
हर साल ज्येष्ठ मास की तीज पर मनाया जाने वाला रंभा तीज व्रत इस बार 29 मई को रखा जाएगा। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाएं अपनी सुखी वैवाहिक जीवन, पति की लंबी आयु और समृद्धि की कामना के लिए करती हैं। रंभा तीज का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और इसे सुयोग्य मुहूर्त में करने का विशेष महत्व माना जाता है। आइए जानते हैं रंभा तीज व्रत का पूजा मुहूर्त, विधि और इसके पीछे छुपी पौराणिक कथा।
रंभा तीज व्रत कब रखा जाएगा?
इस साल रंभा तीज व्रत 29 मई, 2025 को मनाया जाएगा। यह तीज ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है। पूजा के लिए सुबह का समय सबसे शुभ माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, सुबह 6:00 बजे से 10:00 बजे तक का समय व्रत और पूजा के लिए बेहद फलदायक रहता है। इस समय पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है।
रंभा तीज व्रत की पूजा विधि
रंभा तीज व्रत की पूजा विधि सरल होते हुए भी पूरी श्रद्धा और भक्ति से की जाती है। इस व्रत के दौरान महिलाएं निर्जल या फलाहार रहकर पूजा करती हैं। पूजा के लिए जरूरी सामग्री में हल्दी, कुमकुम, मेवे, मिठाई, गंगा जल, साफ कपड़ा और फूल शामिल होते हैं।
पूजा की शुरुआत देवी रंभा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीप प्रज्ज्वलित कर उनकी आराधना से होती है। व्रत करने वाली महिलाएं देवी रंभा को हल्दी और कुमकुम अर्पित करती हैं और उनसे अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। इसके बाद पूजन स्थल पर हल्दी से मेहंदी लगाने की भी परंपरा है, जो पति की लंबी उम्र और खुशहाली का संकेत मानी जाती है। पूजा के बाद परिवार के बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर व्रती महिलाएं व्रत समाप्त करती हैं।
रंभा तीज व्रत के पीछे की पौराणिक कथा
रंभा तीज के व्रत से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है जो पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण की भावना को दर्शाती है। कथा के अनुसार, रंभा एक सुंदर अप्सरा थीं, जिनका पति भगवान शुक (शुकदेव जी) था। वे दोनों अत्यंत प्रेम और विश्वास के साथ एक-दूसरे के लिए समर्पित थे। एक बार कुछ गलतफहमी के कारण रंभा को अपने पति से दूर होना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए कठोर व्रत रखा। उनकी भक्ति से भगवान शुक ने उनकी पूजा स्वीकार की और दोनों का पुनर्मिलन हुआ।
इस कथा से प्रेरणा लेकर महिलाएं रंभा तीज व्रत करती हैं ताकि उनके वैवाहिक जीवन में प्रेम, विश्वास और सौहार्द बना रहे। यह व्रत पति की लंबी उम्र, घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए एक शुभ अवसर माना जाता है।
निष्कर्ष
रंभा तीज व्रत न केवल धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्यार और समर्पण का प्रतीक भी है। 29 मई को होने वाला यह व्रत विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने वैवाहिक जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाना चाहती हैं। पूजा मुहूर्त का ध्यान रखते हुए विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इसलिए इस वर्ष 29 मई को रंभा तीज का व्रत न भूलें और अपने परिवार के साथ मिलकर इसे धार्मिक उल्लास और श्रद्धा से मनाएं। इस पावन दिन की शुभकामनाएं!