Skin Cancer से बचाव का सस्ता तरीका! रिसर्च में दावा, इस विटामिन की गोली से 54% तक कम हो सकता है खतरा
कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के दिलों में डर बैठ जाता है। इस बीमारी के जानलेवा होने के अलावा, लोग इसके इलाज के फाइनेंशियल बोझ को लेकर भी परेशान रहते हैं। सच में, इसका इलाज बहुत महंगा होता है, जिसमें लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं। यहां तक कि टेस्टिंग भी बहुत महंगी होती है।
इसलिए, लोग अक्सर सोचते हैं कि कैंसर से बचने के लिए महंगी दवाएं, बड़े इलाज या मुश्किल थेरेपी की ज़रूरत होती है। लेकिन क्या हो अगर हम आपको बताएं कि स्किन कैंसर, जो दुनिया के सबसे खतरनाक और आम कैंसर में से एक है, उससे बचाव एक सस्ती, रोज़ाना ली जाने वाली विटामिन की गोली से हो सकता है? यह सुनने में अजीब लगता है, लेकिन एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी में बायोमेडिकल साइंस के प्रोफेसर जस्टिन स्टेबिंग के अनुसार, एक नई रिसर्च स्टडी ने यही साबित किया है। क्या यह चौंकाने वाली बात नहीं है? आइए जानते हैं कि यह कौन सा विटामिन है और यह स्किन कैंसर के खतरे को कैसे कम करता है।
कौन सा विटामिन स्किन कैंसर से बचाता है?
निकोटिनमाइड, जो विटामिन B3 का एक बहुत ही आसान और सस्ता रूप है, स्किन कैंसर के खतरे को कम कर सकता है। खास बात यह है कि जिन लोगों को एक बार स्किन कैंसर हो चुका है, उनके लिए इसके फायदे और भी ज़्यादा हैं। इस स्टडी ने स्किन कैंसर की रोकथाम को एक नई दिशा दी है और डॉक्टरों को अपने पुराने तरीकों पर फिर से सोचने पर मजबूर किया है।
निकोटिनमाइड कैसे काम करता है?
निकोटिनमाइड विटामिन B3 का एक रूप है जो शरीर को एनर्जी बनाने में मदद करता है और स्किन की रिपेयर प्रोसेस को तेज़ करता है। यह UV किरणों से होने वाले नुकसान को ठीक करने में मदद करता है और स्किन में सूजन को कम करता है। इसके अलावा, यह इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है ताकि वह खराब सेल्स को जल्दी पहचान सके। इस तरह, यह विटामिन स्किन को कैंसर होने से पहले ही उससे लड़ने की ताकत देता है।
स्किन कैंसर क्यों बढ़ रहा है?
स्किन कैंसर दुनिया में सबसे आम कैंसर है, जिसके हर साल लाखों नए मामले सामने आते हैं। खासकर बेसल सेल कार्सिनोमा और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इस तरह का कैंसर ज़्यादा धूप में रहने, गोरी स्किन, बढ़ती उम्र और लंबे समय तक UV किरणों के संपर्क में रहने से जुड़ा है। सबसे चिंता की बात यह है कि जिन लोगों को एक बार स्किन कैंसर हो चुका है, उन्हें दोबारा होने का खतरा काफी ज़्यादा होता है।
रिसर्च में कितने लोगों को शामिल किया गया था?
यह नई रिसर्च 33,000 से ज़्यादा अमेरिकी सैनिकों पर की गई थी। उनमें से 12,000 लोग निकोटिनमाइड (500 mg, दिन में दो बार) ले रहे थे, जबकि 21,000 लोग कोई सप्लीमेंट नहीं ले रहे थे। इस बड़े पैमाने की स्टडी ने स्किन कैंसर की रोकथाम के बारे में ज़रूरी जानकारी दी। नतीजे क्या थे?
रिसर्च के नतीजे चौंकाने वाले थे। निकोटिनमाइड लेने वाले लोगों में नए स्किन कैंसर होने का खतरा लगभग 14% कम पाया गया। इसका मतलब है कि इस सस्ते विटामिन की रेगुलर डोज़ स्किन कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकती है। यह भी पाया गया कि अगर पहले स्किन कैंसर का पता चलने के तुरंत बाद यह सप्लीमेंट लेना शुरू कर दिया जाए, तो दोबारा कैंसर होने का खतरा 54% तक कम हो सकता है। यह फायदा खास तौर पर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा में देखा गया। स्टडी में साफ तौर पर दिखाया गया कि निकोटिनमाइड का असर सबसे ज़्यादा तब होता है जब इसे सही समय पर, यानी पहले कैंसर का पता चलने के तुरंत बाद शुरू किया जाए। इससे शरीर को कैंसर होने से पहले ही उससे लड़ने की ताकत मिलती है।
क्या यह सनस्क्रीन का विकल्प है?
निकोटिनमाइड स्किन कैंसर को रोकने का एक नया और असरदार तरीका है, लेकिन यह कभी भी सनस्क्रीन की जगह नहीं ले सकता। डॉक्टर साफ कहते हैं कि आपको अभी भी धूप में कम समय बिताना चाहिए, रोज़ सनस्क्रीन लगाना चाहिए, टोपी और लंबी आस्तीन वाले कपड़े पहनने चाहिए, और रेगुलर स्किन चेकअप करवाना चाहिए। निकोटिनमाइड सिर्फ़ सुरक्षा की एक एक्स्ट्रा लेयर के तौर पर काम करता है; यह धूप से बचाव की बेसिक आदतों की जगह नहीं लेता।
यह विटामिन इतना खास क्यों है?
इस विटामिन की खास बात इसकी आसानी से उपलब्धता और सुरक्षा है। यह बहुत सस्ता है, आसानी से मिल जाता है, और इसे बिना किसी परेशानी के रोज़ लिया जा सकता है। सबसे ज़रूरी बात यह है कि यह स्किन कैंसर के दोबारा होने के खतरे को कम करने में असरदार साबित हुआ है। बीमारी के लिए कई महंगी दवाओं और इलाज की तुलना में, निकोटिनमाइड एक आसान, सुरक्षित और किफायती विकल्प है।
हालांकि, कुछ पहलू अभी भी पूरी तरह से साफ नहीं हैं। यह स्टडी ऑब्जर्वेशनल रिसर्च थी, जिसका मतलब है कि यह मेडिकल रिकॉर्ड पर आधारित थी, न कि किसी कंट्रोल्ड ट्रायल पर जहाँ सभी स्थितियों को ध्यान से कंट्रोल किया जाता है। इसलिए, कुछ सीमाएँ अभी भी हैं। इस स्टडी में मुख्य रूप से गोरी त्वचा वाले पुरुषों को शामिल किया गया था, इसलिए अलग-अलग नस्लों, महिलाओं और युवा लोगों पर इसके असर के बारे में अभी पता नहीं चला है। इसके अलावा, जिन लोगों को कभी स्किन कैंसर नहीं हुआ है, उन पर निकोटिनमाइड का क्या असर होता है, यह भी साफ नहीं है।

