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मौनी अमावस्या पर क्यों करते हैं गंगा स्नान? जानें स्नान-दान का शुभ मुहूर्त 

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ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में एक बार पड़ती है। यह तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है। इस दिन को पितरों की शांति के लिए सबसे उत्तम बताया गया है। सभी अमावस्या तिथियों में सबसे महत्वपूर्ण माघ मास की अमावस्या होती है इसे मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

Mauni amavasya 2025 importance of bathing in ganga and snan muhurta

मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान और दान करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं साथ ही शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है। इस साल मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी, इस दिन गंगा में स्नान क्यों किया जाता है इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

Mauni amavasya 2025 importance of bathing in ganga and snan muhurta

गंगा स्नान से जुड़ी पौराणिक कथा—
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इस दिन सूर्योदय से पहले ही श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। गंगा और अन्य नदियों के स्नान की पवित्रता का संबंध समुद्र मंथन की कथा से है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो समुद्र से भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। इस अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष शुरू हो गया। छीना-झपटी के दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिर पड़ीं।

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स्नान दान का शुभ मुहूर्त—
ब्रह्म मुहूर्त: 04:58 AM से 05:50 AM तक
प्रातः सन्ध्या: 05:24 AM से 06:42 AM तक
विजय मुहूर्त: 02:01 PM से 02:45 PM तक
गोधूलि मुहूर्त: 05:38 PM से 06:04 PM तक
संध्या मुहूर्त: 05:40 PM से 06:58 PM तक
अमृत काल: 09:19 PM से 10:51 PM तक
निशिता मुहूर्त: 11:45 PM से 12:37 PM तक (30 जनवरी)

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