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बीते दर्द को थामे रहना बना सकता है आपको मानसिक कैदी, वीडियो में जाने कैसी हो जाती है बुरी यादों के साथ जीने वाले लोगों की मानसिकता 

बीते दर्द को थामे रहना बना सकता है आपको मानसिक कैदी, वीडियो में जाने कैसी हो जाती है बुरी यादों के साथ जीने वाले लोगों की मानसिकता 

हर व्यक्ति के जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो गहरे ज़ख्म छोड़ जाती हैं। ये घटनाएं चाहे बचपन की हों, रिश्तों से जुड़ी हों या फिर किसी हानि या अपमान की, उनका प्रभाव व्यक्ति की मानसिकता और जीवनशैली पर लंबे समय तक बना रह सकता है। दुखदायी अतीत से चिपके रहना इंसान को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ सकता है, और इसका असर न केवल वर्तमान पर, बल्कि भविष्य की संभावनाओं पर भी पड़ता है।


जब बीते वक्त की छाया बन जाती है वर्तमान पर बोझ
कई लोग हैं जो बीते हुए दर्द, गलतियों और ट्रॉमा को बार-बार याद करते रहते हैं। वे अपने वर्तमान में भी उसी पीड़ा को जीते हैं, बार-बार उसी दर्द को महसूस करते हैं मानो वो घटना आज ही घटी हो। ऐसा व्यवहार मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार "Unresolved Trauma" या "Chronic Rumination" की श्रेणी में आता है। इसका अर्थ है – बीते हुए नकारात्मक अनुभवों पर बार-बार सोचना और उन्हें खुद पर हावी होने देना।ऐसे लोग अक्सर अवसाद (डिप्रेशन), चिंता (एंग्जायटी), आत्मविश्वास की कमी और निर्णय लेने में अक्षम होने जैसी समस्याओं से जूझते हैं। वे दूसरों पर भरोसा नहीं कर पाते, खुद को दोषी मानते हैं या हमेशा परिस्थितियों को लेकर शिकायत करते हैं।

क्यों नहीं छोड़ पाते लोग अतीत की बुरी यादें?
दुखद यादों से जुड़ा रहना कई बार एक मनोवैज्ञानिक सुरक्षा कवच की तरह भी काम करता है। व्यक्ति सोचता है कि अगर वह उस दर्द को याद रखेगा तो भविष्य में वह दोबारा ऐसी गलती नहीं करेगा या उसे वैसा नुकसान नहीं होगा। कई बार यह खुद को दंड देने का एक अवचेतन प्रयास भी हो सकता है, खासकर तब जब व्यक्ति को लगता है कि किसी स्थिति के लिए वह स्वयं जिम्मेदार था।इसके अलावा, कुछ लोग दूसरों की सहानुभूति और ध्यान पाने के लिए भी बार-बार अपने दर्द को दोहराते हैं। वे सोचते हैं कि उनका अतीत ही उनकी पहचान है, और बिना उसके वे 'खाली' महसूस करेंगे।

बुरा अतीत, रिश्तों पर भी डाल सकता है असर
दुखद अतीत से जुड़ी भावनाएं वर्तमान रिश्तों में भी ज़हर घोल सकती हैं। जैसे कोई व्यक्ति जिसने कभी भावनात्मक धोखा झेला हो, वह नए रिश्तों में भी पूरी तरह खुल नहीं पाता। हर बात में शक करना, बार-बार सुरक्षा की मांग करना, या दूरी बनाकर रखना – ये सब उस अतीत का परिणाम हो सकते हैं जिसे व्यक्ति अब तक अपने साथ ढो रहा है।इससे न केवल नया रिश्ता बिगड़ता है, बल्कि वह व्यक्ति भी बार-बार खुद को अकेला और असुरक्षित महसूस करने लगता है। यह एक दुष्चक्र बन जाता है – अतीत की पीड़ा, वर्तमान की दूरी और भविष्य की अनिश्चितता।

समाधान क्या है?
बुरा अतीत मिटाया नहीं जा सकता, लेकिन उससे सीखकर आगे बढ़ा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है:

स्वीकार करना: सबसे पहला कदम है यह मानना कि अतीत में कुछ गलत हुआ, जिससे दर्द हुआ। उसे दबाना नहीं, बल्कि उसका सामना करना चाहिए।

माफ करना: चाहे वो खुद की गलती हो या किसी और की, माफ करना एक तरह की मुक्ति है। जब आप माफ करते हैं, तो अपने मन को हल्का करते हैं।

प्रोफेशनल मदद लेना: कई बार अतीत की गहराइयों को खुद से निकालना मुश्किल होता है। ऐसे में साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर से बात करना मददगार हो सकता है।

नई सोच अपनाना: खुद को बार-बार याद दिलाएं कि आप अतीत नहीं हैं। आप एक बदली हुई, सीख लेने वाली और आगे बढ़ने वाली आत्मा हैं।

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