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Josh Malihabadi Shayari:  उर्दू के मशहूर शायर जोश मलीहाबादी की लिखी वो मशहूर शायरियां जो ले आएगी होटों पर मुस्कुराहट 

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प्रसिद्ध उर्दू कवि जोश मलीहाबादी का जन्म 5 दिसंबर,1894 ई. को तत्कालीन संयुक्त प्रांत के मलीहाबाद में हुआ था। उनका वास्तविक नाम शब्बीर हसन खान थे. उनके पिता का नाम बशीर अहमद खान था. वे 1958 तक भारतीय नागरिक थे, उसके बाद पाकिस्तान चले गए तथा वहां के नागरिक हो गए। इनका जन्म मलीहाबाद में जन्मे जो कि उत्तर प्रदेश में लखनऊ ज़िले की एक पंचायत है। जोश मलीहाबादी सेंट पीटर्स कॉलेज आगरा में पढ़े और वरिष्ठ कैम्ब्रिज परीक्षा 1914 में उत्तीर्ण की। और साथ ही साथ अरबी और फ़ारसी का अध्ययन भी करते रहे। 6 माह रविंद्रनाथ टैगोर के शांतिनिकेतन में भी रहे। परन्तु 1916 में आपके पिता बशीर अहमद खान की मृत्यु होने के कारण कॉलेज की आगे पढ़ाई जारी नहीं रख सके।

1925 में जोश ने 'उस्मानिया विश्वविद्यालय' हैदराबाद रियासत में अनुवाद की निगरानी का कार्य शुरू किया। परन्तु उनका यह प्रवास हैदराबाद में ज्यादा दिन न रह सका। अपनी एक नज़्म जो कि रियासत के शासक के ख़िलाफ़ थी जिस कारण से इन्हें राज्य से निष्कासित कर दिया गया। इसके तुरंत बाद जोश ने पत्रिका, कलीम (उर्दू में "वार्ताकार") की स्थापना की, जिसमें उन्होंने खुले तौर पर भारत में ब्रिटिश शासन से आज़ादी के पक्ष में लेख लिखा था, जिससे उनकी ख्याति चहुं ओर फेल गयी और उन्हें शायर-ए-इन्कलाब कहा जाने लगा और इस कारण से इनके रिश्ते कांग्रेस विशेषकर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मजबूत हुए। भारत में ब्रिटिश शासन के समाप्त होने के बाद जोश आज-कल प्रकाशन के संपादक बन गए, तो आईये आपको मिलाएं इनकी कुछ मशहूर शेरों से.....

मेरे रोने का जिस में क़िस्सा है
उम्र का बेहतरीन हिस्सा है

उस ने वा'दा किया है आने का 
रंग देखो ग़रीब ख़ाने का 

आड़े आया न कोई मुश्किल में 
मशवरे दे के हट गए अहबाब 

हाँ आसमान अपनी बुलंदी से होशियार 
अब सर उठा रहे हैं किसी आस्ताँ से हम 

इतना मानूस हूँ फ़ितरत से कली जब चटकी 
झुक के मैं ने ये कहा मुझ से कुछ इरशाद किया? 

सुबूत है ये मोहब्बत की सादा-लौही का 
जब उस ने वादा किया हम ने ए'तिबार किया 

इस दिल में तिरे हुस्न की वो जल्वागरी है 
जो देखे है कहता है कि शीशे में परी है 

एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के 
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है 

दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया 
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया 

 

मुझ को तो होश नहीं तुम को ख़बर हो शायद 
लोग कहते हैं कि तुम ने मुझे बर्बाद किया 

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