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इस विराल वीडियो में जानिए प्रेम और पसंद के बीच असली फर्क? कहीं आप तो नहीं कर रहे इन दोनों भावनाओं को एक समझने की गलती 

इस विराल वीडियो में जानिए प्रेम और पसंद के बीच असली फर्क? कहीं आप तो नहीं कर रहे इन दोनों भावनाओं को एक समझने की गलती 

हम अक्सर अपने जीवन में ऐसे लोगों से मिलते हैं जो कहते हैं, "मुझे उससे प्यार हो गया है," या फिर, "मुझे वो बहुत पसंद है।" लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि प्रेम (Love) और पसंद (Like) में असल में कितना गहरा अंतर है? कई बार हम जिसे केवल पसंद करते हैं, उसे ही प्रेम मान बैठते हैं, और जब समय कठिन होता है, तो सच्चाई सामने आती है।आज की इस तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में भावनाओं की परिभाषा जितनी तेज़ी से बदल रही है, उतनी ही गहराई से हमें इनके अर्थ को समझना भी जरूरी हो गया है। खासकर प्रेम और पसंद के बीच के फर्क को न समझ पाना कई रिश्तों में भ्रम और टूटन की वजह बन जाता है।

पसंद: सतही आकर्षण या अस्थायी जुड़ाव
जब हम किसी को पसंद करते हैं, तो अक्सर उसका जुड़ाव बाहरी गुणों से होता है। जैसे किसी की मुस्कान, पहनावा, बातचीत का तरीका या फिर उसका आत्मविश्वास। यह आकर्षण बेहद सुंदर और उत्साहित करने वाला होता है, पर इसकी गहराई सीमित होती है।पसंद एक प्रारंभिक प्रतिक्रिया है — जब आप किसी के साथ समय बिताना चाहते हैं क्योंकि वो इंसान अच्छा लगता है, बातों में मजा आता है, या फिर उसके साथ सब आसान लगता है। लेकिन क्या ये ही बातें प्रेम के दायरे में आती हैं? नहीं। पसंद एक स्थिति है जो बदल भी सकती है, और समय के साथ खत्म भी।उदाहरण के तौर पर, आपको चॉकलेट आइसक्रीम पसंद हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप उसके बिना जी नहीं सकते। इसी तरह किसी इंसान को पसंद करना, यह दर्शाता है कि आप उसके साथ रहना चाहते हैं – जब तक वह आपकी उम्मीदों पर खरा उतरता है।

प्रेम: समर्पण और स्वीकार्यता
अब बात करते हैं प्रेम की। प्रेम एक गहरी भावना है, जो न केवल सामने वाले के गुणों को, बल्कि उसकी खामियों को भी अपनाने की शक्ति रखता है। जब आप किसी से प्रेम करते हैं, तो आप केवल उसकी अच्छाइयों से नहीं, बल्कि उसकी कमजोरियों से भी जुड़ जाते हैं।प्रेम में शामिल होता है त्याग, समर्पण, समझ, धैर्य और सहनशीलता। आप उस व्यक्ति की खुशी को अपनी खुशी से ऊपर रख देते हैं। प्रेम की परीक्षा तब होती है जब हालात विपरीत हों — जब सामने वाला कमजोर, परेशान या असहज हो, और आप फिर भी उसके साथ बने रहें।प्रेम में आप बदलने की कोशिश नहीं करते, बल्कि एक-दूसरे को वैसे ही स्वीकार करते हैं जैसे वे हैं। चाहे उनके विचार आपसे मेल खाएं या न खाएं, आप उन्हें अपनाने की भावना रखते हैं।

क्या आप प्रेम को पसंद समझ बैठे हैं?
आज की युवा पीढ़ी खासतौर पर पसंद और प्रेम में अंतर नहीं कर पाती। उन्हें लगता है कि जो उन्हें आकर्षित करता है, वही उनका सच्चा प्रेम है। और जब आकर्षण कम होने लगता है या जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, तो वे समझ नहीं पाते कि रिश्ता क्यों टूटने की कगार पर आ गया है।सोशल मीडिया और वर्चुअल संबंधों की दुनिया में हम अक्सर लोगों की "हाईलाइट रील" देखते हैं और उसी में खो जाते हैं। लेकिन असल प्रेम तब दिखाई देता है जब आप उस व्यक्ति के साथ उसके असुरक्षित, थके हुए, निराश चेहरों को भी उतनी ही सहजता से स्वीकार करें।

प्रेम और पसंद के बीच ये 5 बड़े अंतर याद रखें:
पसंद क्षणिक होती है, प्रेम स्थायी।
पसंद स्वार्थ आधारित हो सकती है, प्रेम निःस्वार्थ होता है।
पसंद को बदलने की इच्छा होती है, प्रेम में स्वीकार्यता होती है।
पसंद सुंदरता देखती है, प्रेम आत्मा को महसूस करता है।
पसंद तब तक होती है जब तक सब ठीक हो, प्रेम तब भी होता है जब कुछ भी ठीक न हो।

प्रेम और पसंद के बीच के फर्क को समझना हर रिश्ते की बुनियादी ज़रूरत है। अगर आप इसे नहीं समझते, तो आप बार-बार भ्रमित होंगे और हर रिश्ते में वही गलतियाँ दोहराएंगे। अगर आपको किसी की मुस्कान अच्छी लगती है, उसका अंदाज़ पसंद आता है — तो ये पसंद हो सकती है। लेकिन अगर आप उसके आंसुओं में खुद को शामिल पाते हैं, उसकी खामियों में भी सुंदरता महसूस करते हैं — तो ये प्रेम है।
इसलिए अगली बार जब आप किसी के लिए भावनाएँ महसूस करें, तो खुद से यह सवाल ज़रूर करें — "क्या मैं उसे सिर्फ पसंद करता हूँ या वास्तव में उससे प्रेम करता हूँ?" यही सवाल आपके जीवन की दिशा तय कर सकता है।

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