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क्या है अहंकार ? 2 मिनट के लीक्ड फुटेज में जाने कैसे ये एक भाव इंसान को कर देता है अपनों से दूर ?

क्या है अहंकार ? 2 मिनट के लीक्ड फुटेज में जाने कैसे ये एक भाव इंसान को कर देता है अपनों से दूर ?

आज के समय में यदि कोई भावना इंसानी जीवन को सबसे अधिक प्रभावित कर रही है, तो वह है "अहंकार"। चाहे वो राजनीति हो, कॉरपोरेट जगत हो या आम पारिवारिक जीवन – हर जगह अहंकार की गूंज सुनाई देती है। यह एक ऐसा मानसिक जाल है, जो व्यक्ति को अपनी वास्तविकता से दूर कर देता है और उसे एक झूठे ‘मैं’ के भ्रम में उलझा देता है।अहंकार का जन्म तब होता है जब व्यक्ति अपनी उपलब्धियों, धन, ज्ञान या रूप पर जरूरत से ज्यादा गर्व करने लगता है। शुरू में यह आत्मविश्वास जैसा प्रतीत होता है, लेकिन धीरे-धीरे यह भाव व्यक्ति को आत्मकेंद्रित, जिद्दी और संवेदनहीन बना देता है। यही कारण है कि धर्म, दर्शन और मनोविज्ञान तीनों ही क्षेत्रों में अहंकार को त्यागने की बात कही गई है।


समाज में अहंकार के बढ़ते प्रभाव
आज के समाज में हम देखते हैं कि इंसान अपनी पहचान को दूसरों से बेहतर दिखाने की दौड़ में लगा हुआ है। सोशल मीडिया पर अपनी सफलताओं को दिखाना, दूसरों से तुलना करना और उन्हें नीचा दिखाने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। यह सब कहीं न कहीं अहंकार के पोषण का जरिया बन गया है। यही कारण है कि रिश्तों में दरारें, पारिवारिक विघटन और मानसिक तनाव तेजी से बढ़ रहे हैं।विशेषज्ञों के अनुसार, जब व्यक्ति अपने "अहं" को सर्वोपरि मानने लगता है, तब वह दूसरों की बात सुनना बंद कर देता है। इससे संवाद की गुंजाइश खत्म हो जाती है और मतभेद, संघर्ष और अलगाव की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अहंकार
हिंदू धर्म, बौद्ध दर्शन और जैन परंपरा में अहंकार को आत्मिक विकास में सबसे बड़ा अवरोधक बताया गया है। भगवद गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं – "जिसके भीतर अहंकार नहीं है, वही सच्चे ज्ञान को प्राप्त कर सकता है।"

संत कबीर दास भी कहते हैं:
"जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
सब अंधियारा मिट गया, जब दीपक देखा माहिं।"
यह पंक्तियां स्पष्ट करती हैं कि जब तक ‘मैं’ यानी अहंकार जीवित रहता है, तब तक ईश्वर या सत्य की अनुभूति नहीं हो सकती।

राजनीति और अहंकार: एक खतरनाक गठबंधन
राजनीति में अहंकार अक्सर सत्ता के साथ आता है। नेता जब जनसेवा के भाव से हटकर केवल पद, प्रतिष्ठा और शक्ति के मोह में डूब जाते हैं, तब उनका निर्णय आमजन के लिए विनाशकारी बन सकता है। इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि कई साम्राज्य सिर्फ एक व्यक्ति के अहंकार के कारण समाप्त हो गए।

अहंकार से मुक्ति के उपाय
विशेषज्ञ मानते हैं कि अहंकार से मुक्ति तभी संभव है जब व्यक्ति आत्ममंथन करे और स्वयं को नश्वर माने। ध्यान, सेवा, और विनम्रता ऐसे तीन गुण हैं जो अहंकार को धीरे-धीरे समाप्त कर सकते हैं। साथ ही, जीवन में बार-बार यह स्मरण करना चाहिए कि सब कुछ क्षणिक है – चाहे पद हो, पैसा हो या प्रसिद्धि।

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