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Gulzar Biography in Hindi: प्रसिद्द गीतकार, लेखक और कवि गुलजार साहब का जीवन परिचय 

Gulzar Biography in Hindi: प्रसिद्द गीतकार, लेखक और कवि गुलजार साहब का जीवन परिचय

गुलजार एक महान लेखक, कवि एवं हिदी सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार है. हिंदी साहित्य में इन्होंने अनेक कविताएं, नाटक, गीत एवं लघुकथाओं की रचना की है. इसके अतिरिक्त हिंदी फिल्मों में इन्होंने गीतकार,कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक का कार्य किया है. वर्तमान ने गुलजार हिंदी फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ गीतकार है. 2009 में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिये उन्हे सर्वश्रेष्ठ गीत का ‘ऑस्कर पुरस्कार’ मिल चुका है, आईये जाने इनके बारे में विस्तार से....

गुलज़ार

गुलज़ार

पूरा नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा
प्रसिद्ध नाम गुलज़ार
अन्य नाम गुलज़ार साहब
जन्म 18 अगस्त, 1936
जन्म भूमि दीना गांव, झेलम ज़िला, (पाकिस्तान)
पति/पत्नी राखी गुलज़ार
संतान मेघना गुलज़ार
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र गीतकार, कवि, साहित्यकार, फ़िल्म निर्देशक
मुख्य रचनाएँ 'चौरस रात' (1962), 'जानम' (1963), 'एक बूँद चाँद' (1972)
मुख्य फ़िल्में 'मेरे अपने' (1971), 'आँधी' (1975), 'कोशिश' (1972), 'अंगूर' (1980), 'माचिस' (1996)
पुरस्कार-उपाधि ऑस्कर, ग्रैमी पुरस्कार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार, पद्मभूषण, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
नागरिकता भारतीय
भाषा हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी
अन्य जानकारी वर्ष 2009 में डैनी बॉयल द्वारा निर्देशित फ़िल्म स्लमडॉग मिलियनेयर में गुलज़ार द्वारा लिखे गीत 'जय हो...' के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार भी मिल चुका है। इसी गीत के लिये वे ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किये जा चुके हैं।

गुलजार साहब का जन्म | Gulzar's Early Life

गुलज़ार का जन्म 'संपूर्ण सिंह कालरा' के रूप में शनिवार, 18 अगस्त 1934 को ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) के पंजाब में झेलम जिले के दीना शहर में हुआ था। उनकी राशि सिंह है. वह पाकिस्तान में अपने गांव के एक स्थानीय स्कूल में पढ़ते थे। 1947 में भारत के विभाजन के कारण उनके परिवार को अलग होकर दिल्ली आना पड़ा। उनका परिवार दिल्ली के सब्जी मंडी इलाके में रहता था. दिल्ली में उन्होंने एक छोटी सी दुकान पर काम करना शुरू किया।

असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा
उपनाम गुलजार दिनवी (अब केवलगुलज़ार )
पेशा लेखक, गीतकार, फिल्म निर्देशक

गुलज़ार का परिवार। Gulzar Family 

गुलजार के पिता जी का नाम माखन सिंह कालरा था, और इनकी माताजी का नाम सुजान कौर था। गुलज़ार की माता से इनके पिता ने दूसरी शादी की थी और गुलजार अपनी माता की इकलौती संतान थे। और गुलज़ार की माता की मृत्यु भी बचपन में ही हो गया और इसके बाद इन्हे ना तो माँ का प्यार मिला और ना ही पिता का प्यार-दुलार गुलज़ार के परिवार में 9 भाई-बहन थे, और गुलजार इन भाई-बहनों में चौथे नंबर के थे। जिस कारण उनको परिवार से ज्यादा प्यार नहीं मिला। भारत विभाजन के दौरान गुलज़ार का परिवार दीना से पंजाब अमृतसर आ गए और गुलज़ार वहीँ से मुंबई आ गए। और यहाँ आकर उन्होंने मैकेनिक का काम करना शुरू किया। 

पिता माखन सिंह कालरा
माता सुजान कौर
भाई-बहन ज्ञात नहीं

गुलजार साहब की शारीरिक संरचना | Gulzar Physical structure

लम्बाई 5 फ़ीट 6 इंच
वजन 68 kg
बालों का रंग सफ़ेद
आँखों का रंग गहरा भूरा

गुलजार साहब की निजी जानकारी | Gulzar Personal Information

जन्मतिथि 18 अगस्त 1934
आयु (2022 के अनुसार ) 88 वर्ष
जन्मस्थान दीना, झेलम पंजाब, भारत (जो की अब पाकिस्तान में है)
राष्ट्रीयता भारतीय
राशि सिंह
हस्ताक्षर
गृहनगर मुंबई, भारत
स्कूल/विद्यालय ज्ञात नहीं
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय ज्ञात नहीं
शैक्षिक योग्यता ज्ञात नहीं
धर्म सिख
शौक/रूचि लिखना, किताबें पढ़ना और यात्रा करना

गुलजार साहब की शिक्षा | Gulzar's Education

इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली यूनाइटेड क्रिश्चियन स्कूल से की और इसके बाद दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ाई की। जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें अपना करियर बनाने के लिए मुंबई भेज दिया। मुंबई में आजीविका कमाने के लिए, गुलज़ार ने मुंबई में कई छोटी-छोटी नौकरियाँ करना शुरू कर दिया, जिसमें बेलासिस रोड पर विचारे मोटर्स के एक गैरेज में मैकेनिक और सुपरवाइज़र की नौकरी भी शामिल थी। गुलज़ार वहां रंगों के शेड्स मिलाकर दुर्घटना में क्षतिग्रस्त कारों को पेंट करते थे। गुलज़ार के अनुसार, उन्हें पेंटिंग करना पसंद था क्योंकि इससे उन्हें पढ़ने, लिखने, कॉलेज जाने और PWA (प्रगतिशील लेखक संघ) के साथ जुड़ने का पर्याप्त समय मिलता था। उनका मार्गदर्शन पाकिस्तानी कवि अहमद नदीम कासमी ने किया था।

गुलजार साहब के प्रेम संबंध/वैवाहिक स्थिति | Gulzar Affairs

गुलज़ार की शादी बॉलीवुड अभिनेत्री राखी के साथ हुई थी। राखी भी अपने समय की उच्च श्रेणी की अभिनेत्रियों में से एक अभिनेत्री हैं। उनके सभिनी के लिए उनको भी पद्मश्री जैसे कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इनका जन्म साल 1947 में 15 को हुआ था। राखी और गुलज़ार ने 15 मई 1973 को शादी की। लेकिन इनका यह रिश्ता कुछ ज्यादा लम्बे समय तक चल ना सका, राखी ने एक लड़की को जन्म दिया और इनकी बेटी जिनका नाम मेघना है, इनके जन्म के बाद गुलज़ार और राखी अलग हो गए लेकिन आज शादी के इतने सालों बाद भी इन्होने तलाक नहीं लिया। इनकी बेटी मेघना गुलज़ार (बास्की) भी फिल्म निर्देशन का काम भी करती हैं और वो लेखन का काम भी करती हैं।

Gulzar Favorite Things (गुलज़ार की पसंदीदा चीजें)

पसंदीदा किताब The Gardener (रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी गई)
पसंदीदा लेखक रबीन्द्रनाथ टैगोर
पसंदीदा गायक किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मोहित चौहान, रेखा भारद्वाज
पसंदीदा गीतकार शैलेन्द्र, साहिर लुधियानवी
पसंदीदा फिल्म निर्माता बिमल रॉय
पसंदीदा फिल्म निर्देशक आर. डी. बर्मन, एस. डी.बर्मन, विशाल भारद्वाज, ए आर रहमान।
पसंदीदा अभिनेत्री राखी

गुलज़ार के जीवन से जुड़े विवाद | Gulzar Controversies

70 के दशक में गुलज़ार की फिल्म आंधी आई थी, जो की काफी विवाद में आ गई क्योंकि इस फिल्म में मुख्य अभिनेत्री का चरित्र तत्कालीन सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के जैसे था।

परिवार, जाति और पत्नी | Gulzar Wife, Cast, Family And Children 

गुलज़ार कालरा सिख परिवार से हैं। उनके पिता का नाम माखन सिंह कालरा और माता का नाम सुजान कौर है। गुलज़ार के पिता ने तीन शादियाँ कीं, इसलिए उनके कई सौतेले भाई-बहन हैं। उनके एक बड़े भाई साहित्य में एमए थे, जिनसे वे विभिन्न साहित्यकारों के बारे में परामर्श लेते थे। गुलज़ार ने 15 मई 1973 को राखी गुलज़ार से शादी की। दंपति की मेघना गुलज़ार (बोस्की) नाम की एक बेटी है, जो एक फिल्म निर्देशक, निर्माता और लेखिका हैं। जब मेघना महज एक साल की थीं, तब आपसी मतभेद के कारण दोनों अलग हो गए।

गुलजार साहब का करियर | Gulzar Career

उन्होने 1963 में आई फिल्म बंदिनी से बतौर गीतकार अपने करियर की शुरुआत की। साल 1968 में उन्होंने फिल्म आशीर्वाद का संवाद लेखन किया। इस फिल्म में अशोक कुमार नजर आये थे। इस फिल्म के लिए अशोक कुमार को फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला था। इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों के गानों के बोल लिखे जिसके लिए उन्हें हमेशा आलोचकों और दर्शकों की तारीफें मिली। साल 2007 में उन्होंने हॉलीवुड फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर का गाना जय हो लिखा। उन्हें इस फिल्म के ग्रैमी अवार्ड से भी नवाजा गया। उन्होंने बतौर निर्देशक भी हिंदी सिनेमा में अपना बहुत योगदान दिया हैं। उन्होंने अपने निर्देशन में कई बेहतरीन फ़िल्में दर्शकों को दी हैं। जिन्हे दर्शक आज भी देखना पसंद करते हैं। उन्होंने बड़े पर्दे के अलावा छोटे पर्दे के लिए भी काफी कुछ लिखा है। जिनमे दूरदर्शन का शो जंगल बुक भी शामिल है।

गीतकार गुलजार कार्यक्षेत्र | Gulzar Work

गीतकार गुलजार ने हिन्दी सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत 1963 में बतौर गीतकार के रूप में एस डी बर्मन की फिल्म “बंधिनी” से की. इस फ़िल्म के लिए उन्होंने  “मोरा गोरा अंग लईले” नामक गीत लिखा. इसके बाद फिल्म ‘खामोशी’ (1969) के गीत “हमने देखी है उन आँखों की महकती खुशबु” के कारण उन्हें प्रसिद्धि मिली. उन्होंने वर्ष 1971 में फिल्म ‘गुड्डी: के लिए दो गाने लिखे. जिनमें से एक “हमको मन की शक्ति देना” एक प्रार्थना थी. जिसे आज भी भारत के कई स्कूलों में गाया जाता है.

वर्ष 1968 में गुलजार ने  फिल्म ‘आशीर्वाद’ का संवाद लेखन किया. इसके बाद 1971 में उन्होंने  ‘में मेरे अपने’ फ़िल्म से निर्देशन (डायरेक्टर) का कार्य शुरू किया. 1972 में उन्होंने संजीव कुमार के साथ फ़िल्म ‘कोशिश’ से निर्देशन तथा पटकथा का कार्य किया. इन्होंने प्रसिद्ध गज़ल गायक जगजीत सिंह की एल्बम मारसीम (1999), और कोई बात चले (2006) के लिए गज़लें लिखी हैं. इसके साथ लेखक गुलजार ने एलिस इन वंडरलैंड, गुच्चे, हैलो जिंदगी, पोटली बाबा की, आदि जैसी कई टीवी श्रृंखलाओं के लिए संवाद और गीत लिखे हैं. तथा इन्होंने छोटे पर्दे पर दूरदर्शन के कार्यक्रम ‘जंगल बुक’ के लिए प्रसिद्ध गीत “चड्डी पहन के फूल खिला है” को भी लिखा है.


गुलजार का काव्य लेखन | Gulzar Shayari 

गुलजार ने गीतों के साथ कई कविताओं की भी रचना की. उनकी कविता की भाषा मुल रूप से उर्दू और पंजाबी रही है. लेकिन उन्होंने हिन्दी की कई बोलियों में भी कविताएं लिखी है, जैसे खड़ीबोली, ब्रजभाषा, मारवाडी और हरियाणवीं इत्यादि. उनकी अधिकतर कविताएं त्रिवेणी शैली में है. इनकी कविताओं को 3 संकलन में प्रकाशित किया गया है – रात पश्मीना की, चांद पुखराज का और पंद्रह पांच पचहत्तर.

गुलजार के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें | Less Know Facts About Gulzar 

  • गुलज़ार का जन्म पाकिस्तान के झेलम जिले में हुआ था। लेकिन भारत विभाजन के दौरान इनका परिवार अमृतसर आ गया था।
  • गुलज़ार के पिता जी ने 2 शादियाँ की थी।
  • लेखन का काम करने से पहले ये मुंबई में मैकेनिक का काम करते थे। और खली समय में लेखन करते थे।
  • गुलज़ार को पढ़ना बहुत पसंद है। और लिखने की प्रेरणा भी इन्होने यहीं से ली। इन्होने लिखने की प्रेरणा रबीन्द्रनाथ टैगोर की द गार्डनर नामक पुस्तक पढ़ कर प्राप्त की।
  • गुलज़ार और उनकी पत्नी उनकी बेटी के जन्म के कुछ समय बाद ही अलग हो गए थे लेकिन आज तक उन्होंने एक दूसरे को तलाक नहीं दिया।
  • फिल्म क्षेत्र में वह फिल्म ख़ामोशी के गाने हमने देखी है उन आँखों की महकती खुशबू से प्रसिद्ध हुए थे।
  • खेल में गुलज़ार को टेनिस खेलना पसंद है, और वो अपने खाली समय में टेनिस खेलना पसंद करते हैं।

रचनाएँ | Gulzar  Writings

रचना संग्रह | Gulzar Novels

  • कुछ और नज्में – नज़्म संग्रह
  • छैंया-छैंया – गज़ल संग्रह
  • यार जुलाहे – नज़्म एवं गज़ल संग्रह
  • त्रिवेणी – त्रिवेणी संग्रह
  • पुखराज – नज़्म एवं त्रिवेणी संग्रह
  • रात पश्मीने की – नज़्म एवं त्रिवेणी संग्रह
  • चौरस रात -लघु कथाएँ, 1962
  • जानम -कविता संग्रह, 1963
  • एक बूँद चाँद -कविताएँ, 1972
  • रावी पार -कथा संग्रह, 1997
  • रात, चाँद और मैं -2002
  • खराशें -2003


प्रतिनिधि रचनाएँ | Gulzar Works

  • किस क़दर सीधा सहल साफ़ है यह रस्ता देखो
  • अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है
  • ज़ुबान पर ज़ायका आता था जो सफ़हे पलटने का
  • हमें पेड़ों की पोशाकों से इतनी-सी ख़बर तो मिल ही जाती है
  • दरख़्त रोज़ शाम का बुरादा भर के शाखों में
  • एक नदी की बात सुनी…
  • बारिश आने से पहले
  • मेरे रौशनदान में बैठा एक कबूतर
  • मकान की ऊपरी मंज़िल पर
  • माँ उपले थापा करती थी
  • किताबें झाँकती हैं
  • यारम
  • बोलिये सुरीली बोलियाँ
  • बड़ी तकलीफ़ होती है
  • प्यार वो बीज है
  • बस एक लम्हे का झगड़ा था
  • बीते रिश्ते तलाश करती है
  • हम को मन की शक्ति देना
  • पूरा दिन
  • रात चुपचाप दबे पाँव चली जाती है
  • देखो, आहिस्ता चलो
  • ख़ुदा
  • इक इमारत
  • अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो
  • जगजीत: एक बौछार था वो…
  • खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?
  • न आने की आहट
  • मेरा कुछ सामान
  • जय हो
  • सपना रे सपना
  • काली काली
  • रोको मत टोको मत
  • जंगल जंगल पता चला है
  • लौटूंगी मैं
  • तोते उड़ गए
  • टैगोर
  • बस एक चुप सी लगी है
  • चौदहवीं रात के इस चाँद तले
  • सितारे लटके हुए हैं तागों से आस्माँ पर
  • पूरे का पूरा आकाश घुमा कर
  • जिहाल-ए-मिस्कीं मुकों बा-रंजिश
  • गुलज़ार की त्रिवेणियाँ
  • मुझको भी तरकीब सिखा
  • हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं
  • ईंधन
  • ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा
  • आदतन तुम ने कर दिये वादे
  • आँखों में जल रहा है क्यूँ बुझता नहीं धुआँ
  • चलो ना भटके
  • दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
  • एक परवाज़ दिखाई दी है
  • एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी
  • हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
  • मैं अपने घर में ही अजनबी हो गया हूँ आ कर
  • नज़्म उलझी हुई है सीने में
  • क़दम उसी मोड़ पर जमे हैं
  • साँस लेना भी कैसी आदत है
  • शाम से आँख में नमी सी है
  • उदास नहीं
  • स्पर्श
  • वो ख़त के पुरज़े उड़ा रहा था
  • इक जरा छींक ही दो तुम
  • मौत तू एक कविता है
  • अफ़साने
  • रात भर सर्द हवा चलती रही
  • वो जो शायर था चुप सा रहता था
  • लैंडस्केप-1
  • लैंडस्केप-2
  • पेंटिंग-1
  • पेंटिंग-2
  • पेंटिंग-3
  • स्केच
  • वैन गॉग का एक ख़त
  • कुछ और मंजर-1
  • आम
  • अमलतास
  • खुमानी, अखरोट!
  • रिश्ते बस रिश्ते होते हैं
  • एक में दो
  • कुछ खो दिया है पाइके
  • किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से
  • वक्त को आते न जाते न गुजरते देखा
  • सितारे लटके हुए हैं तागों से आस्माँ पर
  • बर्फ़ पिघलेगी जब पहाड़ों से


प्रमुख फ़िल्में और टीवी सीरियल | Gulzar Movies & TV 

  • आँधी – 1975
  • इजाजत -1987
  • माचिस -1996
  • हु तू तू -1999
  • मौसम- 1975
  • अंगूर- 1982
  • परिचय – 1972
  • कोशीश – 1972
  • लेकिन – 1990
  • Raazi – 2018
  • मेरे अपने – 1971
  • खुशबू – 1975
  • किनारा – 1977
  • किताब – 1977
  • नमकीन – 1982
  • आचनक – 1973
  • लिबास – 1988
  • दस काहनियाँ – 2007
  • रुदाली – 1993
  • जस्ट मैरिड – 2007
  • मासूम -1983
  • आनंद – 1971
  • ओके जानू – 2017
  • साथिया – 2002
  • खामोशी – 1970
  • गुड्डी – 1971
  • मीरा – 1979
  • बसेरा – 1981
  • मिर्जा – 2016
  • इश्किया – 2010
  • बावर्ची -1972
  • आशीर्वाद – 1968
  • नमक हराम – 1973
  • खुबसुरत – 1980
  • डेढ़ इश्किया – 2014
  • चुपके चुपके – 1975
  • सदमा- 1983
  • घरौंदा – Gharaonda -1977
  • बंदिनी- 1963
  • किल दिल – Kill Dil – 2014
  • पलकों की छाँव में – 1977
  • Do Dooni Char – 1968
  • ज़रा सी ज़िन्दगी -1983
  • महबूब की मेहंदी -1971
  • एक अकार -1985
  • फ़रार- 1975
  • सुनीये – 1984
  • एक पाल -1986
  • क्या दिल्ली क्या लाहौर – 2014
  • चाची 420 – 1997
  • गृहप्रवेश -1979
  • मिर्ज़ा ग़ालिब -1988
  • किरदार -1993
  • जंगल बुक

Songs Written By Gulzar  

  • Kabhi Yun Bhi To Ho – Khwahish – A Dream Come True · 2012
  • Singaar Ko Rehne Do – Gulzar in Conversation with Tagore · 2016
  • Tujhse Naraz Nahin Zindagi – Masoom · 1960
  • Bujh Gaya Tha Kyun Diya – Gulzar in Conversation with Tagore · 2016
  • Nakhriley – Kill Dil · 2014
  • Rooh Dekhi Hai Kabhi – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Jagah Nahin Ab Dairy Mein – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Ek Kali Do Pattiyan – Main Aur Mera Saya · 1993
  • Main Ghoomta Hoon – Gulzar in Conversation with Tagore · 2016
  • Sunehari Koonje Jab – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Kabhi Kabhi Jab Main Baith Jaata Hoon – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Agar Aisa Bhi Ho Sakta – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Kill Dil – Sweeta · 2014
  • Tere Aankhon Se Hi – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Raat Bhar Sard Hava Chalti Rahi – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Khalaaon Mein Tairate Jazeeron Mein – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Kab Aate Ho – Kab Aate Ho · 2005
  • Os Padi Thhi Raat Bahut – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Khol Kar Bahon Ke Do – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Ek Lams Halka Subuk – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Sirf Ehsaas Ke Paas Ho Tum – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Us Din Ki Baat Hai – Main Aur Mera Saya · 1993
  • Yaad Hai Ek Din – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Mafia Love
  • Saans Lena Bhi – Gulzar’s Nazm · 2012
  • Baarish – India Music Week · 2013
  • Bas Ek Hi Sur Mein Ek Hi Laya Pe – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Pehle Se Kya Likha Thha – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Woh Khat Ke Purze – Marasim · 1999
  • Din Kuchh Aise Guzaarta Hai Koi – Nazm, Vol. 1 & 2 · 2012
  • Gulzar Speaks – Sehma Sehma -Marasim · 1999
  • Kachche Rang

मीना कुमारी और गुलज़ार | Meena Kumari And Gulzar 

मीना कुमारी और गुलज़ार के रिश्ते भावनाओं से भरे हुए रहे हैं। मीना ने मौत से पहले अपनी तमाम डायरी और शायरी की कापियाँ गुलज़ार को सौंप दी थीं। गुलज़ार ने उन्हें संपादित कर बाद में प्रकाशित भी कराया था। मीना-गुलज़ार की भेंट फ़िल्म ‘बेनज़ीर’ के सेट पर हुई थी। बिमल राय निर्देशक थे और गुलज़ार सहायक थे। शॉट रेडी होने पर स्टार को कैमरे तक लाने की जिम्मेदारी उनकी थी। यहीं से दोस्ती में अपनापन पनपता चला गया। बाद में गुलज़ार जब स्वतंत्र फ़िल्म निर्देशक बने तो फ़िल्म ‘मेरे अपने’ की मुख्य भूमिका गुलज़ार ने मीना को सौंपी। 1972 में मीना चल बसीं। ‘मेरे अपने’ कुछ समय बाद प्रदर्शित हुई और गुलज़ार स्वतंत्र फ़िल्म निर्देशक बन गए। आज भी गुलज़ार के ऑफिस में दीवार पर ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी का चित्र बोलता-सा नजर आता है।

संजीव कुमार और पंचम दा थे दोस्त | Sanjiv Kumar, Pancham Da And Gulzar 

फ़िल्म, 'मेरे अपने' (1971) से गुलज़ार ने बतौर फ़िल्म निर्माता भी अपने दिल की बातें पर्दे पर उतारीं। 1972 में उन्होंने एक और भावपूर्ण फ़िल्म बनाई, 'कोशिश'। इस फ़िल्म में संजीव कुमार और जया भादुड़ी ने गूंगे-बहरे (मूक-बधिर) का अभिनय कर दर्शकों की आँखें नम कर दी थीं। गुलज़ार की कलम सीधे दिल पर दस्तख़त करती है। उस पर संजीव कुमार से मिलकर, जैसे गुलज़ार की लेखनी को और सिफ़त हासिल हो गई। फिर दोनों लेखक और अदाकार से दोस्त हो गए। इस जोड़ी ने 1975 में 'आंधी' और 'मौसम' के अलावा 1981 और 1982 में क्रमशः 'अंगूर' और 'नमकीन' बनाई। 1987 में आई 'इजाज़त' भी उनके निर्देशन में बनी दिल छू लेने वाली फ़िल्म थी। उनकी बनाई फिल्मों की फ़ेहरिस्त लम्बी है। आरडी बर्मन (पंचम) भी गुलज़ार के ख़ास दोस्तों में एक थे जिनके साथ उन्होंने क़रीब 21 फ़िल्में बनाईं। सलिल चौधरी और एआर रहमान के साथ भी उनका काम यादगार रहा है। इस वक़्त उनके लफ़्ज़ों को सुरों में ढालने की ज़िम्मेदारी संगीतकार विशाल भारद्वाज निभा रहे हैं।

साहित्य लेखन | Gulzar Writing 

शैलेन्द्र ने शायद गुलज़ार में छुपे एक प्रतिभाशाली गीतकार, शायर और कवि को देख लिया था। संभवतः इसी हुनर से मुतअस्सिर होकर उन्होंने एसडी बर्मन से गुलज़ार की सिफ़ारिश की होगी। लिहाज़ा गुलज़ार, बर्मन दा की चौखट पर पहुँचे। इस वक़्त बर्मन दा 'बंदिनी' के गीतों को लेकर मस्रूफ़ थे। फिर भी गीतकार शैलेन्द्र की सिफ़ारिश थी, इसलिए उन्होंने गुलज़ार को एक गीत लिखने का मौका दिया। 5 दिन बाद गुलज़ार गीत लेकर बर्मन दा के पास पहुँचे। बर्मन दा को गीत भा गया। फिर यही गीत उन्होंने 'बंदिनी' के निर्देशक बिमल रॉय को गाकर सुनाया। बिमल दा की रज़ामंदी से भरी मुस्कान ने इस गीत को 'बंदिनी' के दीगर गीतों की फ़ेहरिस्त में जोड़ दिया। गीत के बोल थे- 'मोरा गोरा अंग लई ले, मोहे श्याम रंग दई दे / छुप जाऊंगी रात ही में, मोहे पी का संग दई दे'। साल था 1963 का। ख़ास बात यह थी कि गुलज़ार के सबसे पहले गीत को ही स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की आवाज़ मिली। इससे पहले 1961 में बिमल रॉय के सहायक के रूप में अपने हुनर को धार लगाई। फिर ऋषिकेश मुखर्जी और हेमंत कुमार का सान्निध्य भी पाया था। ख़ैर, 'बंदिनी' से मिली कामयाबी के बाद उनकी लेखनी ने रफ़्तार पकड़ ली। उन्होंने ऋषिकेश मुखर्जी के लिए 'आनंद' (1970), 'गुड्डी' (1971), 'बावर्ची' (1972) और 'नमक हराम' (1973) के साथ-साथ असित सेन के लिए 'दो दूनी चार' (1968), 'ख़ामोशी' (1969) और 'सफ़र' (1970) फ़िल्में लिखीं।

गुलज़ार द्वारा लिखित कुछ पुस्तकें | Gulzar Books

  • चौरस रात (लघु कथाएँ, 1962)
  • जानम (कविता संग्रह, 1963)
  • एक बूँद चाँद (कविताएँ, 1972)
  • रावी पार (कथा संग्रह, 1997)
  • रात, चाँद और मैं (2002)
  • रात पश्मीने की
  • खराशें (2003)

70 साल बाद पाकिस्तान यात्रा | Gulzar Pakistan Tour

गुलज़ार का जन्म विभाजन से पहले पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब के दीना में हुआ था। लेकिन विभाजन के बाद गुलज़ार अपने परिवार के साथ भारत आ गए थे। उस वक्त गुलज़ार की उम्र महज 8 साल थी। गुलज़ार ने अपने दिल में 70 साल तक अपनी एक इच्छा को जिंदा रखा। वह पाकिस्तान में बीते अपने बचपन, घर और गलियों को एक बार फिर देखना चाहते थे। अपनी इसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए गुलज़ार साल 2015 में पाकिस्तान गए। 70 साल बाद अपनी बचपन की यादों को ताजा कर पाकिस्तान से लौटे गुलज़ार ने पाकिस्तान जाने के अपने अनुभव को साझा भी किया था।

गुलज़ार ने पाकिस्तान में अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा था, "70 साल के बाद आप जब दोबारा उस जगह जाते हैं, वो घर वहां पाते हैं, वो गली वहां पाते हैं, वो स्कूल देखते हैं। तो ये बहुत ही भावनात्मक अनुभव होता है।" उन्होंने आगे कहा, "पाकिस्तान में अपने घर को देखकर मेरे बचपन की यादें ताजा हो गईं थी। उस समय मेरा कुछ पल अकेले रहने का मन था। मैं अकेले बैठकर रोना चाहता था लेकिन जब लोग आपको जानते हों तो ये आपके लिए कई बार अड़चन भी बन जाता है। क्योंकि जब उस वक्त लोगों की भीड़ आपके आसपास हो तो आप वो गली कैसे देखेंगे, भीड़ हटती तो पूरी गली देखता।" पाकिस्तान जाने के अनुभव को गुलज़ार साहब ने मराठी अखबार 'लोकमत' के गेस्ट एडिटर के तौर पर साझा किया था। उनकी इस पाकिस्तान यात्रा को दोनों देशों की मीडिया ने भी कवर किया था। गुलज़ार ने इस बारे में आगे कहा था कि पाकिस्तानी लोग बहुत अच्छे थे। उन्होंने मुझे मेरा घर अंदर से देखने दिया। कुछ बुज़ुर्ग वहां मिले, बहुत बूढे़ थे। कुछ तो मेरे परिवार वालों को जानते भी थे। एक मेरे बड़े भाई को जानते थे, एक को मेरी बहन का नाम पता था और एक को मेरी मां का नाम भी याद था। यही नहीं एक बुज़ुर्ग तो मेरे मामा को भी जानते थे। गुलज़ार ने कहा कि उन्होंने मेरे कई ऐसे रिश्तेदारों के बारे में भी पूछा जिनके बारे में हमें ही पता नहीं था कि वो अब कहां जाकर बस गए।

गुलज़ार आगे बोले, वहां मौजूद लोगों में एक ने पंजाबी में हंसकर बोला, 'तेरा बाप आता था तो किराए के पांच रुपए लेता था, अब मकान मालिक तू है और यहां आया है तो पांच रुपए ले जा।' गुलज़ार ने बताया था कि ये सब बातें सुनकर वह अकेले बैठकर रोना चाहते थे। वहां अकेले बैठकर कुछ वक्त बिताना चाहते थे। गुलज़ार ने यह भी कहा था कि ये सब सुनकर और देखकर उनका मन इतना भर आया कि वह वहां से बिना कुछ खाए चले गए। लोगों ने बहुत इंतजाम भी किए थे लेकिन उस वक्त उनका कुछ खाने का मन नहीं था और वह वहां से निकल गए। उनके इसी कदम को बाद में लोगों ने बुरा बर्ताव बताया था।

अवार्ड्स/सम्मान | Gulzar Awards

यहाँ पर गुलज़ार को प्राप्त पुरस्कार और सम्मानों की सूची यहाँ पर दी गई है...

  • साल 1972 में गुलज़ार को उनकी फिल्म कोशिश के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • फिल्म आंधी के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड प्राप्त किया।
  • गुलज़ार की फिल्म घरोंदा के गाने/गीत दो दीवाने शहर में के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार होने के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • साल 1980 में गुलजार की फिल्म गोलमाल के गाने आने वाला पल जाने वाला है। इसके लिए फिर से इन्हे सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • साल 1981 में इनको फिल्म थोड़ी सी बेवफाई के गाने हजार राहें मुड़ के देखी के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • साल 1984 में मासूम फिल्म के गीत तुझसे नाराज नहीं जिंदगी के लिए इन्हे सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • साल 1988 में इनको इजाजत के गीत मेरा कुछ सामान के लिए एक बार फिर से सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • 1990 में गुलज़ार को सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र उस्ताद अमजद अली खान के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

लगातार कई सालों तक प्राप्त हुए फिल्मफेयर पुरस्कार | Gulzar Filmfare Awards

  • यारा सिली सिली (लेकिन फिल्म )के लिए इन्हे 1991 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • फिल्म माचिस के लिए साल 1996 में इनको सर्वश्रेष्ठ मनोरंजन प्रदान करने लोकप्रिय फिल्म को राष्ट्रीय फिम पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • धुआं (उर्दू फिल्म ) को साल 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • साथिया फिल्म के गीत साथिया के लिए 2003 में इनको सर्वश्रेष्ठ गीतकार के सम्मान में फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • साल 2004 में इनको पद्मा भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • बंटी और बबली के गीत कजरा रे के लिए इनको साल 2006 में सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • साल 2008 में फिल्म स्लमडॉग मिलिनेयर के गीत जय हो को सर्वश्रेष्ठ मूल गीत के लिए ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
  • और इसी फिल्म (स्लमडॉग) के लिए एक मोशन पिक्चर, टेलीविजन और बाकि विजुअल मीडिया के लिए लिखित सर्वश्रेष्ठ गीतकार के तौर पर ग्रैमी अवॉर्ड प्राप्त किया।
  • फिल्म इश्किया के गीत दिल तो बच्चा है जी के लिए साल 2011 में सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
  • साल 2013 में फिल्म जब तक है जान के छल्ला गाने ले लिए इन्हे सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया था।
  • साल 2013 में इनको गीतकार, कवि, और फिल्म निर्देशक के रूप में फिल्म उद्योग में योगदान देने के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त हुआ।

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