ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में पूजा पाठ के साथ साथ व्रत त्योहारों को भी विशेष महत्व दिया गया है। ऐसे में एक त्योहार जाता है तो दूसरा व्रत आ जाता है। अभी वैशाख का पावन महीना चल रहा है और इस महीने कई सारे व्रत त्योहार पड़ते है। जिसमें से एक हरूै परशुराम जयंती का पर्व। धार्मिक पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जयंती का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

इस बार परशुराम जयंती 22 अप्रैल को पड़ रहा है। इसी पवित्र दिन पर जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु ने परशुराम के रूप अवतरित हुए थे। यही कारण है कि इस दिन परशुराम जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन हर कोई भगवान विष्णु के इस रूप की पूजा करता है और कई जगहों पर तो शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान परशुराम की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है और दुख परेशानियों का नाश हो जाता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भगवान परशुराम की पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।

भगवान परशुराम की पूजा विधि—
आपको बता दें कि परशुराम जयंती के शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु को प्रणाम करें इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर साफ वस्त्रों को धारण करें। फिर भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें और परशुराम जी की पूजा आराधना विधिवत आरंभ करें।

इस दिन भगवान को पीले रंग के पुष्प और पीले रंग की मिठाई का भोग चढ़ाएं। सभी पूजन सामग्री अर्पित करते हुए प्रभु की पूरे परिवार के साथ आरती करें। अंत में भगवान से अपनी प्रार्थना कहें। वही जो लोग इस दिन उपवास रख रहे है वे पूरे दिन निराहार रहें और संध्याकाल में आरती अर्चना जरूर करें इसके बाद फलाहार ग्रहण करें। इस व्रत का पारण अगले दिन पूजा पाठ के बाद करना उचित होता है।


