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वाराणसी के मणि कर्णिका से तुलसी घाट तक गंगा उल्टी क्यों बहती है, क्या है इसके पीछे का रहस्य?

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वाराणसी, जिसे काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का आध्यात्मिक हृदय है। यहां की हर गली, घाट, मंदिर और धारा के पीछे एक पौराणिक कथा और आस्था की गहराई छिपी होती है। लेकिन एक रहस्य ऐसा है जो विज्ञान से भी परे है और आज भी भक्तों और शोधकर्ताओं को चौंकाता है—गंगा का उल्टी दिशा में बहना, खासकर मणिकर्णिका घाट से तुलसी घाट तक।

उल्टी दिशा में बहती गंगा: क्या है रहस्य?

भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा सामान्यतः उत्तर से दक्षिण या पश्चिम से पूर्व बहती है। लेकिन वाराणसी में एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है—यहां गंगा एक विशेष हिस्से में उत्तर की ओर बहती है, जिसे "उत्तरवाहिनी गंगा" कहा जाता है।

विशेष तौर पर मणिकर्णिका घाट से तुलसी घाट तक के हिस्से में गंगा की धारा दक्षिण से उत्तर की ओर उल्टी दिशा में बहती प्रतीत होती है। यह भौगोलिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत दुर्लभ है।

पौराणिक मान्यताएं: क्यों है यह धारा विशेष?

  1. काशी की रचना स्वयं शिव ने की
    मान्यता है कि काशी को भगवान शिव ने अपने त्रिशूल पर बसाया था। यहां मृत्यु का अर्थ मोक्ष है, इसलिए कहा जाता है कि जो काशी में प्राण त्यागता है, उसे पुनर्जन्म नहीं मिलता।

  2. उत्तरवाहिनी गंगा का विशेष महत्व
    शास्त्रों के अनुसार, जिस स्थान पर गंगा उत्तर की ओर बहती है, वह स्थल अत्यंत शुभ और मोक्षदायक होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तर दिशा को देवताओं की दिशा माना गया है और गंगा का उत्तर की ओर बहना, दिव्यता का प्रतीक है।

  3. मणिकर्णिका: मोक्ष भूमि
    मणिकर्णिका घाट को मुक्ति स्थान कहा जाता है। कहा जाता है कि स्वयं भगवान विष्णु ने यहां शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। यहां की गंगा धारा आत्मा को स्वर्ग की ओर ले जाती है, इसलिए उसकी दिशा भी प्रतीकात्मक रूप से “मोक्ष की ओर” यानी उत्तर की ओर है।

वैज्ञानिक नजरिया

भौगोलिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह उल्टा बहाव वास्तव में नदी की घुमावदार संरचना के कारण है। वाराणसी में गंगा एक विशाल यू-आकार का मोड़ लेती है, जिससे कुछ हिस्सों में पानी की धारा उत्तर की ओर मुड़ जाती है। यही कारण है कि मणिकर्णिका से तुलसी घाट तक का बहाव विपरीत दिशा में प्रतीत होता है।

 धार्मिक महत्व

  • उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है।

  • मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार करने से आत्मा को सीधे मोक्ष प्राप्त होता है।

  • तुलसी घाट से गंगा आरती और स्नान का विशेष महत्व है क्योंकि यह उत्तरवाहिनी बहाव के क्षेत्र में आता है।

निष्कर्ष

वाराणसी में गंगा का उल्टी दिशा में बहना एक साथ भौगोलिक चमत्कार और आध्यात्मिक संकेत है। जहां विज्ञान इसे नदी की संरचना का परिणाम मानता है, वहीं आस्था इसे ईश्वरीय इच्छा और मोक्ष का मार्ग बताती है। यही वाराणसी की विशेषता है—यहां हर रहस्य में आस्था है और हर आस्था में एक गहरा रहस्य।

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