लीची का सेवन बन रहा है बिहार मे बच्चों के लिए जानलेवा
जयपुर । कहा जाता है की फलों का सेवन करना हा सभी के लिए बहुत ही अच्छा होता है । हर मौसम में कोई न कोई फल ऐसा होता है जो उस मौसम की जान होता है , जैसे गर्मियों में आम , तरबूज , खीरा , खरबूजा , सर्दियों में अनार , अंगूर और भी कई सारे फल है जो सेवन करने से हमको फायदा फूंचते हैं । पर बारिश का सीजन शुरू होने पहले लीची बाज़ारों में आ गई है ।
पर बिहार में लीची का सेवन करना बच्चों की जान पर बन आ रहा है । ऐसा कैसे हो सकता है की बच्चों के लीची खाने पर उनकी मौत हो जाये यहीही आप सोच रहे हैं न । जो फल हमको फायदा पहुँचते हैं वह हमारी जान के दुश्मन कैसे बन सकते हैं ? पर यह बात बिलकुल सच है की लीची खाने से बिहार में बच्चों की मौत हो रही है ।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में संदिग्ध अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम जिसे चमकी बुखार भी कहा जा रहा है इसी की वजह से अब तक वहाँ पर 54 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस साल जनवरी से अब तक कुल 179 संदिग्ध अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामले सामने आ चुके हैं। बच्चों की मौत के लिए लीची को गुनहगार करार दिया जा रहा है ।
द लैन्सेट’ नाम की मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च की मानें तो लीची में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ जिन्हें hypoglycin A और methylenecyclopropylglycine (MPCG) कहा जाता है , शरीर में फैटी ऐसिड मेटाबॉलिज़म बनने में रुकावट पैदा करते हैं। इसकी वजह से ही ब्लड-शुगर लो लेवल में चला जाता है और मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं और दौरे पड़ने लगते हैं इतना ही नही यदि रात का खाना न खाने की वजह से शरीर में पहले से ब्लड शुगर का लेवल कम हो और सुबह खाली पेट लीची खा ली जाए तो अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।