प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने में टैक्स छूट पाने के 5 जबरदस्त तरीके, होगी लाखों की सेविंग

घर खरीदना सिर्फ एक भावनात्मक सपना नहीं होता, यह एक बड़ी वित्तीय जिम्मेदारी और निवेश का फैसला भी होता है। अगर आप चाहें तो इस फैसले को समझदारी से लेकर टैक्स में बड़ी बचत कर सकते हैं। भारत के आयकर कानून में कुछ ऐसी विशेष छूटें और नियम दिए गए हैं, जो प्रॉपर्टी खरीदते समय सही प्लानिंग करने पर लाखों रुपये की टैक्स बचत दिला सकते हैं।
यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे 5 बेहतरीन टैक्स प्लानिंग टिप्स, जिनसे घर खरीदते समय आप अपनी जेब पर बोझ घटा सकते हैं और लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गेन भी ले सकते हैं।
1. पत्नी के नाम रजिस्ट्री कराने पर मिलती है स्टाम्प ड्यूटी में छूट
अगर आप अपने नाम के बजाय पत्नी के नाम पर या पति-पत्नी दोनों के नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड कराते हैं, तो आपको स्टाम्प ड्यूटी पर राहत मिल सकती है।
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कई राज्य सरकारें महिला खरीदारों को स्टाम्प ड्यूटी में 1 से 2% तक की छूट देती हैं।
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इसके अलावा, धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट भी क्लेम की जा सकती है।
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अगर दोनों (पति-पत्नी) मालिक और लोन को-बॉरोअर हैं, तो ये छूट ₹3 लाख तक हो सकती है।
यह न केवल टैक्स बचाने में मदद करता है, बल्कि प्रॉपर्टी को परिवार के नाम पर सुरक्षित रखने का भी एक तरीका है।
2. होम लोन पर ब्याज और मूलधन, दोनों पर टैक्स छूट
अगर आप होम लोन लेकर घर खरीदते हैं, तो आपको दोहरी टैक्स छूट मिलती है:
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धारा 24(b) के तहत, सालाना ₹2 लाख तक के ब्याज पर टैक्स छूट।
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धारा 80C के तहत, ₹1.5 लाख तक के मूलधन (Principal Repayment) पर टैक्स छूट।
अगर आप और आपकी पत्नी दोनों लोन को-बॉरोअर हैं, तो यह छूट दोगुनी हो सकती है। यानी परिवार के स्तर पर आप सालाना ₹7 लाख तक की टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं।
3. एक घर बेचकर दूसरा खरीदने पर पूंजी लाभ टैक्स से राहत
अगर आप पहले से कोई प्रॉपर्टी रखते हैं और उसे बेचकर दूसरा घर खरीदते हैं, तो भी टैक्स बचा सकते हैं:
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आयकर की धारा 54 के तहत, अगर बेची गई रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी से मिली राशि से नई रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदी जाती है, तो पूंजी लाभ (Capital Gain) पर टैक्स नहीं देना पड़ता।
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यदि कोई प्लॉट या जमीन बेचकर मकान खरीदते हैं, तो धारा 54F के तहत आंशिक राहत मिल सकती है।
शर्त ये है कि नई प्रॉपर्टी बेचने की तारीख से 1 साल पहले या 2 साल बाद खरीदी जाए, या 3 साल के अंदर निर्माण पूरा हो।
4. कम से कम 2 साल तक प्रॉपर्टी रखें, फिर बेचें
अगर आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी है और उसे जल्दबाजी में बेच देते हैं, तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) लगता है, जो आपकी आयकर स्लैब के अनुसार 30% तक हो सकता है।
लेकिन अगर आप कम से कम 24 महीने तक प्रॉपर्टी होल्ड करते हैं, तो उसे बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लागू होता है, जो सिर्फ 20% (Indexation benefit सहित) होता है।
इसलिए टैक्स बचाने के लिए हमेशा प्रॉपर्टी को 2 साल से ज्यादा समय तक अपने पास रखें।
5. होम लोन लेकर अपनी पूंजी से ज्यादा कमाएं
अगर आपके पास पर्याप्त पूंजी है, फिर भी हो सकता है कि होम लोन लेना फायदे का सौदा हो।
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आज के समय में होम लोन की ब्याज दरें लगभग 8-8.5% हैं।
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यदि आप अपनी पूंजी को म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार या अन्य हाई रिटर्न वाले विकल्पों में लगाते हैं, तो आपको 10-15% का सालाना रिटर्न मिल सकता है।
हालांकि, यह रणनीति थोड़ा जोखिम भरी है। इसलिए फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लेकर ही ऐसे कदम उठाएं।
🎯 बोनस टिप: सही प्लानिंग से बढ़ाएं रियल एस्टेट में रिटर्न
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घर खरीदते समय टैक्स सेविंग की रणनीति अपनाना बेहद जरूरी है।
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पत्नी को को-ओनर और को-बॉरोअर बनाना, टैक्स प्लानिंग के लिहाज से एक स्मार्ट मूव है।
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साथ ही, सही समय पर प्रॉपर्टी बेचना और लॉन्ग टर्म होल्ड करना आपके निवेश को और मजबूत बनाता है।
निष्कर्ष:
अगर आप रियल एस्टेट में निवेश को सिर्फ एक खर्च नहीं बल्कि फाइनेंशियल प्लानिंग का हिस्सा मानते हैं, तो ऊपर दिए गए टैक्स टिप्स आपको बड़ी राहत दे सकते हैं। सही रणनीति अपनाकर न सिर्फ आप टैक्स बचा सकते हैं, बल्कि अपने सपनों का घर भी समझदारी से खरीद सकते हैं।