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वीडियो में जानिए ब्लैकआउट का सायरन बजते ही शिक्षकों की क्या है जिम्मेदारी ? तनाव की इस घड़ी में जाने वो ट्रेनिंग जो बचा सकती है हर जान

वीडियो में जानिए ब्लैकआउट का सायरन बजते ही शिक्षकों की क्या है जिम्मेदारी ? तनाव की इस घड़ी में जाने वो ट्रेनिंग जो बचा सकती है हर जान

जब खतरा आता है, तो सावधानी जीवन बचाती है। पूरे देश में हर स्कूल में, हर सेकंड मायने रखता है। क्योंकि हर बच्चा मायने रखता है।अलार्म बजेगा तो बिना किसी हिचकिचाहट के, हर शिक्षक को अपनी जिम्मेदारी संभालनी होगी। लाइटें बंद करें, पर्दे खींचे, खिड़कियाँ बंद और सभी अपनी डेस्क के नीचे या दीवार के पास खड़े हो जाए। वे हॉलवे, खेल के मैदान, बाथरूम साफ रखे, हर बच्चे को सुरक्षित जगह पर ले जाए। बड़े छात्र छोटे छात्रों की मदद करें। एक दूसरे की रक्षा करें। ऐसे समय में शिक्षक शांत रहे क्योंकि उनकी उपस्थिति आश्वस्त करने वाली होती है और आपातकालीन किट तैयार करें।

शिक्षक हर कमरे में घूमे और हर बच्चे का मार्गदर्शन करें। ब्लैकआउट को लेकर बच्चे अपने परिवार से बात करें उन्होंने स्कूल में क्या सीखा इसके बारे में जरूर बताएं। क्योंकि सुरक्षा जागरूकता से शुरू होती है। रात में, मोटे पर्दे लगाने या गहरे रंग के कपड़े का उपयोग करें क्योंकि ये किसी भी रोशनी को रोकने में मदद करते हैं। ऐसे समय में आपकी एक छोटी आपातकालीन किट, बुनियादी दवाइयाँ, एक टॉर्च, पानी और किसी भी स्थिति के लिए ज़रूरी सामान तैयार रखें।

उन तनावपूर्ण समय में, यदि कुछ शक्तिशाली घटित होता है तो पूरा स्कूल एकजुट होकर खड़ा हो और बिल्कुल भी डरें नहीं बल्कि पूरी ताकत से एक दूसरे के साथ खड़े रहे। क्योंकि जब हम एक साथ तैयारी करेंगे तो हम मज़बूती से खड़े हो सकेंगे। जब हम एक-दूसरे की रक्षा करेंगे तो हम राष्ट्र की रक्षा करेंगे और इस प्रकार हम भारत के भविष्य की रक्षा कर सकेंगे।
 

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