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SIP Tips: चैन से कटेगा बुढ़ापा! अगर जान ली SIP शुरू करने की सही उम्र

वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले व्यक्ति) के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करना थोड़ा अलग होता है क्योंकि उनकी आय के स्रोत, उम्र और छूट की सीमा अलग होती है। ऐसे में सही ITR फॉर्म का चयन करना जरूरी हो जाता है, ताकि वे कानून के अनुसार टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकें और छूट का पूरा लाभ भी उठा सकें।  🧓 वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली आयकर छूट 60 वर्ष या उससे अधिक और 80 वर्ष से कम उम्र वालों को ₹3,00,000 तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता।  80 वर्ष से अधिक उम्र वाले 'अति वरिष्ठ नागरिकों' को ₹5,00,000 तक की आय पर टैक्स में पूरी छूट मिलती है।  सामान्य करदाताओं को यह छूट केवल ₹2,50,000 तक मिलती है।  यह छूट उन्हें एक बेहतर टैक्स प्लानिंग का अवसर देती है।  ❌ क्या रिटर्न फाइल करना जरूरी है? 75 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक विशेष छूट दी गई है। अगर उनकी आय का स्रोत केवल पेंशन और उसी बैंक से मिलने वाला ब्याज है, तो उन्हें ITR फाइल करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, इसके लिए उन्हें फॉर्म 12BBA भरकर संबंधित बैंक में घोषणा करनी होती है। इस प्रक्रिया के बाद ही रिटर्न फाइल करने से छूट मिलती है।  📄 वरिष्ठ नागरिकों के लिए ITR फॉर्म का चयन कैसे करें? आईटीआर फॉर्म का चुनाव उनकी कुल आय, आय के स्रोत और अन्य आर्थिक गतिविधियों पर निर्भर करता है। नीचे कुछ प्रमुख फॉर्म की जानकारी दी गई है:  ✅ ITR-1 (सहज फॉर्म) जिनकी आय सैलरी, पेंशन, एक घर से किराया, या अन्य स्रोतों (जैसे बैंक ब्याज) से है।  कुल आय ₹50 लाख से कम होनी चाहिए।  विदेश में कोई संपत्ति या आय नहीं होनी चाहिए।  कंपनी में निदेशक नहीं होना चाहिए।  नोट: यदि कोई वरिष्ठ नागरिक उपरोक्त शर्तों का पालन करता है तो वह ITR-1 का इस्तेमाल कर सकता है।  ✅ ITR-2 अगर आय में पूंजीगत लाभ (जैसे शेयर या म्यूचुअल फंड से कमाई) या एक से अधिक मकान की संपत्ति शामिल हो।  यदि विदेश में संपत्ति या विदेश से आय है।  सैलरी, पेंशन, ब्याज के साथ अगर कोई और इन्वेस्टमेंट से भी आय हो, तो भी यह फॉर्म उपयोगी है।  ✅ ITR-3 जिन वरिष्ठ नागरिकों की आय पेशेवर सेवाओं या व्यापार से होती है।  वे लोग जिन्हें ITR-1, ITR-2 या ITR-4 लागू नहीं होते।  ✅ ITR-4 (सुगम फॉर्म) यह फॉर्म उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए है जो व्यवसाय या फ्रीलांसिंग से आय कमाते हैं और प्रिज़मेटिव टैक्सेशन स्कीम को अपनाते हैं।  इसका उपयोग तभी करें जब आय ₹50 लाख से कम हो और फिक्स्ड प्रतिशत टैक्स लागू हो।  📝 निष्कर्ष: वरिष्ठ नागरिकों के लिए सही ITR फॉर्म चुनना उनकी आय की प्रकृति और टैक्स छूट को समझने पर निर्भर करता है। अगर सही फॉर्म चुना जाए तो न सिर्फ टैक्स नियमों का पालन आसान होता है, बल्कि टैक्स बचत और रिफंड का लाभ भी अधिक मिलता है।

अगर आप भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाना चाहते हैं, तो निवेश की शुरुआत जल्दी करना सबसे समझदारी भरा कदम होता है। SIP (Systematic Investment Plan) ऐसे ही निवेश का एक स्मार्ट तरीका है, जो छोटी रकम से शुरुआत कर लंबी अवधि में बड़ा फंड बना सकता है।

 SIP क्या होता है?

SIP एक ऐसी सुविधा है जिसमें आप हर महीने एक तय राशि म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। इसमें निवेश की गई राशि हर महीने अपने आप आपके बैंक खाते से कट जाती है और एक निश्चित म्यूचुअल फंड स्कीम में लगती है। यह निवेश का एक व्यवस्थित और अनुशासित तरीका है, जिसमें लंबी अवधि में कंपाउंडिंग का जादू दिखता है।

 SIP में निवेश की सही उम्र क्या है?

SIP में निवेश की कोई तय उम्र नहीं होती, लेकिन जितनी जल्दी आप शुरू करेंगे, उतना ज्यादा फायदा मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार:

  • 21 से 25 वर्ष की उम्र SIP शुरू करने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

  • इस उम्र में आमतौर पर फाइनेंशियल जिम्मेदारियां कम होती हैं, जिससे बचत करना और निवेश करना आसान होता है।

  • अगर आप इस उम्र में SIP शुरू करते हैं तो आपके पास निवेश के लिए लंबा समय होता है, जिससे कंपाउंडिंग का फायदा अधिक मिलता है।

 SIP से पैसा कैसे बढ़ता है?

SIP में निवेश पर कंपाउंड इंटरेस्ट यानी चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है। इसका मतलब है कि आपके निवेश पर मिलने वाला ब्याज भी आगे ब्याज कमाता है।

उदाहरण के लिए:

  • मान लीजिए आपने 25 साल की उम्र से हर महीने ₹2000 की SIP शुरू की।

  • 30 साल तक लगातार निवेश करते रहे (यानी 55 साल की उम्र तक)।

  • अगर औसत रिटर्न 12% सालाना मानें, तो आपकी SIP की कुल वैल्यू होगी लगभग ₹61,61,946

यह है छोटी रकम से बड़ा फंड बनाने का आसान तरीका।

 SIP में निवेश के फायदे

  1. कम राशि से शुरुआत: ₹500 या ₹1000 से भी निवेश शुरू किया जा सकता है।

  2. लंबी अवधि का लाभ: समय के साथ निवेश बढ़ता है और कंपाउंडिंग का असर मजबूत होता है।

  3. डिसिप्लिन और ऑटोमेशन: हर महीने ऑटो कट होने से बचत और निवेश की आदत बनती है।

  4. रिस्क का औसत: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद लंबे समय में रिटर्न अच्छे मिलते हैं।

  5. टैक्स लाभ: ELSS SIP में निवेश करके आप 80C के तहत टैक्स में छूट भी पा सकते हैं।

 SIP में क्या गलती नहीं करनी चाहिए?

कई लोग शेयर बाजार में गिरावट आते ही घबरा जाते हैं और अपनी SIP बंद कर देते हैं, जबकि यह सबसे बड़ी गलती होती है। बाजार गिरने पर आपको ज्यादा यूनिट्स मिलती हैं, जिससे लंबे समय में फायदा बढ़ता है। SIP में धैर्य और निरंतरता सबसे बड़ा मंत्र है।

 निष्कर्ष:

अगर आप कम उम्र से SIP में निवेश शुरू करते हैं, तो आप अपने फाइनेंशियल फ्यूचर को पूरी तरह से सुरक्षित कर सकते हैं। 21 से 25 की उम्र इस निवेश की आदत को अपनाने का सबसे सही समय है। याद रखें, “जल्दी शुरू करना ही बड़ा फंड बनाने की चाबी है।”

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