ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का स्वरूप माना जाता हैं महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र भगवान दत्तात्रेय तीन मुखधारी हैं जिनके तीनों मुख त्रिदेवों के प्रतीक माने जाते हैं हिंदू धर्म की संयास परम्परा में भगवान दत्तात्रेय का विशिष्ट स्थान हैं इन्हें श्री विष्णु का अंशावतार माना जाता हैं

दत्तात्रेय भगवान की जयंती मार्गशीर्ष माहस की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती हैं इस साल दत्तात्रेय जयंती 18 दिसंबर दिन शनिवार यानी कल मनाई जाएगी। इस दिन भगवान दत्तात्रेय का पूजन और मंत्र जाप करने से कर्म बंधन से मुक्ति मिलती हैं सभी तरह के रोग दोष और बाधाओं का भी नाश होता हैं तो आज हम आपको दत्तात्रेय जयंती की पूजन विधि और मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

दत्तात्रेय जयंती का पूजन मुहूर्त—
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष या अगहन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था। इनका पूजन प्रदोष काल में करने का विधान हैं पंचांग गणना के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तिथि 18 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 24 मिनट पर आरंभ हो रही है जो कि 19 दिसंबर को 10 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। इस आधार पर दत्तात्रेय जयंती कल यानी 18 दिसंबर दिन शनिवार को मनाई जाएगी। भगवान दत्तात्रेय के पूजन के लिए सबसे शुभ समय प्रदोष काल है।

जानिए पूजन की विधि—
पौराणिक कथा के अनुसार माता अनुसूया के सतीत्व परीक्षण के वरदान स्वरूप त्रिदेवों के अंश दत्तात्रेय को पुत्र के रूप में जन्म दिया। इस दिन भगवान दत्तात्रेय के पूजन के लिए सफेद रंग के आसन पर उनके चित्र की स्थापना करें। सबसे पहले गंगा जल से अभिषेक कर, धूप, दीपक, फल, पुष्प आदि अर्पित करें भगवान दत्तात्रेय के पूजन में इनके मंत्रों का जाप करना चाहिए इस दिन अवधूत गीता और जीवनमुक्ता गीता पढ़ने का विधान हैं ऐसा करने से आपके जीवन के सभी दुख दूर होते हैं।


