Samachar Nama
×

Akbar Allahabadi Shayari: मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी की लिखी सबसे फेमस क्लासिक शायरी

/1

उर्दू जैसी शाइस्ता (मीठी) जुबान में जब वो अपने खास इलाहाबादी अंदाज में किसी पर तीखा तंज भी कसते थे तो सुनने वाला अपने आप ही वाह जनाब कह उठता था और उनकी शायरी का कायल हो जाता था. कुछ ऐसे ही थे ठेठ इलाहाबादी शायर अकबर इलाहाबादी. जिनकी जुबान में उर्दू की मिठास भी थी और इलाहाबाद का खालिस देसी अंदाज भी, तो आईये आज आपको मिलते हैं इनके कुछ मशहूर शेरों से

/1

अब तो है इश्क़-ए-बुताँ में ज़िंदगानी का मज़ा ,जब ख़ुदा का सामना होगा तो देखा जाएगा.

/1

आशिक़ी का हो बुरा उस ने बिगाड़े सारे काम, हम तो ए.बी में रहे अग़्यार (दुश्मन) बी.ए हो गए.

/1

इन को क्या काम है मुरव्वत से अपनी रुख़ से ये मुँह न मोड़ेंगे, जान शायद फ़रिश्ते छोड़ भी दें डॉक्टर फ़ीस को न छोड़ेंगे.

/1

इलाही कैसी कैसी सूरतें तू ने बनाई हैं, कि हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है.

/1

इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है, पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है.

/1

इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम (मुस्कान) भी हया भी, ज़ालिम में और इक बात है इस सब के सिवा भी.

/1

इस गुलिस्ताँ में बहुत कलियाँ मुझे तड़पा गईं, क्यूँ लगी थीं शाख़ में क्यूँ बे-खिले मुरझा गईं.

/1

उन्हें भी जोश-ए-उल्फ़त हो तो लुत्फ़ उट्ठे मोहब्बत का, हमीं दिन-रात अगर तड़पे तो फिर इस में मज़ा क्या है.

Share this story