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EPS-95 के तहत मिनिमम पेंशन में होगी बढ़ोतरी? सरकार ने कही ये बात

हर महीने की पहली तारीख कई बदलावों के साथ आती है और 1 अगस्त 2025 भी इससे अलग नहीं है। इस दिन से देश में एलपीजी सिलेंडर की कीमत, डिजिटल पेमेंट नियम, बैंक हॉलिडे, क्रेडिट कार्ड इंश्योरेंस, और सीएनजी/पीएनजी के दाम जैसी कई चीज़ों में बदलाव होने जा रहा है। ये सारे बदलाव आपकी रोजमर्रा की जिंदगी और फाइनेंशियल प्लानिंग को प्रभावित कर सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि 1 अगस्त से क्या-क्या बदलने वाला है और इसका असर आप पर कैसे पड़ेगा।  🔥 LPG सिलेंडर की कीमत में बदलाव की संभावना हर महीने की तरह 1 अगस्त को तेल कंपनियां LPG सिलेंडर की कीमतों की समीक्षा करेंगी। जुलाई में जहां कमर्शियल सिलेंडर ₹60 सस्ता हुआ था, वहीं घरेलू सिलेंडर की कीमत स्थिर रही थी। अब इस बार उम्मीद की जा रही है कि घरेलू LPG की कीमतों में राहत मिल सकती है। अगर ऐसा होता है तो रसोई का खर्च थोड़ा हल्का हो सकता है।  ⛽ CNG/PNG की कीमतों में बदलाव संभव CNG और PNG के दाम भी हर महीने रिवाइज किए जाते हैं। अप्रैल 2025 के बाद से इनकी कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मुंबई में अप्रैल में CNG ₹79.50/किलो और PNG ₹49/यूनिट तक पहुंच गई थी। अब अगस्त में इनके दाम में कटौती या बढ़ोतरी दोनों की संभावना है, जो आपके ट्रांसपोर्ट और घरेलू गैस बिल पर असर डालेगा।  ✈️ ATF कीमतों में बदलाव: हवाई यात्रियों पर असर Air Turbine Fuel (ATF) यानी विमान ईंधन की कीमतों में बदलाव का असर हवाई टिकटों की कीमतों पर सीधा पड़ता है। अगर 1 अगस्त को ATF महंगा होता है तो हवाई सफर महंगा हो सकता है और अगर कीमत घटती है, तो यात्रियों को राहत मिल सकती है।  📱 UPI ट्रांजैक्शन के नए नियम लागू डिजिटल पेमेंट सिस्टम को सुरक्षित और संतुलित बनाने के लिए NPCI ने UPI से जुड़े कुछ नए नियम लागू किए हैं:  थर्ड पार्टी ऐप्स (जैसे Google Pay, PhonePe, Paytm) पर एक दिन में सिर्फ 50 बार ही बैलेंस चेक किया जा सकेगा।  मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक अकाउंट्स को दिन में अधिकतम 25 बार देखा जा सकेगा।  AutoPay ट्रांजैक्शन (जैसे म्यूचुअल फंड SIP, OTT सब्सक्रिप्शन) तीन निर्धारित टाइम स्लॉट में ही प्रोसेस होंगे – सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1-5 बजे के बीच और रात 9:30 बजे के बाद।  इससे सर्वर लोड घटेगा और ट्रांजैक्शन फेल होने की समस्या कम होगी।  🏦 बैंक हॉलिडे की लंबी लिस्ट अगस्त 2025 में कुल 15 दिन बैंक बंद रहने वाले हैं। इसमें स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, रविवार और दूसरे-चौथे शनिवार की छुट्टियां शामिल हैं। अगर आपका कोई जरूरी बैंकिंग कार्य है, तो उसे समय रहते निपटा लें।  💳 क्रेडिट कार्ड इंश्योरेंस में कटौती SBI कार्ड ने घोषणा की है कि वह 11 अगस्त से कुछ को-ब्रांडेड कार्ड्स पर मिलने वाला एयर एक्सीडेंट इंश्योरेंस बंद करने जा रहा है। यह इंश्योरेंस ₹50 लाख से ₹1 करोड़ तक का होता था, जो अब ELITE और PRIME कार्ड्स पर उपलब्ध नहीं रहेगा। इससे उन कार्डधारकों को नुकसान होगा जो इस फ्री इंश्योरेंस बेनिफिट पर निर्भर थे।  📉 RBI करेगा ब्याज दरों पर फैसला 4 से 6 अगस्त के बीच RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक होगी। इसमें तय होगा कि लोन और सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दरों में कोई बदलाव किया जाए या नहीं। यदि दरों में बदलाव हुआ तो EMI और सेविंग्स पर सीधा असर देखने को मिलेगा।  🌾 किसानों को मिलेगा पीएम किसान योजना की 20वीं किस्त का पैसा 2 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से PM Kisan Yojana की 20वीं किस्त जारी करेंगे। इस दिन करीब 9.3 करोड़ किसानों के खातों में ₹2000 की राशि DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से भेजी जाएगी। यह किसानों के लिए त्योहारों से पहले राहत की खबर होगी।

देश के लाखों पेंशनधारकों की निगाहें इस समय एक ही सवाल पर टिकी हैं — क्या EPS-95 के तहत मिलने वाली मिनिमम पेंशन में इस बार त्योहारों के मौके पर बढ़ोतरी होगी? फिलहाल इस योजना के तहत पेंशनधारकों को हर महीने केवल ₹1000 की न्यूनतम पेंशन मिलती है, जो आज के समय में बेहद कम मानी जाती है। ट्रेड यूनियनों, पेंशनर्स संगठनों और कई सांसदों ने इसे बढ़ाने की जोरदार मांग की है। सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया जरूर दी है, लेकिन अब तक किसी ठोस फैसले की घोषणा नहीं हुई है।

EPS-95 क्या है?

Employees’ Pension Scheme (EPS-95) एक सोशल सिक्योरिटी स्कीम है, जिसे 1995 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद हर महीने पेंशन देना है। यह योजना EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) द्वारा संचालित की जाती है और EPF योजना का ही हिस्सा है। जहां EPF के तहत कर्मचारी को सेवा समाप्ति के बाद एकमुश्त रकम मिलती है, वहीं EPS के तहत महीने-दर-महीने तय पेंशन दी जाती है।

इस पेंशन की गणना कर्मचारी की आखिरी सैलरी और सेवाकाल (Service Years) के आधार पर होती है। हालांकि, इस स्कीम में मिलने वाली न्यूनतम पेंशन ₹1000 प्रति महीना है, जो पेंशनर्स के लिए पर्याप्त नहीं मानी जाती।

सरकार पर दबाव: सांसदों और यूनियनों की मांग

हाल ही में राज्यसभा में सांसद वाइको और एम. शन्मुगम ने EPS-95 की पेंशन बढ़ाने को लेकर सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि इतने वर्षों से लगातार मांग और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद पेंशन बढ़ाने पर फैसला क्यों नहीं हो पा रहा है? जब EPS फंड में पर्याप्त राशि है, तो फिर पेंशन बढ़ाने में अड़चन क्या है? और क्या त्योहारों के सीजन को देखते हुए सरकार इस दिशा में कोई राहत देने जा रही है?

सरकार का जवाब: फैसला अभी बाकी

लोकसभा में दिए गए जवाब में सरकार ने यह स्वीकार किया कि उसे ट्रेड यूनियनों, पेंशनधारकों और जनप्रतिनिधियों से EPS-95 की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की कई मांगें प्राप्त हुई हैं। लेकिन इसके साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि EPS-95 एक Defined Contribution-Defined Benefit स्कीम है, यानी इसमें जितना योगदान होता है, लाभ भी उसी के अनुसार तय होता है।

सरकार के अनुसार:

  • नियोक्ता (Employer) कर्मचारी की सैलरी का 8.33% EPS फंड में देता है।

  • केंद्र सरकार भी 1.16% का योगदान देती है (सिर्फ 15,000 रुपए तक की सैलरी वाले कर्मचारियों के लिए)।

2019 में फंड का जो मूल्यांकन (Valuation) किया गया था, उसमें यह सामने आया कि EPS फंड में Actuarial Deficit यानी अनुमान से कम फंडिंग की स्थिति है। इसके बावजूद सरकार न्यूनतम ₹1000 की पेंशन सुनिश्चित करने के लिए हर साल बजट से अलग फंड देती है।

क्या त्योहारों पर मिलेगा कोई तोहफा?

पेंशनधारकों की सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि रक्षाबंधन, स्वतंत्रता दिवस और गणेश चतुर्थी जैसे बड़े त्योहारों के बीच सरकार उन्हें राहत देगी। हालांकि, सरकार ने इस पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है। लोकसभा में कहा गया कि सरकार मौजूदा पेंशन व्यवस्था को बनाए रखने और न्यूनतम ₹1000 की गारंटी देने के लिए बजट सहायता देती रहेगी।

इसका सीधा अर्थ यह है कि फिलहाल मिनिमम पेंशन बढ़ाने को लेकर कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। पेंशनर्स को अब भी इस पर अंतिम निर्णय का इंतजार करना होगा।

पेंशनर्स की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी

देश में EPS-95 के तहत लाखों पेंशनधारक हैं, जिनमें से अधिकतर बुजुर्ग, विधवा या असहाय हैं। ₹1000 की मासिक पेंशन आज के बढ़ती महंगाई और चिकित्सा खर्चों के बीच न्यूनतम जीवन यापन के लिए भी पर्याप्त नहीं है। कई राज्यों और संगठनों ने सरकार से इसे कम से कम ₹3000–₹5000 प्रति महीना करने की मांग की है।

सरकार ने जरूर इस योजना में सुधार के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करने की बात कही है, लेकिन कोई अंतिम निर्णय या समयसीमा नहीं बताई गई है।

देश के लाखों पेंशनधारकों की निगाहें इस समय एक ही सवाल पर टिकी हैं — क्या EPS-95 के तहत मिलने वाली मिनिमम पेंशन में इस बार त्योहारों के मौके पर बढ़ोतरी होगी? फिलहाल इस योजना के तहत पेंशनधारकों को हर महीने केवल ₹1000 की न्यूनतम पेंशन मिलती है, जो आज के समय में बेहद कम मानी जाती है। ट्रेड यूनियनों, पेंशनर्स संगठनों और कई सांसदों ने इसे बढ़ाने की जोरदार मांग की है। सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया जरूर दी है, लेकिन अब तक किसी ठोस फैसले की घोषणा नहीं हुई है।

EPS-95 क्या है?

Employees’ Pension Scheme (EPS-95) एक सोशल सिक्योरिटी स्कीम है, जिसे 1995 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद हर महीने पेंशन देना है। यह योजना EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) द्वारा संचालित की जाती है और EPF योजना का ही हिस्सा है। जहां EPF के तहत कर्मचारी को सेवा समाप्ति के बाद एकमुश्त रकम मिलती है, वहीं EPS के तहत महीने-दर-महीने तय पेंशन दी जाती है।

इस पेंशन की गणना कर्मचारी की आखिरी सैलरी और सेवाकाल (Service Years) के आधार पर होती है। हालांकि, इस स्कीम में मिलने वाली न्यूनतम पेंशन ₹1000 प्रति महीना है, जो पेंशनर्स के लिए पर्याप्त नहीं मानी जाती।

सरकार पर दबाव: सांसदों और यूनियनों की मांग

हाल ही में राज्यसभा में सांसद वाइको और एम. शन्मुगम ने EPS-95 की पेंशन बढ़ाने को लेकर सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि इतने वर्षों से लगातार मांग और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद पेंशन बढ़ाने पर फैसला क्यों नहीं हो पा रहा है? जब EPS फंड में पर्याप्त राशि है, तो फिर पेंशन बढ़ाने में अड़चन क्या है? और क्या त्योहारों के सीजन को देखते हुए सरकार इस दिशा में कोई राहत देने जा रही है?

सरकार का जवाब: फैसला अभी बाकी

लोकसभा में दिए गए जवाब में सरकार ने यह स्वीकार किया कि उसे ट्रेड यूनियनों, पेंशनधारकों और जनप्रतिनिधियों से EPS-95 की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की कई मांगें प्राप्त हुई हैं। लेकिन इसके साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि EPS-95 एक Defined Contribution-Defined Benefit स्कीम है, यानी इसमें जितना योगदान होता है, लाभ भी उसी के अनुसार तय होता है।

सरकार के अनुसार:

  • नियोक्ता (Employer) कर्मचारी की सैलरी का 8.33% EPS फंड में देता है।

  • केंद्र सरकार भी 1.16% का योगदान देती है (सिर्फ 15,000 रुपए तक की सैलरी वाले कर्मचारियों के लिए)।

2019 में फंड का जो मूल्यांकन (Valuation) किया गया था, उसमें यह सामने आया कि EPS फंड में Actuarial Deficit यानी अनुमान से कम फंडिंग की स्थिति है। इसके बावजूद सरकार न्यूनतम ₹1000 की पेंशन सुनिश्चित करने के लिए हर साल बजट से अलग फंड देती है।

क्या त्योहारों पर मिलेगा कोई तोहफा?

पेंशनधारकों की सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि रक्षाबंधन, स्वतंत्रता दिवस और गणेश चतुर्थी जैसे बड़े त्योहारों के बीच सरकार उन्हें राहत देगी। हालांकि, सरकार ने इस पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है। लोकसभा में कहा गया कि सरकार मौजूदा पेंशन व्यवस्था को बनाए रखने और न्यूनतम ₹1000 की गारंटी देने के लिए बजट सहायता देती रहेगी।

इसका सीधा अर्थ यह है कि फिलहाल मिनिमम पेंशन बढ़ाने को लेकर कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। पेंशनर्स को अब भी इस पर अंतिम निर्णय का इंतजार करना होगा।

पेंशनर्स की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी

देश में EPS-95 के तहत लाखों पेंशनधारक हैं, जिनमें से अधिकतर बुजुर्ग, विधवा या असहाय हैं। ₹1000 की मासिक पेंशन आज के बढ़ती महंगाई और चिकित्सा खर्चों के बीच न्यूनतम जीवन यापन के लिए भी पर्याप्त नहीं है। कई राज्यों और संगठनों ने सरकार से इसे कम से कम ₹3000–₹5000 प्रति महीना करने की मांग की है।

सरकार ने जरूर इस योजना में सुधार के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करने की बात कही है, लेकिन कोई अंतिम निर्णय या समयसीमा नहीं बताई गई है।

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