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Mirza Ghalib Shayari: महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की लिखी कुछ सबसे बेहतरीन शायरी

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तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको, ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है |

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रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल, जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है |

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मुहब्बत में उनकी अना का पास रखते हैं, हम जानकर अक्सर उन्हें नाराज़ रखते हैं |

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कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर–ए–नीम–कश को, ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता |

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तुम अपने शिकवे की बातें न खोद खोद के पूछो, हज़र करो मिरे दिल से कि उस में आग दबी है |

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इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा, लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं |

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रोक लो गर ग़लत चले कोई, बख़्श दो गर ख़ता करे कोई |

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भीगी हुई सी रात में जब याद जल उठी, बादल सा इक निचोड़ के सिरहाने रख लिया |

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कुछ लम्हे हमने ख़र्च किए थे मिले नहीं, सारा हिसाब जोड़ के सिरहाने रख लिया ||

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दिल–ए–नादाँ तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है |

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