ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को विशेष माना गया हैं मान्यताओं के अनुसार जो लोग हर एकादशी का व्रत नियम और पूरी निष्ठा भाव के साथ करते हैं उन्हें इस संसार में सुखों की प्राप्ति होती हैं और वह बैकुंठ धाम को प्राप्त करता हैं एकादशी के समान पापनाशक अन्य कोई व्रत नहीं हैं जो लोग एकादशी व्रत करके रात्रि जागरण कर श्री विष्णु का स्मरण करते हैं उन्हें श्री विष्णु की विशेष अनुकंपा मिलती हैं कलयुग के समय में श्री विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए एकादशी व्रत श्रेष्ठ माना गया हैं, तो आज हम आपको इस एकादशी के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

हर मास में दो एकादशी तिथि आती हैं इस तरह से एक साल में 24 एकादशी तिथि होती हैं अधिकमास या मलमास पड़ने पर इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती हैं इस बार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी का व्रत 30 नवंबर दिन मंगलवार को किया जाएगा। एकादशी व्रत करने से पहले इसके नियम को जानना बेहद जरूरी हैं तभी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता हैं।

एकादशी व्रत के नियम—
एकादशी व्रत के नियम दशमी तिथि से शुरू हो जाते हैं इसलिए इस दिन भी किसी प्रकार से तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले ही भोजन कर लेना चाहिए। ताकि अगले दिन आपके पेट में अन्न का अंश न रहे। एकादशी तिथि को किसी भी तरह से अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए जो लोग एकदशी का व्रत नहीं करते हैं उन्हें भी इस दिन खासतौर पर चावलों का सेवन नहीं करना चाहिए।

एकादशी तिथि कोपूरे दिन व्रत रखकर रात्रि जागरण करते हुए श्री विष्णु का स्मरण करना चाहिए। एकादशी व्रत को कभी हरिवासर समाप्त होने से पहले पारण नहीं करना चाहिए। इसी तरह से द्वादशी समाप्त होने से पहले ही एकादशी व्रत का पारण कर लेना चाहिए। द्वादशी समाप्त होने के बाद व्रत का पारण करना पाप के समान माना जाता हैं अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो रही हो तो इस स्थिति में सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जा सकता हैं।


