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आखिर किन चीजों से मनुष्य में जन्म लेता है अहंकार ? 3 मिनट के शानदार वीडियो में जानिए उनसे बचने के उपाय

आखिर किन चीजों से मनुष्य में जन्म लेता है अहंकार ? 3 मिनट के शानदार वीडियो में जानिए उनसे बचने के उपाय

अहंकार एक ऐसा भाव है जो न केवल व्यक्ति के आत्मविकास में बाधक बनता है, बल्कि उसके रिश्तों, सामाजिक व्यवहार और आध्यात्मिक उन्नति को भी प्रभावित करता है। यह धीरे-धीरे भीतर जन्म लेता है, और जब तक हम इसे पहचानते हैं, यह हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बन चुका होता है। अक्सर हम इसे ‘स्वाभिमान’ या ‘आत्मविश्वास’ समझ बैठते हैं, जबकि यह एक गहरा आंतरिक जहर होता है जो व्यक्ति को भीतर से खोखला कर देता है।लेकिन आखिर यह अहंकार जन्म कैसे लेता है? किन-किन वजहों से यह पनपता है? और इससे बचने के उपाय क्या हैं? आइए इन सभी पहलुओं पर गहराई से विचार करें।

1. अहंकार के जन्म की प्रमुख वजहें
(1) ज्ञान का अहंकार

जब किसी व्यक्ति के पास किसी क्षेत्र में अधिक ज्ञान हो जाता है, तो वह स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगता है। जैसे-जैसे यह भावना बढ़ती है, वह दूसरों को तुच्छ समझने लगता है और यहीं से जन्म होता है ‘ज्ञान के अहंकार’ का।

(2) धन का अभिमान
धन और वैभव व्यक्ति को सामाजिक मान-सम्मान दिलाते हैं, लेकिन यही जब उसकी पहचान बन जाते हैं, तो वह खुद को दूसरों से ऊपर समझने लगता है। “मेरे पास क्या है?” इस भाव से ‘मैं कौन हूँ’ खोने लगता है।

(3) पद और प्रतिष्ठा का घमंड
किसी ऊंचे पद या सामाजिक प्रतिष्ठा को पाने के बाद व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आना स्वाभाविक होता है। लेकिन जब वह अपने पद को दूसरों पर थोपने लगे, तो यह अहंकार की शुरुआत होती है।

(4) रूप या सौंदर्य का अभिमान
खूबसूरत दिखना कोई अपराध नहीं, लेकिन जब कोई व्यक्ति अपने सौंदर्य को लेकर दूसरों को नीचा दिखाने लगे या खुद को सर्वश्रेष्ठ समझे, तो वहां ‘रूप का घमंड’ उत्पन्न हो जाता है।

(5) सफलता का नशा
लंबे समय तक मिलती सफलता और प्रशंसा व्यक्ति के भीतर यह भ्रम पैदा करती है कि वह हर चीज में सही है और उसे कोई नहीं हरा सकता। यही सोच धीरे-धीरे उसे अहंकारी बना देती है।

2. अहंकार से होने वाले नुकसान
रिश्तों में दरार: अहंकारी व्यक्ति कभी किसी को बराबरी का दर्जा नहीं देता। यह रिश्तों में दूरी बढ़ाता है और भावनात्मक टूटन पैदा करता है।
आत्मविकास में बाधा: अहंकार व्यक्ति को सीखने से रोकता है, क्योंकि वह मान लेता है कि वह सब कुछ जानता है।
आध्यात्मिक पतन: आत्मा की चेतना और अहंकार साथ नहीं चल सकते। जितना अहंकार बढ़ेगा, उतनी ही आत्मा की अनुभूति कम होगी।
समाज में अलगाव: अहंकारी लोग धीरे-धीरे सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ जाते हैं, क्योंकि लोग उनके साथ सहज नहीं रह पाते।

3. अहंकार से बचने के उपाय
(1) आत्मचिंतन और निरीक्षण

हर दिन कुछ समय खुद के साथ बिताएं और देखें कि क्या आपके विचार, शब्द या कर्म अहंकार से प्रेरित हैं? यह आत्मनिरीक्षण अहंकार की जड़ों को धीरे-धीरे कमजोर करता है।

(2) विनम्रता का अभ्यास करें
जितना बड़ा व्यक्ति होता है, उतना ही विनम्र होता है। विनम्रता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि वह शक्ति है जो व्यक्ति को ऊंचा उठाती है।

(3) सेवा का मार्ग अपनाएं
निःस्वार्थ सेवा से व्यक्ति ‘मैं’ के दायरे से बाहर निकलता है। दूसरों के लिए कार्य करने से अहं का स्थान करुणा और दया ले लेती है।

(4) आध्यात्मिक साधना करें
ध्यान, योग, जप, और सत्संग जैसे उपाय व्यक्ति को भीतर से शुद्ध करते हैं। ये साधन अहंकार को धीरे-धीरे गलाने में मदद करते हैं।

(5) आलोचना को स्वीकारें
हर आलोचना में सुधार का बीज होता है। जब कोई आपको टोकता है या सलाह देता है, तो उसे विनम्रता से स्वीकारें। यह अहंकार को नियंत्रण में रखता है।

4. ओशो के अनुसार अहंकार को समझना
प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु ओशो कहते हैं, “अहंकार कोई वास्तविक चीज नहीं, यह केवल आपके ‘स्व’ की एक कल्पना है।” ओशो के अनुसार अहंकार तब जन्म लेता है जब व्यक्ति खुद को अपने बाहर की चीजों – पद, पैसा, रिश्ते – से जोड़ लेता है। जितना ज्यादा व्यक्ति बाहरी चीजों से अपनी पहचान बनाएगा, उतना ही ज्यादा वह अहंकार से ग्रसित होगा।

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