकि बाद में विवाद बढ़ने पर ट्वीट को डिलीट कर दिया था.
- साल 2015 में मुनव्वर राना ने साहित्य अकादमी पुरस्कार को वापस कर दिया था और भविष्य में कोई भी सरकारी पुरस्कार न लेने की बात कही थी.
- दादरी घटना के बाद मुनव्वर राना ने कहा था कि, ‘लगाया था, जो कि पेड़ भक्तों ने कभी, वो पेड़ फल देने लग गए, मुबारक हो हिन्दूस्तान में अफवाहों से कत्ल होने लगा.’
- फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून वाले मामले में हुई हत्या के बाद मुनव्वर राना ने कहा था कि, ‘अगर उस स्टूडेंट की जगह मैं भी होता तो वही करता जो उसने किया.’
- इसके अलावा मुनव्वर राना ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का समर्थन करते हुए कहा था कि, ‘तालिबान ने सही किया है. अपनी जमीन पर कब्जा तो किसी भी तरह से किया जा सकता है. तालिबान गुट को आतंकी नहीं कहा जा सकता है.

