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कुष्ठ रोग का समय पर इलाग बचा सकता है आपको इसकी गंभीरता से

कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है, जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। हालांकि यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण हो सकता है। बीमार व्यक्ति के छींकने या खांसने पर बैक्टीरिया हवा से फैल सकता है।
कुष्ठ रोग का समय पर इलाग बचा सकता है आपको इसकी गंभीरता से

जयपुर । कुष्ठ रोग की बीमारी कोई आम बीमारी नही है । यह बहुत ही गंभीर बीमारी है । इतनाही नही यह संक्रमण वाली बीमारियों में से एक है । इसका होना स्किन की कई गंभीरता को तो बताता है ही साथ ही रोगी के अपंग होने की शिकायत भी बनी ही रहती है ।कुष्ठ रोग का समय पर इलाग बचा सकता है आपको इसकी गंभीरता से

आज हम बात कर रहे हैं कुष्ठ रोग के बारे में फैले हुए एक भ्रम के बारे में । लोगों को यह पता है की यह कभी न ठीक होने वाली बीमारी है जबकि यह बहुत ही बड़ा झूठ है ऐया नही है की यह बीमारी कभी ठीक नही हो सकती है । आज हम आपको इसी बारे में कुछ खास बात बताने जा रहे हैं । आइये जानते हैं इस बारे में ।कुष्ठ रोग का समय पर इलाग बचा सकता है आपको इसकी गंभीरता से

कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है, जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। हालांकि यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण हो सकता है। बीमार व्यक्ति के छींकने या खांसने पर बैक्टीरिया हवा से फैल सकता है। अगर यह बैक्टीरिया स्वस्थ व्यक्ति की सांस में चला जाए तो उसे कुष्ठ रोग का संक्रमण हो सकता है।कुष्ठ रोग का समय पर इलाग बचा सकता है आपको इसकी गंभीरता से

कुष्ठ रोग का इलाज संभव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1995 में विकसित मल्टी-ड्रग थेरेपी इस संक्रमण के इलाज में बेहद प्रभावी पाई गई है। भारत सरकार कुष्ठ रोग का नि:शुल्क इलाज उपलब्ध कराती है। हालांकि बहुत से लोग उनके साथ होने वाले भेदभाव और समाज में फैली गलत अवधारणाओं के कारण अपना इलाज नहीं करवाते हैं।कुष्ठ रोग का समय पर इलाग बचा सकता है आपको इसकी गंभीरता से

उन्होंने कहा हालांकि यह सच है कि सावधानी के तौर पर आपको संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक संपर्क में नहीं रहना चाहिए, लेकिन कुष्ठ रोग के मरीज को बिल्कुल अलग करना भी जरूरी नहीं है। साथ ही सही इलाज के बाद मरीज संक्रमण से मुक्त हो सकता है और इसके बाद वह बिल्कुल संक्रामक नहीं रहता।

 

कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है, जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। हालांकि यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण हो सकता है। बीमार व्यक्ति के छींकने या खांसने पर बैक्टीरिया हवा से फैल सकता है। कुष्ठ रोग का समय पर इलाग बचा सकता है आपको इसकी गंभीरता से

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