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जीवन में खुशहाली और सफलता चाहिए तो अपनाएं गरुड़ पुराण के ये अनमोल सूत्र! हर बुरे समय से मिलेगी मुक्ति, वीडियो में जाने विस्तार से 

जीवन में खुशहाली और सफलता चाहिए तो अपनाएं गरुड़ पुराण के ये अनमोल सूत्र! हर बुरे समय से मिलेगी मुक्ति, वीडियो में जाने विस्तार से 

सनातन धर्म में गरुड़ पुराण को एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण ग्रंथ माना गया है। यह महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित 18 पुराणों में से एक है और इसे विष्णु पुराण के समान ही विशेष महत्व प्राप्त है। यह पुराण न केवल मृत्यु के बाद की यात्रा और कर्मों के फल का वर्णन करता है, बल्कि जीवित व्यक्ति के लिए भी मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। गरुड़ पुराण में बताए गए सिद्धांत, नियम और जीवनशैली के सूत्र अगर व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले, तो उसका जीवन सुख, समृद्धि और शांति से भर सकता है।

संयमित जीवनशैली का महत्व

गरुड़ पुराण के अनुसार एक व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में संयम और अनुशासन लाना बेहद आवश्यक है। अनियमित जीवन, देर रात तक जागना, अपवित्र आहार लेना और आलस्य करना — ये सब जीवन में नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। इसलिए कहा गया है कि व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए, स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए और सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और आत्मिक बल भी प्राप्त होता है।

सत्कर्म ही हैं असली धन

गरुड़ पुराण में बार-बार इस बात पर जोर दिया गया है कि जीवन का असली सार धन-संपत्ति नहीं बल्कि अच्छे कर्म हैं। अगर आप दूसरों की मदद करते हैं, परोपकार करते हैं, सत्य बोलते हैं और अहिंसा के मार्ग पर चलते हैं, तो आपको न केवल समाज में मान-सम्मान मिलेगा बल्कि ईश्वर की कृपा भी प्राप्त होगी। गरुड़ पुराण कहता है कि मृत्यु के बाद केवल कर्म ही व्यक्ति के साथ जाते हैं, ना कोई रिश्ता, ना धन-दौलत।

माता-पिता और गुरु का सम्मान

गरुड़ पुराण में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता, गुरु और बुजुर्गों का आदर करता है, उसकी सभी बाधाएं स्वयं दूर होती जाती हैं। यह एक ऐसा सिद्धांत है, जो जीवन के हर पड़ाव पर सफलता दिलाने में सहायक होता है। जिन घरों में बड़ों का सम्मान होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है और वह परिवार हमेशा सुखी रहता है।

दान और पुण्य का महत्व

गरुड़ पुराण में दान को अत्यधिक पुण्यदायक बताया गया है। लेकिन दान करते समय उसका उद्देश्य अहंकार नहीं, बल्कि विनम्रता और सेवा भाव होना चाहिए। यह भी कहा गया है कि जरूरतमंद को किया गया गुप्त दान सबसे श्रेष्ठ होता है। अनाज, जल, वस्त्र, शिक्षा और औषधि का दान विशेष रूप से फलदायक माना गया है। दान न केवल वर्तमान जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि यह आने वाले जन्मों में भी शुभ फल प्रदान करता है।

ईर्ष्या, क्रोध और लालच से बचें

गरुड़ पुराण में मनुष्य को जीवन के तीन सबसे बड़े शत्रु बताए गए हैं – ईर्ष्या, क्रोध और लालच। इनसे ग्रस्त व्यक्ति ना तो कभी मानसिक शांति पा सकता है और ना ही भौतिक सुखों का आनंद ले सकता है। ऐसे लोग धीरे-धीरे अपने आत्मबल और सामाजिक छवि दोनों को खो देते हैं। इसलिए गरुड़ पुराण हमें इन विकारों से दूर रहने की शिक्षा देता है और ध्यान, साधना एवं संतोष का मार्ग अपनाने की सलाह देता है।

नित्य पाठ और जप का प्रभाव

गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि नियमित रूप से धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन, मंत्रों का जप और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शुद्धता आती है। इससे मन शांत होता है, बुद्धि तेज होती है और जीवन की नकारात्मक ऊर्जा धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है। विशेष रूप से "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" और "ॐ गं गणपतये नमः" जैसे मंत्रों का नित्य जप बहुत शुभ माना गया है।

मृत्यु का स्मरण और आत्म चिंतन

गरुड़ पुराण का एक मुख्य उद्देश्य मृत्यु के बाद की यात्रा को समझाना है। लेकिन इसका एक और गहरा पक्ष है – मृत्यु का स्मरण कर व्यक्ति को अपने जीवन के कर्मों पर आत्म चिंतन करना। जब व्यक्ति यह समझने लगता है कि यह जीवन क्षणभंगुर है, तब वह अपने कार्यों और व्यवहार को सही दिशा देने लगता है। इससे उसका आचरण सुधारता है और वह अच्छे समय की ओर बढ़ता है।

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