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बकरीद कब है? क्यों मनाते हैं ईद-उल-अजहा? जानिए इसका महत्व और इतिहास

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बकरीद जिसे ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Azha) या बकरीद ईद भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार हर साल हिंदू कैलेंडर के अनुसार जुल्हज महीने के 10वें दिन मनाया जाता है। बकरीद का यह पर्व इस्लाम के पांच बड़े त्यौहारों में से एक है और इसे बलिदान की ईद भी कहा जाता है।

बकरीद कब है?

बकरीद की तारीख इस्लामिक चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती है, इसलिए यह हर साल ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदलती रहती है। 2025 में बकरीद 7 जून को मनाई जाएगी।

बकरीद क्यों मनाते हैं? इसका धार्मिक महत्व

बकरीद का त्योहार इस्लाम धर्म के पैगंबर इब्राहिम (हजरत इब्राहीम) की कहानी से जुड़ा है, जो अपने भगवान की आज्ञा का पालन करते हुए अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार थे। यह त्यौहार उसी बलिदान की याद दिलाता है।

पौराणिक कथा:

  • हजरत इब्राहीम को भगवान ने एक सपना दिखाया जिसमें उन्हें अपने प्यारे बेटे इसमाइल की कुर्बानी देनी थी। वे अपने बेटे के प्रति गहरा प्रेम होने के बावजूद भगवान की आज्ञा मानने के लिए तैयार हो गए।

  • जैसे ही वे बेटे की कुर्बानी देने वाले थे, भगवान ने एक मेमना भेजकर बेटे की जगह उस मेमने की कुर्बानी देने का आदेश दिया।

  • इस घटना को बलिदान का प्रतीक माना जाता है, जो अल्लाह की आज्ञा के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा को दर्शाता है।

बकरीद कैसे मनाई जाती है?

  • कुर्बानी देना: बकरीद पर मुसलमान अपने पास से किसी जानवर जैसे बकरी, भेड़, गाय या ऊँट की कुर्बानी देते हैं। यह कुर्बानी धार्मिक आस्था के अनुसार अल्लाह को समर्पित होती है।

  • नमाज़ अदा करना: त्योहार के दिन सुबह मस्जिद में विशेष नमाज़ अदा की जाती है जिसे "ईद की नमाज़" कहा जाता है।

  • दान और सहयोग: कुर्बानी के मांस का एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों में बांटा जाता है ताकि समाज के सभी वर्ग इस त्योहार का आनंद उठा सकें।

  • पारिवारिक मिलन: बकरीद के दिन परिवार के लोग एक साथ मिलते हैं, मिठाइयां बांटी जाती हैं और खुशियाँ मनाई जाती हैं।

बकरीद का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व

  • समर्पण और विश्वास: बकरीद हमें सिखाती है कि हमें अपने धर्म और ईश्वर के प्रति पूरी निष्ठा और विश्वास रखना चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।

  • सामाजिक एकता: इस त्योहार से समाज में दया, सहयोग और एक-दूसरे की मदद करने की भावना को बढ़ावा मिलता है।

  • गरीबों की मदद: कुर्बानी के माध्यम से जरूरतमंदों तक भोजन और सहायता पहुंचाना इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

निष्कर्ष

बकरीद यानी ईद-उल-अजहा एक ऐसा त्योहार है जो भक्ति, समर्पण और त्याग का संदेश देता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है, बल्कि समाज में प्रेम, एकता और मानवता के मूल्यों को भी मजबूत करता है। इसलिए हर मुसलमान बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ बकरीद मनाता है और अपने आसपास के लोगों के लिए दया और सहायता का संदेश फैलाता है।

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