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2 दिन रखा जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत, 32 घंटे लंबा होगा उपवास, जानिए तिथि, मुहूर्त और महत्व

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हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का व्रत विशेष महत्व रखता है। यह वर्ष की सबसे कठिन और पुण्यदायी एकादशी मानी जाती है। अन्य एकादशियों में जहां फलाहार या जल ग्रहण किया जाता है, वहीं निर्जला एकादशी पर जल तक का त्याग करना होता है। यही कारण है कि इसे "निर्जला" यानी बिना जल के एकादशी कहा जाता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को पूरे वर्ष की सभी 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।

निर्जला एकादशी 2025 की तिथि और शुभ समय

दृक पंचांग के अनुसार, 2025 में निर्जला एकादशी दो दिन मनाई जाएगी:

  • स्मार्त निर्जला एकादशी: 6 जून 2025, शुक्रवार

  • वैष्णव निर्जला एकादशी: 7 जून 2025, शनिवार

एकादशी तिथि 6 जून को सुबह 2:15 बजे से शुरू होकर 7 जून को सुबह 4:47 बजे तक रहेगी। हरि वासर (एकादशी व्रत का पारण करने का उपयुक्त समय) समाप्त होगा 7 जून को सुबह 11:25 बजे

व्रत विधि और नियम

निर्जला एकादशी का व्रत बेहद कठिन होता है और इसे नियमपूर्वक करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। इस दिन न तो अन्न ग्रहण किया जाता है और न ही जल।

क्या करें:

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

  • दिनभर जल और अन्न से पूरी तरह दूर रहें।

  • विष्णु सहस्रनाम, भगवद्गीता या हरि नाम का जाप करें।

  • शाम को दीप जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें।

  • गरीबों, ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और जल का दान करें।

स्मार्त और वैष्णव निर्जला एकादशी का अंतर

जब एकादशी तिथि दो दिनों तक चलती है, तो पहले दिन स्मार्त एकादशी और दूसरे दिन वैष्णव एकादशी मानी जाती है।

  • स्मार्त व्रत: सामान्य गृहस्थों द्वारा रखा जाता है।

  • वैष्णव व्रत: वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा।

गृहस्थ व्यक्ति भी वैष्णव व्रत रख सकते हैं, यदि वे वैष्णव परंपरा का पालन करें।

व्रत पारण का समय

व्रत का पारण हरि वासर के बाद किया जाता है:

  • स्मार्त व्रत पारण: 7 जून 2025, दोपहर 1:44 से 4:31 बजे तक

  • वैष्णव व्रत पारण: 8 जून 2025, सुबह 5:23 से 7:17 बजे तक

व्रत का धार्मिक महत्व

कथा के अनुसार, भीमसेन ने इस एकादशी का पालन किया था क्योंकि वे अन्य एकादशियों का पालन नहीं कर पाते थे। इसी वजह से इसे "भीमसेनी एकादशी" भी कहा जाता है। इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

निर्जला एकादशी व्रत के लाभ

  1. सभी एकादशियों का पुण्य एक साथ

  2. पापों का नाश और आत्मशुद्धि

  3. विष्णु लोक की प्राप्ति (मोक्ष)

  4. मानसिक और शारीरिक संयम में वृद्धि

  5. दान से कई गुना पुण्य लाभ

निष्कर्ष

निर्जला एकादशी आत्मसंयम, भक्ति और सेवा का अद्भुत संगम है। इसका पालन न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी खोलता है। यदि आप इस व्रत को श्रद्धा, नियम और संयम के साथ करते हैं, तो भगवान विष्णु की विशेष कृपा आप पर बनी रहती है।

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