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लाइफस्टाइल में की गई ये गलतियां बन सकती हैं आर्थिक बर्बादी का कारण, आज ही बदल डाले वायरल फुटेज में बताई गई ये आदतें 

लाइफस्टाइल में की गई ये गलतियां बन सकती हैं आर्थिक बर्बादी का कारण, आज ही बदल डाले वायरल फुटेज में बताई गई ये आदतें 

गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसे भगवान विष्णु ने स्वयं गरुड़ जी को सुनाया था, जिसमें जीवन, मृत्यु, कर्म, पाप-पुण्य, और मोक्ष से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है। खास बात यह है कि गरुड़ पुराण केवल मृत्यु के बाद के रहस्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन की आदतों और व्यवहार पर भी प्रकाश डालता है। यह ग्रंथ स्पष्ट रूप से बताता है कि किन आदतों और कर्मों के चलते मनुष्य जीवन में दरिद्रता यानी आर्थिक संकट का सामना करता है।आधुनिक जीवनशैली में कई ऐसी आदतें हैं जिन्हें हम सामान्य समझकर अपनाते हैं, लेकिन गरुड़ पुराण के अनुसार वे हमें धीरे-धीरे कंगाल बना सकती हैं। आइए जानें वे कौन सी आदतें हैं जिन्हें अगर समय रहते नहीं सुधारा गया, तो उनका असर न केवल आर्थिक स्थिति पर, बल्कि पूरे जीवन पर पड़ सकता है।

1. असंतुलित खर्च की आदत

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपनी आमदनी से अधिक खर्च करता है, वह शीघ्र ही दरिद्रता को प्राप्त करता है। आज के समय में कई लोग दिखावे और भौतिक सुखों की होड़ में अपनी क्षमता से ज्यादा खर्च करने लगते हैं। यह आदत धीरे-धीरे कर्ज और आर्थिक संकट की ओर ले जाती है। शास्त्रों के अनुसार, धन का विवेकपूर्ण और संयमित उपयोग ही जीवन को सुखद बना सकता है।

2. अलसता और प्रमाद (लापरवाही)

जो व्यक्ति आलसी होता है और समय पर अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करता, उसके पास चाहे जितना भी धन हो, वह जल्दी समाप्त हो जाता है। गरुड़ पुराण में प्रमाद यानी लापरवाही को महापाप बताया गया है। यह आदत न केवल कार्यक्षमता को नष्ट करती है बल्कि अवसरों से वंचित कर देती है, जिससे व्यक्ति धीरे-धीरे आर्थिक रूप से कमजोर हो जाता है।

3. धार्मिक कार्यों में अरुचि

गरुड़ पुराण यह भी बताता है कि जो व्यक्ति धर्म-कर्म से विमुख होता है, देवताओं और पूर्वजों की उपासना नहीं करता, वह कभी भी धन और सुख को स्थायी रूप से प्राप्त नहीं कर सकता। धार्मिक कार्यों, दान-पुण्य और पूजा-पाठ से मन और धन दोनों की शुद्धि होती है। इनसे जुड़ाव न रखने वाले लोगों के जीवन में दरिद्रता प्रवेश कर सकती है।

4. अशुद्ध और अस्त-व्यस्त जीवनशैली

शरीर और वातावरण की स्वच्छता को गरुड़ पुराण में अत्यंत आवश्यक बताया गया है। जो लोग गंदगी में रहते हैं, बिस्तर नहीं समेटते, वस्त्र अस्त-व्यस्त रखते हैं, उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार नहीं हो पाता। ऐसी नकारात्मकता आर्थिक हानि का कारण बनती है। साफ-सुथरा और व्यवस्थित जीवन केवल स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि समृद्धि का भी आधार होता है।

5. परिश्रम से जी चुराना

गरुड़ पुराण के अनुसार मेहनत और ईमानदारी से किया गया कार्य ही धनवृद्धि का मूल है। जो व्यक्ति काम से जी चुराता है, सिर्फ भाग्य या दूसरों पर निर्भर रहता है, उसका आर्थिक पतन निश्चित है। परिश्रम के बिना प्राप्त किया गया धन जल्दी समाप्त हो जाता है। इसलिए कर्मशील रहना ही स्थायी धन प्राप्ति का मार्ग है।

6. नशे और व्यसनों में लिप्त रहना

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि नशा करने वाले, जुआ खेलने वाले या अनैतिक गतिविधियों में लिप्त व्यक्ति का धन कभी टिक नहीं पाता। यह आदतें मनुष्य की सोचने-समझने की क्षमता को नष्ट कर देती हैं और वह गलत निर्णय लेता है, जिससे उसका आर्थिक नुकसान निश्चित हो जाता है।

7. सत्संग और ज्ञान से दूरी

जो व्यक्ति ज्ञान, विद्या और सत्संग से दूरी बना लेता है, वह धीरे-धीरे अज्ञानता की ओर बढ़ता है। अज्ञानता में लिया गया हर निर्णय जीवन को कंगाली की ओर ले जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, सत्संग और विद्वानों की संगति न केवल जीवन को दिशा देती है बल्कि वित्तीय समझ भी विकसित करती है।

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