आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने अपशिष्ट जल से अमोनियम हटाने का नया तरीका खोजा
गुवाहाटी, 11 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने सूक्ष्म शैवाल (माइक्रोएल्गी) और बैक्टीरिया का उपयोग करके अपशिष्ट जल से अमोनियम हटाने की एक नई विधि विकसित की है।
आईआईटी गुवाहाटी में प्रोफेसर कन्नन पक्षीराजन के नेतृत्व वाली टीम ने कहा है कि यह दृष्टिकोण न केवल एक स्थायी समाधान प्रदान करता है, बल्कि अपशिष्ट पानी के ट्रीटमेंट की पारंपरिक विधियों की तुलना में ऊर्जा की खपत को भी कम करता है।
घरेलू सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि अपवाह और लैंडफिल जैसे स्रोतों से प्राप्त अपशिष्ट जल में मौजूद अमोनियम गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।
इससे हानिकारक शैवालों (अल्गल) का विकास हो सकता है, पानी की अम्लता बढ़ सकती है और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। अमोनियम हटाने के पारंपरिक तरीकों में ऑक्सीजिनेशन शामिल है जो ट्रीटमेंट प्लांट की ऊर्जा खपत का 90 प्रतिशत इस्तेमाल करता है।
पक्षीराजन की टीम ने एक फोटो-सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (पीएसबीआर) डिजाइन किया है, जिसका उपयोग नाइट्रिफाइंग बैक्टीरिया द्वारा अमोनियम को नाइट्रेट में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। इसके बाद ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में डीनाइट्रीफाइंग बैक्टीरिया का उपयोग करके नाइट्रोजन को अलग किया जाता है, जिससे अंतिम उत्पाद के रूप में नाइट्रोजन बनता है।
इससे बाहर से ऑक्सीजन देने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जिससे प्रक्रिया की ऊर्जा खपत काफी कम हो जाती है।
आईआईटी, गुवाहाटी के बायोसाइंस और बायोइंजीनियरिंग विभाग के पक्षीराजन ने कहा, "हमारा सिस्टम अपशिष्ट जल के ट्रीटमेंट के लिए एक स्थायी समाधान प्रदान करता है। साथ ही ऊर्जा लागत में कटौती भी करता है। सूक्ष्म शैवाल (अल्गल) द्वारा प्राकृतिक रूप से उत्पादित ऑक्सीजन का उपयोग करके हम इस प्रक्रिया को न केवल अधिक कुशल, बल्कि अत्यधिक लागत प्रभावी भी बना सकते हैं।''
प्रतिष्ठित पत्रिका 'केमिकल इंजीनियरिंग जर्नल' में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिक मॉडलिंग को वास्तविक दुनिया के आंकड़ों के साथ जोड़कर विभिन्न परिस्थितियों में अमोनियम को हटाने की उच्च दर सुनिश्चित की गई है। इस प्रणाली में अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में इस्तेमाल की जाने वाली पारंपरिक वातन विधियों की तुलना में 91.33 प्रतिशत तक ऊर्जा की बचत होती है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी विकल्प बन गया।
यह नवोन्मेषी विधि टिकाऊ अपशिष्ट जल उपचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उद्योगों में अपशिष्ट जल के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए व्यावहारिक अनुप्रयोग प्रदान करती है।
--आईएएनएस
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