Maulana Hasrat Mohani Shayari: शायर मौलाना हसरत मोहानी की ग़ज़लों से चुनिंदा शेर, जो सिखाते हैं महोब्बत
हसरत मोहानी (Hasrat Mohani) उर्दू के मशहूर शायर थे. वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थे. साल 1921 में मशहूर नारा 'इंकलाब जिंदाबाद' हसरत मोहानी ने ही लिखा है. यह माना जाता है मोहानी पहले शख्स थे जिन्होंने भारत के लिए पूरी तरह से आजादी की मांग की थी. उन्होंने यह मांग 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में की थी.
हसरत मोहानी का असल नाम सय्यद फ़ज़लुल हसन था. वह 14 अक्टूबर 1878 में पैदा हुए. हसरत की शुरूआती तालीम घर पर हुई. इसके बाद वह अलीगढ़ चले गए. इसके बाद उनकी जिंदगी बदली. उनकी मशहूर किताबों में Kulliyat-e-Hasrat Mohani, Sharh-e-Kalam-e-Ghalib, Nukaat-e-Sukhan, Mushahidaat-e-Zindaan हैं. उनकी बहुत मशहूर गजल 'चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है' को गुलाम अली और गजल किंग जगजीत सिंह ने गाया है. 13 मई 1951 को वह इस दुनिया को अलविदा कह गए, तो आईये आज आपको पढ़ाएं इनकी कुछ बेहतरीन शायरी....
आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न
आया मेरा ख़याल तो शर्मा के रह गए
आप को आता रहा मेरे सताने का ख़याल
सुलह से अच्छी रही मुझ को लड़ाई आप की
आरज़ू तेरी बरक़रार रहे
दिल का क्या है रहा रहा न रहा
ऐसे बिगड़े कि फिर जफ़ा भी न की
दुश्मनी का भी हक़ अदा न हुआ
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
इक़रार है कि दिल से तुम्हें चाहते हैं हम
कुछ इस गुनाह की भी सज़ा है तुम्हारे पास
उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ
कश्ती मिरी डुबोई है साहिल के आस-पास
छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र
पड़ ही जाती है रुख़-ए-यार पे हसरत की नज़र
देखा किए वो मस्त निगाहों से बार बार
जब तक शराब आई कई दौर हो गए

