बच्चों को खेल खेल में ही सीख लें जरूरी बातें , जल्द दिखेगा बदलाव
जयपुर । बच्चे भगवान का रूप कहे जाते है और वहीं पर वह जब ब्द्म्शियोन पर उतार आते हैं तो हमको शैतान का रूप लगते हैं । बच्चों को कुछ भी सिखाने पढ़ाने मनवाने में हमको भी हमारी नानी याद आ जाती है । उनको कोई भी कम या बात को सिखाना मतलब जंग लड़ने जैसा होता है ।
ई9से में यदि आज हम आपको यह व्देन की आपको बहुत ज्यादा मेहनत नही करनी है आपको सिर्फ करना है तो यह की उनको क्लूच हबतें बस खेल के जरिये समझानि है तो । आपज्को यह बहुत आजीब लग रहा होगा ना की कैसे सिखाएँ खेल खेल में बातों को तो आइये आज हम आपको बता देते हाइन की क्या करन है आपको
खुद को नहीं बल्कि अपनी टीम को जिताने के लिए खेलते हैं। यानि कि यहां जीत अहंकार के लिए बल्कि टीम के लिए होती है। यही बात बच्चों को निजी जीवन से भी जोड़कर बताई चाहिए कि आप बड़े होकर अगर ऑफिस में या कहीं भी किसी टीम का हिस्सा बनते हैं तो जीतने की मंशा सिर्फ खुद तक ही सीमित न रखें, बल्कि इसे टीम की जीत समझें। वास्तविक जीवन में हमें एक टीम के रूप में लोगों के साथ काम करने की आवश्यकता है और इस तरह एक सामान्य लक्ष्य की दिशा में काम करते समय विचारों के अंतर को स्वीकार करने की आवश्यकता है।
खेल बच्चों को उनकी सीमाओं को समझने के अलावा उनकी ताकत और कमजोरियों को जानने का भी मौका देता है। खेल के दौरान वे समझते हैं कि वे कितनी दूर तक खुद को ले जा सकते हैं और उन्हें समय की नजाकत को देखते हुए कब रुक जाना चाहिए। बच्चों को बताना चाहिए कि इसी नियम को उन्हें अपने वास्तविक जीवन में भी लागू करना चाहिए।
बच्चे किसी टीम का हिस्सा है और मैदान में जाकर आपको लग रहा है कि हम सामने वाले से कमजोर हैं, तो हमें किसी भी कीमत पर छोड़ना (गिव अप) नहीं चाहिए, बल्कि आखिरी क्षण तक अपना बेहतर प्रदर्शन देना चाहिए। खेल में चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो चैंपियंस कभी हार नहीं मानते हैं। इसी तरह हमें निजी जीवन में भी दृढ़ और ईमानदार रहने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि जिंदगी हमेशा हमारे हिसाब से चलेगी ।