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​आखिर क्यों हो रही है लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस के बावजूद कोरोना के इलाज का क्लेम मिलने में देरी, जानें क्या बताया एक्सपर्ट ने बड़ी वजह

​आखिर क्यों हो रही है लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस के बावजूद कोरोना के इलाज का क्लेम मिलने में देरी, जानें क्या बताई एक्सपर्ट ने बड़ी वजह

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। एक बार फिर कोरोना का कहर देशभर में शुरू हो गया है. 2 लाख से ज्यादा कोरोनावायरस  के नए मामले भारत में रोजाना सामने आ रहे हैं और मौत हो रही है सैकड़ों लोगों की. कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के देश में तेजी से मामले भी बढ़ रहे हैं. राहत की सबसे बड़ी बात महामारी की तीसरी लहर के बीच ये है कि घर पर ही रहकर ज्यादातर लोग ठीक हो रहे हैं. हालांकि, अब धीरे-धीरे ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़ रही है, अस्पताल में भर्ती होने की जिन्हें जरूरत पड़ रही है. ऐसे में इलाज में काफी मदद हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से मिल रही है. लेकिन, ऐसी भी कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां हैं जो तरह-तरह की बातें बताकर ग्राहकों को इलाज के खर्च का क्लेम नहीं दे रही हैं.

कोविड और इससे जुड़े अलग-अलग इलाज के इस पूरे मामले को लेकर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बीमा कंपनियों के लिए पूरी तरह से नए हैं. इस तरह की परिस्थितियों का बीमा कंपनियों ने पहले कभी सामना नहीं किया था. महावीर चोपड़ा ने ईटी नाओ स्वदेश के साथ बातचीत करते हुए बताया कि हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को IRDAI ने 7 जनवरी को सभी एक नोटिफिकेशन जारी किया है. मोनोक्नोलन एंटीबॉडी के इलाज का खर्च इस नोटिफिकेशन के मुताबिक क्लेम किया जा सकता है. पुरानी पॉलिसी के नियमों में महावीर ने बताया कि एक लिस्ट होती है, अलग-अलग इलाज का जिसमें जिक्र होता है. 24 घंटे के हॉस्पिटलाइजेशन पर लिस्ट में उपलब्ध इलाज कराने पर क्लेम दिया जाता है.

​आखिर क्यों हो रही है लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस के बावजूद कोरोना के इलाज का क्लेम मिलने में देरी, जानें क्या बताई एक्सपर्ट ने बड़ी वजह

मोनोक्नोलन एंटीबॉडी के इलाज के लिए महावीर ने बताया कि बनाए नए नियम बीमा कंपनियों के लिए बिल्कुल नए और अलग हैं. जब पॉलिसी लिहाजा बनाई गई थीं, इलाज की लिस्ट में उस समय इसका जिक्र नहीं था. IRDAI के साथ-साथ बीमा कंपनियों को भी उन्होंने कहा कि इस मामले में स्पष्ट करना होगा कि अगर डॉक्टर ने मोनोक्नोलन एंटीबॉडी के इलाज की सलाह दी है या मेडिकल प्रोटोकॉल्स के मुताबिक ये जरूरी है तो इसका क्लेम मिलना चाहिए, बेशक इसके लिए 24 घंटे तक हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत हो या नहीं हो. महावीर ने बताया कि 24 घंटे का हॉस्पिटलाइजेशन जिन लोगों के मोनोक्नोलन एंटीबॉडी इलाज में हो रहा है, उन्हें क्लेम दिया जा रहा है. लेकिन, 24 घंटे से कम जिन लोगों के मामले में हॉस्पिटलाइजेशन है, वहां दिक्कतें आ रही हैं.

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