Akhlaq Mohammed Khan 'Shahryar' Biography In Hindi: देश के सबसे आधुनिक उर्दू शायरों में शामिल अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार'का जीवन परिचय
अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार' (Akhlaq Mohammed Khan 'Shahryar') का जन्म 16 जून 1936 और मृत्यु 13 फ़रवरी 2012 को हुई थी। ये उर्दू के मशहूर शायर थे। कुंवर अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान उर्दू शेरो-सुख़न की दुनिया में 'शहरयार' के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने फिल्मों के लिए भी गीत लिखे। भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर साबित हुई हिट फ़िल्म 'उमराव जान' की मशहूर ग़ज़ल आज भी लोगों की ज़बान पर है। अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान को ज्ञानपीठ पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई अहम सम्मानों से नवाज़ा गया था। उनकी अहम किताबों में 'ख़्वाब का दर बंद है', 'शाम होने वाली है', 'मिलता रहूंगा ख़्वाब में' आदि शामिल हैं, तो आईये आज आपको मिलाएं इनके जीवन परिचय से....
| अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार' |
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| पूरा नाम | अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार' |
| अन्य नाम | शहरयार |
| जन्म | 16 जून, 1936 |
| जन्म भूमि | ज़िला बरेली, उत्तर प्रदेश |
| मृत्यु | 13 फ़रवरी, 2012 |
| मृत्यु स्थान | ज़िला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश |
| कर्म भूमि | भारत |
| कर्म-क्षेत्र | उर्दू साहित्य |
| पुरस्कार-उपाधि | ज्ञानपीठ पुरस्कार, 2008) साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1987 |
| प्रसिद्धि | गीतकार, कवि |
| नागरिकता | भारतीय |
| अन्य जानकारी | वह उर्दू के चौथे साहित्यकार थे, जिन्हें ज्ञानपीठ सम्मान मिला था। इससे पहले फ़िराक गोरखपुरी, क़ुर्रतुल-एन-हैदर और अली सरदार जाफ़री को ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका था। |
शहरयार का जन्म | Akhlaq Mohammed Khan 'Shahryar' Birth
भारत के प्रमुख उर्दू कवियों और शिक्षाविदों में से एक "शहरयार" का असली नाम अख़लाक़ मोहम्मद खान था। उनका जन्म 16 जून 1936 को उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले के अमला में हुआ था।
शहरयार की शिक्षा | Akhlaq Mohammed Khan 'Shahryar' Education
हरदोई में अपनी प्रार्थमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, वे उच्च शिक्षा के लिए 1948 में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय चले गए। 1961 में अलीगढ से ही उर्दू में एम ए किया और 1966 में उर्दू विभाग अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय वाबस्ता हो गए। 1996 में यहीं से प्रोफेसर और उर्दू के अध्यक्ष के रूप में रिटायर हुए।
शहरयार की प्रसिद्धि
अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार' ने 'गमन' और 'आहिस्ता-आहिस्ता' आदि कुछ हिंदी फ़िल्मों में गीत लिखे, लेकिन उन्हें सबसे ज़्यादा लोकप्रियता 1981 में बनी और अभिनेत्री रेखा और फ़ारुख़ शेख अभिनीत फ़िल्म 'उमराव जान' से मिली। 'इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं', 'जुस्तजू जिस की थी उसको तो न पाया हमने', 'दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिये', 'कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता'- जैसे गीत लिख कर हिंदी फ़िल्म जगत में शहरयार बेहद लोकप्रिय हो गये थे।
शहरयार का करियर | Akhlaq Mohammed Khan 'Shahryar' Career
ऐसे समय में जब उर्दू शायरी में उदासी और विडंबना जैसे विषयों पर बहुत ज़ोर था, शहरयार साहब ने अलग राह ली और उर्दू शायरी के भीतर आधुनिकता का एक नया अध्याय पेश किया। शहरयार ने अपनी शायरी में जिस सादगी के साथ आज के इंसान की तकलीफ़ और दुःख-दर्द का बयान किया है वो अपने आप में एक मिसाल है। उन्होंने उर्दू शायरी के क्लासिकी रंग को बरक़रार रखते हुए जिस तरह आधुनिक वक़्त की समस्याओं का चित्रण अपनी शायरी में किया है वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। अपनी साहित्यिक उपलब्धियों के अलावा, उन्हें गीतकार के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने 'उमराव जान' और 'गमन' जैसी मशहूर बॉलीवुड फिल्मों के लिए गाने भी लिखे हैं।
हाकी, बैडमिंटन और रमी जैसे खेलों में दिलचस्पी रखने वाले शहरयार उर्दू शायरी की तरफ़ मशहूर शायर खलील उर रहमान आज़मी से निकटता के बाद आए। शुरूआती दौर में उनके कुछ कलाम कुंवर अख़लाक़ मोहम्मद के नाम से भी प्रकाशित हुए। लेकिन बाद में ख़लीलुर्रहमान आज़मी के कहने पर उन्होंने अपना तख़ल्लुस 'शहरयार' रख लिया था और आखिर तक इसी नाम से जाने जाते रहे। शहरयार अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द) अलीगढ़ में लिटरेरी सहायक भी रहे और अंजुमन की पत्रिकाओं 'उर्दू आदब' और 'हमारी ज़बान' के संपादक के तौर पर भी काम किया।
उनकी किताब 'ख्वाब के दर बंद हैं ' के लिए उन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड से भी नवाज़ा गया। शहरयार साहब फ़िराक़ गोरखपुरी, कुर्रतुलऐन हैदर, और अली सरदार जाफरी के बाद चौथे ऐसे उर्दू साहित्यकार हैं जिन्हे ज्ञानपीठ सम्मान भी मिला। उर्दू शायरी में अहम् भूमिका निभाने के लिए उन्हें और भी कई ख़िताब दिए गए हैं जिनमे उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी पुरस्कार, फ़िराक़ सम्मान, और दिल्ली उर्दू पुरस्कार प्रमुख हैं।
संग मील पब्लिकेशन्स पाकिस्तान से उनका कुल्लियात प्रकाशित हुआ जिसमें उनके शायरी के छ: संग्रह शामिल हैं । यही कुल्लियात 'सूरज को निकलता देखूँ' के नाम से भारत से भी प्रकाशित हो चुका है। उनके कलाम का अनुवाद फ्रेंच, जर्मन, रूसी, मराठी, बंगाली और तेलगू में हो चुका है ।
शहरयार की रचनाएँ | Akhlaq Mohammed Khan 'Shahryar' Literature/ Writings
- कटेगा देखिए दिन जाने किस अज़ाब के साथ / शहरयार
- ऐसे हिज्र के मौसम अब कब आते हैं / शहरयार
- ज़िंदगी जैसी तवक्को थी नहीं / शहरयार
- अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो / शहरयार
- दिल चीज़ क्या है / शहरयार
- हद-ए-निगाह तक ये ज़मीं / शहरयार
- हम पढ़ रहे थे ख़्वाब के पुर्ज़ों को जोड़ के / शहरयार
- इन आँखों की मस्ती के / शहरयार
- जुस्तजू जिस की थी / शहरयार
- ख़ून में लथ-पथ हो गये / शहरयार
- किस-किस तरह से मुझको / शहरयार
- किया इरादा बारहा तुझे भुलाने का / शहरयार
- नया अमृत / शहरयार
- ऐसे हिज्र के मौसम अब कब आते हैं / शहरयार
- हम पढ़ रहे थे ख़्वाब के पुर्ज़ों को जोड़ के / शहरयार
- जिन्दगी जैसी तमन्ना थी नहीं कुछ कम है / शहरयार
- इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं / शहरयार
- सीने में जलन / शहरयार
- ये क्या जगह है दोस्तों / शहरयार
- ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में / शहरयार
- ज़िन्दगी जैसी तमन्ना थी / शहरयार
- यह क़ाफ़िले यादों के कहीं खो गये होते / शहरयार
- सूरज का सफ़र ख़त्म हुआ रात न आयी / शहरयार
- इसे गुनाह कहें या कहें सवाब का काम / शहरयार
- मैं नहीं जागता / शहरयार
- महफिल में बहुत लोग थे मै तन्हा गया था / शहरयार
- शंख बजने की घड़ी / शहरयार
- दुश्मन-दोस्त सभी कहते हैं, बदला नहीं हूं मैं / शहरयार
- ये क़ाफ़िले यादों के कहीं खो गये होते / शहरयार
- बेताब हैं और इश्क़ का दावा नहीं हमको / शहरयार
- कहीं ज़रा-सा अँधेरा भी कल की रात न था / शहरयार
- मुझे मालूम है / शहरयार
- कलकत्ता-२०१० / शहरयार
शहरयार के पुरस्कार और सम्मान | Akhlaq Mohammed Khan 'Shahryar' Awards
- अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान वर्ष 2008 के लिए 44वें 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से नवाजे गये।
- समकालीन उर्दू शायरी के जगत में अहम भूमिका निभाने वाले शहरयार को 'उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी पुरस्कार', 'साहित्य अकादमी पुरस्कार', 'दिल्ली उर्दू पुरस्कार' और 'फ़िराक सम्मान' सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया।
- वह उर्दू के चौथे साहित्यकार थे, जिन्हें ज्ञानपीठ सम्मान मिला था। इससे पहले फ़िराक गोरखपुरी, क़ुर्रतुल-एन-हैदर और अली सरदार जाफ़री को ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका था।
शहरयार की मृत्यु | Akhlaq Mohammed Khan 'Shahryar' Death
प्रसिद्ध उर्दू शायर अख़लाक़ मुहम्मद खान का निधन 13 फ़रवरी, 2012 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ।

