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लैब में मस्तिष्क का निर्माण करना है सबसे बड़ी सफलता

जयपुर। लैबों में कई मानव अंगों का निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह से मानव का सबसे जटिल अंग भी लैब में तैयार किया जा रहा है। इस पर अपनी टिप्पणी रखते हुये प्रोफ़ेसर मैडलीन लैंकेस्टर कहती हैं प्रयोगशाला में एक पूरी तरह विकसित मस्तिष्क बनाना उनका मक़सद नहीं है। बल्कि इस खोज के
लैब में मस्तिष्क का निर्माण करना है सबसे बड़ी सफलता

जयपुर। लैबों में कई मानव अंगों का निर्माण किया जा रहा है।  इसी तरह से मानव का सबसे जटिल अंग भी लैब में तैयार किया जा रहा है। इस पर अपनी टिप्पणी रखते हुये प्रोफ़ेसर मैडलीन लैंकेस्टर कहती हैं प्रयोगशाला में एक पूरी तरह विकसित मस्तिष्क बनाना उनका मक़सद नहीं है। बल्कि इस खोज के ज़रिए वो मानव और जानवरों के मस्तिष्क में काम की तुलना करना चाहती हैं। आपको बता दे कि एक चिंपैंज़ी और मानव के मस्तिष्क में जो जेनेटिक फ़र्क़ है वो बेहद कम है। फिर भी चिंपैंज़ी और मानव के विकास में एक बहुत बड़ा फ़ासला माना जाता है।लैब में मस्तिष्क का निर्माण करना है सबसे बड़ी सफलता

इस गुत्थी को समझने के लिए मैडलीन और उनकी टीम ने मानव और चिंपैंज़ी के जीन से नया मस्तिष्क विकसित किया है। अपने इस प्रयोग में मैडलीन ने पाया कि चिंपैंज़ी के जीन वाले हिस्से में जो तंत्रिकाएं विकसित हुईं वो मानव जीन से बनी कोशिकाओं के मुक़ाबले काफ़ी कमज़ोर है। मैडलीन बताती है कि लैबों में बनाए जा रहे इस कृत्रिम मस्तिष्क से हमें ऑटिज़्म और शिज़ोफ्रेनिया जैसी बीमारियों से निपटने में मदद मिल सकती है।लैब में मस्तिष्क का निर्माण करना है सबसे बड़ी सफलता

वैज्ञानिक ने यह पता लगाने में कामयाब रहे कि ऑटिज़्म की असल वजह मस्तिष्क में दो तरह के न्यूरोन में ठीक तालमेल नहीं होना है तो वैज्ञानिक कई शोध कर ये जाना कि जब भ्रूण का मस्तिष्क विकसित हो रहा हो तभी ये बीमारी पकड़ी जा सकती है और इसका इलाज भी किया जा सकता है। लैब में मस्तिष्क विकसित करने के बाद मानव के मस्तिष्क को समझने की वैज्ञानिकों की समझ और बढ़ी है। और इस दिशा में तेज़ी से हो रहा है और कई जेनेटिक बीमारीयों का इलाज भी किया जा रहा।लैब में मस्तिष्क का निर्माण करना है सबसे बड़ी सफलता

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