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कहीं आपका आत्मगौरव अहंकार तो नहीं बन रहा? वीडियो में जाने कैसे एक सकारात्मक भावना बन जाती है विनाशकारी अहंकार

कहीं आपका आत्मगौरव अहंकार तो नहीं बन रहा? वीडियो में जाने कैसे एक सकारात्मक भावना बन जाती है विनाशकारी अहंकार

हम सबने कभी न कभी यह वाक्य सुना है—"मुझे अपने काम पर गर्व है", या फिर "उसमें बहुत घमंड है"। पहली बात सकारात्मक लगती है, दूसरी नकारात्मक। लेकिन इन दोनों भावनाओं के बीच जो रेखा है, वह इतनी पतली होती है कि व्यक्ति को अक्सर पता ही नहीं चलता कि वह स्वाभिमान से फिसलकर अहंकार की ओर कब बढ़ गया।आज की भागती-दौड़ती दुनिया में, जहां सफलता को मापने का पैमाना दिखावा, उपलब्धि और प्रतिस्पर्धा बन चुका है, वहां यह फर्क समझना और भी जरूरी हो गया है।


गर्व: आत्मविश्वास और संतुलन का प्रतीक
गर्व एक स्वस्थ भावना है। जब कोई व्यक्ति अपने कार्य, मूल्यों या सिद्धांतों पर गर्व करता है, तो वह खुद को बेहतर करने की प्रेरणा देता है। जैसे किसी छात्र को अपने अच्छे अंकों पर गर्व होना, किसी कलाकार को अपनी कला पर गर्व होना या किसी व्यक्ति को अपने नैतिक फैसलों पर गर्व होना। यह व्यक्ति के आत्मसम्मान को बढ़ाता है और उसे समाज के प्रति जिम्मेदार बनाता है।गर्व, किसी और को नीचा दिखाने के लिए नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति को अपने ही मानकों पर खरा उतरने का एहसास कराता है।

घमंड: दूसरों से श्रेष्ठ होने का भ्रम
वहीं दूसरी ओर, घमंड तब पैदा होता है जब व्यक्ति को लगने लगता है कि वह दूसरों से ऊपर है। यह भावना धीरे-धीरे इंसान को अंधा बना देती है। घमंडी व्यक्ति न तो दूसरों की सलाह सुनना पसंद करता है, न आलोचना सह पाता है। उसे लगता है कि उसकी बात सबसे ऊपर है और वही सही है।घमंड में व्यक्ति यह भूल जाता है कि सफलता स्थायी नहीं होती और समय किसी का एक जैसा नहीं रहता। यही वजह है कि इतिहास और पौराणिक कथाओं में भी घमंड को विनाश का कारण बताया गया है।

कब गर्व बनता है घमंड?
यह पहचानना मुश्किल हो सकता है कि आप गर्व में हैं या घमंड में। लेकिन कुछ संकेत हैं जो इस फर्क को समझने में मदद कर सकते हैं:
क्या आप दूसरों की आलोचना को नज़रअंदाज़ करते हैं?
क्या आपको लगता है कि आपको किसी से कुछ सीखने की जरूरत नहीं है?
क्या आप खुद को हमेशा दूसरों से बेहतर समझते हैं?
क्या आप अपनी सफलताओं का दिखावा करते हैं और दूसरों की उपेक्षा?
अगर इन सवालों के जवाब "हां" हैं, तो यह संकेत हो सकते हैं कि गर्व अब अहंकार में बदल रहा है।

समाज और रिश्तों पर असर
अहंकार सिर्फ व्यक्ति को नहीं, बल्कि उसके पूरे सामाजिक और पारिवारिक जीवन को प्रभावित करता है। घमंडी व्यक्ति रिश्तों में दूरी बना लेता है। सहयोग की भावना खत्म हो जाती है और धीरे-धीरे लोग उससे कटने लगते हैं। वहीं, विनम्र और आत्मगौरव वाला व्यक्ति लोगों से जुड़ा रहता है और सम्मान प्राप्त करता है।

कैसे बचें अहंकार के जाल से?
आत्मचिंतन करें – दिन के अंत में अपने व्यवहार और विचारों पर विचार करें।
विनम्रता अपनाएं – यह कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी की निशानी है।
सीखने की भावना रखें – हर व्यक्ति कुछ न कुछ सिखा सकता है।
सफलता को सेवा से जोड़ें – जो आपने पाया है, उसे समाज के लिए उपयोग करें।

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