
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए एक विशेष और पवित्र व्रत माना जाता है। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपवास रखती हैं और वट (बड़) वृक्ष की पूजा करती हैं। इस पर्व का सीधा संबंध देवी सावित्री और सत्यवान की कथा से जुड़ा है, जिसमें सावित्री ने अपने तप, श्रद्धा और संकल्प के बल पर यमराज से अपने पति के प्राण वापस ले लिए थे।
यह व्रत भक्ति, आस्था और परंपरा का प्रतीक है, लेकिन इसके विधिविधान से पूजन के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। बिना इन पूजन सामग्रियों के वट सावित्री व्रत अधूरा माना जाता है। आइए जानते हैं व्रत के दिन किन-किन सामग्रियों की जरूरत होती है।
वट सावित्री व्रत की आवश्यक पूजन सामग्री (पूरी लिस्ट)
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सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या चित्र
पूजन के लिए सावित्री-सत्यवान और यमराज का चित्र या मूर्ति आवश्यक होती है। -
वट (बड़) वृक्ष का तना या पेड़ के पास पूजन की व्यवस्था
अगर संभव हो तो बड़ के पेड़ के नीचे पूजन करें, नहीं तो पेड़ का प्रतीक रूप में डंडी भी प्रयोग की जा सकती है। -
हल्दी और कुमकुम
व्रत में हल्दी और कुमकुम का विशेष महत्व होता है। यह पूजा की शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। -
पवित्र जल (गंगाजल)
गंगाजल से मूर्तियों और वृक्ष को स्नान कराना शुभ माना जाता है। -
सिंदूर (विवाहित महिलाओं के लिए)
पूजा में सिंदूर का प्रयोग विशेष होता है, विशेषकर सुहागिन महिलाएं इसे अपने मांग में भरती हैं। -
धागा (सूत्र)
वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए इस पवित्र धागे को पेड़ पर लपेटा जाता है। इसे कच्चा धागा या कलावा भी कहते हैं। -
फल और मिठाई
पूजा के लिए 5 प्रकार के फल और मिठाई जैसे लड्डू या पेड़े चढ़ाए जाते हैं। -
भीगा हुआ चना और पूड़ी
यह पारंपरिक नैवेद्य का हिस्सा है, जिसे देवी सावित्री को अर्पित किया जाता है। -
धूप, दीप, कपूर और अगरबत्ती
पूजन में वातावरण को शुद्ध और भक्तिमय बनाने के लिए इन सामग्रियों का उपयोग आवश्यक है। -
नारियल
पूजा के समापन पर नारियल चढ़ाने की परंपरा है। -
सूत (धागा) – 9 या 16 तारों वाला
वट वृक्ष की परिक्रमा के समय इसी सूत को पेड़ के चारों ओर लपेटा जाता है। -
नई चूड़ियां और बिंदी
महिलाएं पूजन के समय नई चूड़ियां और बिंदी पहनती हैं और इन्हें देवी को भी अर्पित करती हैं। -
रोली, चावल (अक्षत), फूल-माला
पूजन में अक्षत और फूल विशेष महत्व रखते हैं।
निष्कर्ष:
वट सावित्री व्रत में सही विधि और पूर्ण सामग्री से पूजन करना बहुत जरूरी होता है। यह व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास, प्रेम और समर्पण का प्रतीक भी है। यदि व्रती महिलाएं उपरोक्त पूजन सामग्री का संपूर्ण ध्यान रखें, तो न केवल पूजा विधिपूर्वक संपन्न होती है, बल्कि मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।