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Meta Ray-ban को टक्कर देने के लिए Xiaomi भी लॉन्च करेगी AI चश्मा, जानिए क्या कुछ होगा खास ?  

Meta Ray-ban को टक्कर देने के लिए Xiaomi भी लॉन्च करेगी AI चश्मा, जानिए क्या कुछ होगा खास ?  

टेक न्यूज़ डेस्क - Xiaomi ने 2021 में अपने स्मार्ट ग्लास से पर्दा उठाया था, जो उस समय कंपनी का पहला आई वियरेबल डिवाइस था। आम सनग्लास की तरह दिखने वाला यह स्मार्ट ग्लास नेविगेशन और रियल-टाइम टेक्स्ट ट्रांसलेशन आदि समेत कई स्मार्ट फीचर्स से लैस था। अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि Xiaomi अपने नेक्स्ट जनरेशन स्मार्ट ग्लास पर काम कर रही है। इसके लिए कंपनी ने Goertek ब्रांड के साथ साझेदारी की है। इतना ही नहीं, बताया जा रहा है कि Xiaomi ने सीधे तौर पर कहा है कि उसके आने वाले स्मार्ट ग्लास पिछले साल लॉन्च हुए Meta Ray-ban स्मार्ट ग्लास को चुनौती देंगे।

IThome ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि Xiaomi अपने नेक्स्ट जनरेशन स्मार्ट ग्लास पर काम कर रही है, जिसके लिए कंपनी ने Goertek के साथ हाथ मिलाया है। इसका सीधा मुकाबला पिछले साल पेश किए गए Ray-ban Meta स्मार्ट ग्लास से होगा। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कथित तौर पर यह भी दावा किया है कि कंपनी कम से कम 3 लाख शिपमेंट नंबर को टारगेट कर रही है। बताया जा रहा है कि इन स्मार्ट ग्लास में AI इंटीग्रेशन, ऑडियो हेडफोन कंपोनेंट और कैमरा मॉड्यूल शामिल होंगे, जो Meta के हाई-टेक आईवियर लाइनअप जैसा ही है। अगले साल की दूसरी तिमाही में इसके आने की संभावना है।

निश्चित रूप से अब स्मार्ट आईवियर के बाजार में बड़ी हलचल मची हुई है। मेटा रे-बैन के बाद कई अन्य ब्रांड तेजी से ऐसे स्मार्ट ग्लास पर काम कर रहे हैं, जो देखने में पारंपरिक चश्मे जैसे ही होंगे, लेकिन इनमें कई एआई फीचर और सेंसर की लंबी रेंज होगी, जो पहनने वाले को चलते-फिरते स्मार्टफोन की जरूरत के बिना कई काम चुटकियों में करने की क्षमता प्रदान करेगी।

कुछ साल पहले भी Xiaomi ने अपना पहला स्मार्ट ग्लास मॉडल पेश किया था, जो कई स्मार्ट क्षमताओं से लैस था। यह काफी हल्का था, जिसका वजन 51 ग्राम था। इसमें माइक्रो एलईडी ऑप्टिकल वेबगाइड तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, ताकि यूजर की आंखों के सामने मैसेज और नोटिफिकेशन डिस्प्ले किए जा सकें। इतना ही नहीं, इनके जरिए कॉल भी की जा सकती थी, AR का इस्तेमाल करके नेविगेशन किया जा सकता था, फोटो खींचे जा सकते थे और आंखों के सामने टेक्स्ट ट्रांसलेट किया जा सकता था।

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