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Vijaya ekadashi vrat katha: विजया एकादशी के दिन इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने से इच्छाएं होती है पूरी

हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता हैं यह एकादशी महाशिवरत्रि से दो दिन पहले मनाई जाती हैं इस साल विजया एकादशी का व्रत 9 मार्च को रखा जाएगा। मान्यताओं के मुताबिक एकादशी का व्रत रखने से भगवान श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद जातक को
Vijaya ekadashi vrat katha: विजया एकादशी के दिन इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने से इच्छाएं होती है पूरी

हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता हैं यह एकादशी महाशिवरत्रि से दो दिन पहले मनाई जाती हैं इस साल विजया एकादशी का व्रत 9 मार्च को रखा जाएगा। Vijaya ekadashi vrat katha: विजया एकादशी के दिन इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने से इच्छाएं होती है पूरीमान्यताओं के मुताबिक एकादशी का व्रत रखने से भगवान श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद जातक को प्राप्त होता हैं और कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती हैं पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस योग में व्रत करने से पूजा का तीन गुना अधिक फल प्राप्त होता हैं ऐसा कहा जाता है कि लंका विजय के लिए प्रभु श्रीराम ने भी इस दिन समुद्र किनारे पूजा की थी। तो आज हम आपको इससे जुड़ी व्रत कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।Vijaya ekadashi vrat katha: विजया एकादशी के दिन इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने से इच्छाएं होती है पूरी

यहां पढ़ें विजया एकादशी व्रत कथा—
एक समय की बात है जब द्वापर युग में धर्मराज युद्धिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। उन्होंने अपनी शंका भगवान श्रीकृष्ण के सामने प्रकट की। भगवान कृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व व कथा के बारे में बताते हुए कहा कि हे कुंते कि ससे पहले नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से फाल्गुन कृष्ण एकादशी व्रत की कथा व महत्व के बारे में जाना था, उनके बाद इसके बारे में जानने वाले तुम्हीं हो, बात त्रेता युग की है Vijaya ekadashi vrat katha: विजया एकादशी के दिन इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने से इच्छाएं होती है पूरीजब भगवान श्रीराम ने माता सीता के हरण के बाद रावण से युद्ध करने ​लिए सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने मार्ग रोक लिया। समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे जो वानर सेना को हानि पहुंचा सकते थे। चूंकि श्रीराम मानव रूप में थे इसलिए वह इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे।Vijaya ekadashi vrat katha: विजया एकादशी के दिन इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने से इच्छाएं होती है पूरी उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय जानना चाहा तो लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु वैसे तो आप सर्वज्ञ हैं फिर भी अगर आप जानना ही चाहते हैं तो मुझे भी स्वयं इसका कोई उपाय नहीं सुझ रहा है मगर यंहा से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं, उनके पास इसका कुछ न कुछ उपाय अवश्य ही हमें मिल सकता है। फिर क्या था श्रीराम उनके पास पहुंच गए। Vijaya ekadashi vrat katha: विजया एकादशी के दिन इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने से इच्छाएं होती है पूरीउन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या उनके सामने रखी। तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अगर आप समस्त सेना सहित व्रत रखें तो आप समुद्र पार करने में तो कामयाब होंगे ही साथ ही इस व्रत के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगे। समय आने पर मुनि वकदालभ्य द्वारा बतायी गई विधिनुसार भगवान श्रीराम सहित पूरी सेना ने एकादशी का व्रत रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण को परास्त किया।Vijaya ekadashi vrat katha: विजया एकादशी के दिन इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने से इच्छाएं होती है पूरी

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