LiteratureMirza Ghalib Shayari: मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ बेहतरीन सदाबहार शायरियांBy Yashaswi GargTue, 19 Sep 2023 /1हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ, जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा।-मिर्जा गालिब /1जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ ग़ालिब ज़ख्म का एहसास तब हुआ जब कमान देखी अपनों के हाथ में।-मिर्जा गालिब /1आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था-मिर्जा गालिब /1बना कर फकीरों का हम भेस ग़ालिब, तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते है-मिर्जा गालिब /1ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे। वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है।।-मिर्जा गालिब /1ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते है। कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते है।।-मिर्जा गालिब /1मोहब्बत में नहीं फर्क जीने और मरने का, उसी को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले!-मिर्जा गालिब /1मौत का एक दिन मुअय्यन है, नींद क्यूँ रात भर नहीं आती।-मिर्जा गालिब /1रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ‘ग़ालिब’, कहते हैं अगले ज़माने में कोई ‘मीर’ भी था।-मिर्जा गालिब /1आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था।-मिर्जा गालिब Share this storyPost a Comment