Momin Khan Momin Shayari: देश के मशहूर उर्दू शायर मोमिन ख़ाँ 'मोमिन' की कुछ सबसे बेहतरीन शायरियाँ
मोमिन खां मोमिन उर्दू के मशहूर शायरों में शुमार होते हैं. वह मुगल जमाने के उर्दू शायर हैं. उन्हें उनकी बेहतरीन गजलों के लिए याद किया जाता है. मोमिन खां मोमिन शायर होने के साथ-साथ हकीम भी हैं. उन्होंने अपना तखल्लुस 'मोमिन' रखा. उनकी कब्र दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली में मौजूद है. मोमिन खां मोमिन का जन्म कश्मीर मूल के परिवार में दिल्ली में हुआ था. उनके वालिद हकीम थे इसलिए वो भी हकीम बन गए. मोमिन खां मोमिन म्यूजिक के शौकीन थे, आईये आज आपको पढ़ाएं इनकी कुछ सबसे मशहूर शायरी...
मैं भी कुछ ख़ुश नहीं वफ़ा कर के
तुम ने अच्छा किया निबाह न की
न करो अब निबाह की बातें
तुम को ऐ मेहरबान देख लिया
हाल-ए-दिल यार को लिखूँ क्यूँकर
हाथ दिल से जुदा नहीं होता
किसी का हुआ आज कल था किसी का
न है तू किसी का न होगा किसी का
रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह
अटका कहीं जो आप का दिल भी मिरी तरह
क्या जाने क्या लिखा था उसे इज़्तिराब में
क़ासिद की लाश आई है ख़त के जवाब में

माशूक़ से भी हम ने निभाई बराबरी
वाँ लुत्फ़ कम हुआ तो यहाँ प्यार कम हुआ
हँस हँस के वो मुझ से ही मिरे क़त्ल की बातें
इस तरह से करते हैं कि गोया न करेंगे
न मानूँगा नसीहत पर न सुनता मैं तो क्या करता
कि हर हर बात में नासेह तुम्हारा नाम लेता था
इतनी कुदूरत अश्क में हैराँ हूँ क्या कहूँ
दरिया में है सराब कि दरिया सराब में
रह के मस्जिद में क्या ही घबराया
रात काटी ख़ुदा ख़ुदा कर के
साहब ने इस ग़ुलाम को आज़ाद कर दिया
लो बंदगी कि छूट गए बंदगी से हम

कुछ क़फ़स में इन दिनों लगता है जी
आशियाँ अपना हुआ बर्बाद क्या
सुन के मेरी मर्ग बोले मर गया अच्छा हुआ
क्या बुरा लगता था जिस दम सामने आ जाए था
नासेहा दिल में तो इतना तू समझ अपने कि हम
लाख नादाँ हुए क्या तुझ से भी नादाँ होंगे
गो आप ने जवाब बुरा ही दिया वले
मुझ से बयाँ न कीजे अदू के पयाम को
हाथ टूटें मैं ने गर छेड़ी हों ज़ुल्फ़ें आप की
आप के सर की क़सम बाद-ए-सबा थी मैं न था

