Bashir Badr Shayari : मशहूर शायर बशीर बद्र की फेमस शायरियां, जिनसे कभी महफिलें गुलजार रहती थीं, आज वह अकेले में हैं
'निकल आए इधर जनाब कहां, रात के वक़्त आफ़ताब कहां'... बशीर बद्र. 7 साल की उम्र से लिख रहे हैं. ख़यालों की दुनिया की बातें. ज़िंदगी की फिलॉसफी पर. मोहब्बत पर. इंसान के चरित्र पर. ग़जल-शायरी को इबादत मानने वाले 85 साल के हो गए हैं और अपना लिखा ही भूल गए हैं. कोई आता है, उनका लिखा ही गाता है तो वह आगे की लाइन गाकर तारीफ़ कर देते हैं. ये भूल जाते हैं कि यह उन्हीं से निकल कर तो फ़िजाओं में बह रहा है.
मक़बूल शायर बशीर साहब डिमेंसिया बीमारी से जूझ रहे हैं. यह भूलने की बीमारी है. एक समय मुशाअरे और महफ़िल की शान माने जाने वाले बशीर आज तन्हा हैं. जिनके शेर कलम से होकर संसद तक पहुंच जाते हों उनकी ज़ुबान भी अब साथ नहीं देती. आगे क्या बताना उन्हीं का लिखा पढ़ लीजिए












