ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में पर्व त्योहार को विशेष माना जाता हैं वही कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता हैं इस दिन माता अहोई, भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा की जाती हैं मान्यता है कि अहोई अष्टमी का व्रत संतान प्राप्ति, उसकी लंबी उम्र और खुशहाली जीवन के लिए किया जाता हैं।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन माता पार्वती की अहोई के रूप में आराधना की जाती हैं और तारों को जल देकर व्रत पारण किया जाता हैं इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर दिन गुरुवार को किया जाएगा। तो आज हम आपको इस व्रत से जुड़ी बातें बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त—
अहोई अष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 39 मिनट से शाम 6 बजकर 56 मिनट तक हैं।
अहोई अष्टमी महत्व और व्रत नियम—
इस व्रत में माताएं अपने पुत्र की सलामती के लिए निर्जला व्रत रखती हैं इस व्रत में सई माता औरसेई की भी पूजा की जाती हैं अहोई अष्टमी पर माताएं चांदी की माला भी पहनती है, जिसमें हर साल दो चांदी के मोती जोड़ती हैं इस व्रत में बहुत नियमों का पालन किया जाता हैं मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में व्रती महिला चाकू से सब्जी आदि काट नहीं सकती हैं।
जानिए पूजन की विधि—
इस दिन दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाई जाती हैं फिर रोली, चावल और दूध से पूजन किया जाता हैं इसके बाद कलश में जल भरकर माताएं अहोई अष्टमी कथा का श्रावण करती हैं अहोई माता की पूरी और किसी मिठाई का भी भोग लगाया जाता हैं इसके बाद रात में तारे को जल देकर संतान की लंबी आयु आर सुखदायी जीवन की कामना करने के बाद अन्न ग्रहण करती हैं इस व्रत में सास या घर की बुजुर्ग महिला को भी उपहार के तौर पर वस्त्र दिए जाते हैं।