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60 छोड़िए 40 से ही मिलने लगेगी पेंशन, ये है LIC का बंपर प्लान

अगर आप एक नौकरीपेशा व्यक्ति हैं और किराए के मकान में रहते हैं, तो आपके पास इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते समय HRA (हाउस रेंट अलाउंस) के तहत टैक्स छूट का दावा करने का अच्छा मौका होता है। लेकिन कई बार लोगों के मन में यह सवाल आता है कि HRA क्लेम करते समय मकान मालिक का PAN नंबर देना जरूरी है या नहीं? इसका जवाब हां है—पर कुछ शर्तों के साथ। आइए विस्तार से समझते हैं HRA छूट का मतलब, PAN नंबर की जरूरत और इससे जुड़े नियम।  HRA क्या है? HRA यानी हाउस रेंट अलाउंस एक ऐसा भत्ता है जो नौकरीपेशा लोगों को तब मिलता है जब वे किराए के घर में रहते हैं। यह सैलरी का हिस्सा होता है और सरकार इसके एक हिस्से पर टैक्स छूट देती है। यह छूट पुराने टैक्स सिस्टम (Old Regime) में ही मिलती है। अगर आप नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) को चुनते हैं, तो आपको HRA क्लेम करने की सुविधा नहीं मिलेगी।  कब जरूरी है मकान मालिक का PAN नंबर? अगर आप HRA के तहत टैक्स छूट का दावा करना चाहते हैं, तो आपको यह जानना जरूरी है कि किस स्थिति में मकान मालिक का PAN नंबर देना अनिवार्य होता है:  अगर आपका सालाना किराया ₹1 लाख से अधिक है (यानि ₹8,333 प्रति माह से ज्यादा), तो आपको मकान मालिक का PAN नंबर अपने एंप्लॉयर को देना होगा।  अगर किराया ₹1 लाख सालाना से कम है, तो PAN नंबर देने की जरूरत नहीं है।  अगर किराया ₹50,000 प्रति माह से अधिक है, तो मकान मालिक को खुद भी फॉर्म 26QC के तहत TDS जमा करना होता है और फॉर्म 16C किराएदार को देना होता है।  PAN नंबर नहीं दे रहा मकान मालिक? क्या करें? अगर मकान मालिक PAN नंबर देने से इनकार करता है, तब आप नीचे दिए गए विकल्पों पर विचार कर सकते हैं:  डिक्लेरेशन लेटर: मकान मालिक से एक लिखित पत्र लें जिसमें कहा गया हो कि उसके पास PAN नंबर नहीं है। इसमें मकान मालिक का नाम, पता, किराए की राशि आदि लिखी होनी चाहिए।  रेंट रसीद और बैंक स्टेटमेंट: किराया भुगतान से जुड़े सभी रसीद और बैंक ट्रांजैक्शन संभालकर रखें, ताकि अगर कभी टैक्स विभाग स्पष्टीकरण मांगे तो आपके पास सबूत मौजूद हों।  HRA क्लेम करने के लिए जरूरी दस्तावेज HRA छूट का दावा करते समय आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी:  मकान मालिक का नाम और पता  मकान मालिक का PAN नंबर (यदि सालाना किराया ₹1 लाख से अधिक है)  रेंट रसीदें (हर महीने या क्वार्टर की)  रेंट एग्रीमेंट (यदि उपलब्ध हो)  किराया अगर बैंक के माध्यम से दिया गया हो तो उसका बैंक स्टेटमेंट  ध्यान दें कि कई कंपनियां इन दस्तावेजों को वित्त वर्ष के अंत में प्रूफ ऑफ इन्वेस्टमेंट के समय मांगती हैं, इसलिए इन्हें समय पर तैयार रखें।  क्यों है यह नियम जरूरी? आयकर विभाग की मंशा है कि जो लोग टैक्स छूट का लाभ ले रहे हैं, वे पारदर्शिता से अपने दावों को साबित करें। PAN नंबर देने से मकान मालिक की टैक्स स्थिति भी ट्रैक की जा सकती है। इससे फर्जी HRA क्लेम पर रोक लगती है और टैक्स सिस्टम अधिक पारदर्शी बनता है।

हर व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा समय आता है, जब कमाई बंद हो जाती है लेकिन खर्चे जारी रहते हैं—वह समय होता है रिटायरमेंट का। ऐसे में अगर आपने पहले से कोई योजना नहीं बनाई हो, तो बुढ़ापे में आर्थिक परेशानी होना तय है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने एक खास योजना पेश की है — LIC Saral Pension Plan, जो रिटायरमेंट के बाद आपके हर महीने के खर्च को आसान बना सकता है।

इस योजना में एक बार निवेश करने पर आजीवन पेंशन का लाभ मिलता है। आइए जानते हैं इस स्कीम की खास बातें और इसमें निवेश से पहले किन 5 जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

1. 40 से 80 साल की उम्र के लोग ले सकते हैं लाभ

LIC सरल पेंशन योजना एक Immediate Annuity Plan है, जिसमें आपको एक बार में पूरी राशि जमा करनी होती है, और उसके बाद तुरंत पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इसमें 40 साल से 80 साल तक के व्यक्ति निवेश कर सकते हैं। यानी अगर आप 40 के हो गए हैं और रिटायरमेंट की प्लानिंग शुरू करना चाहते हैं, तो ये एक बेहतरीन विकल्प है।

2. दो विकल्प: सिंगल और जॉइंट लाइफ

इस योजना में आपको दो विकल्प मिलते हैं:

  • सिंगल लाइफ विकल्प: इसमें पॉलिसीधारक को जीवन भर पेंशन मिलती है। मृत्यु के बाद, पॉलिसी बंद हो जाती है और जमा राशि नॉमिनी को दी जाती है।

  • जॉइंट लाइफ विकल्प: इस विकल्प में पति-पत्नी दोनों को कवर किया जाता है। पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद, पेंशन जीवनसाथी को मिलती रहती है। दोनों के निधन के बाद नॉमिनी को राशि दे दी जाती है।

यह विकल्प उन लोगों के लिए बेहतर है जो अपने जीवनसाथी की भविष्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित करना चाहते हैं।

3. पेंशन की राशि निवेश पर निर्भर करती है

इस योजना में मिलने वाली पेंशन की राशि सीधे आपके निवेश पर निर्भर करती है। यानी जितना ज्यादा निवेश, उतनी ज्यादा पेंशन। उदाहरण के लिए:

  • अगर आपने 60 साल की उम्र में ₹10 लाख का निवेश किया, तो सालाना ₹64,350 पेंशन मिलती है।

  • अगर आपने इसे मासिक पेंशन के रूप में चुना है, तो आपको हर महीने लगभग ₹5,300 से अधिक पेंशन मिलेगी।

वहीं जॉइंट लाइफ विकल्प में, यदि पॉलिसीधारक की उम्र 60 साल और जीवनसाथी की 55 साल है, तो सालाना ₹61,600 पेंशन मिल सकती है।

4. लोन की सुविधा भी उपलब्ध

LIC सरल पेंशन प्लान में एक और शानदार सुविधा है—लोन की सुविधा। अगर आपने पॉलिसी लेने के 6 महीने बाद कोई जरूरी खर्च आ जाए, तो आप इस योजना के तहत लोन ले सकते हैं। यह विकल्प उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्हें आकस्मिक जरूरतों के लिए पैसों की आवश्यकता हो सकती है।

5. पेंशन भुगतान का तरीका चुनने की सुविधा

इस योजना की एक और खूबी यह है कि आप पेंशन के भुगतान का तरीका खुद तय कर सकते हैं:

  • मासिक

  • तिमाही

  • छमाही

  • वार्षिक

इससे आप अपने मासिक बजट और जरूरतों के अनुसार पेंशन को प्राप्त कर सकते हैं।

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