ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में भोलेनाथ की साधना को अत्यंत कल्याणकारी माना गया हैं यही कारण है कि भगवान शिव के साधक उनकी और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए विशेष रूप से प्रदोष व्रत करते हैं इस साल का आखिरी प्रदोष व्रत 31 दिसंबर 2021 दिन शुक्रवार को पड़ने जा रहा हैं एक माह में दो बार कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की त्रयोदशी को पड़ने वाला यह व्रत कई तरह के दुखों को दूर करके सुख समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करने वाला हैं। तो आज हम आपको अपने इस लेख में प्रदोष व्रत के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

किसी भी दिन के सूर्यास्त और रात्रि के संधिकाल को प्रदोष कहा जाता हैं यही कारण है कि त्रयोदशी के दिन पड़ने वाले इस व्रत में प्रदोष काल में ही विशेष रूप से शिव की साधना की जाती हैं मान्यता है कि प्रदोष काल में पूजा, जप, साधना आदि करने पर शिव शीध्र ही प्रसन्न होकर अपने साधक पर कृपा बरसाते हैं।

प्रदोष व्रत के दिन शिव के साधक को स्नान ध्यान करने के बाद अपने हाथ में कुछ धन, पुष्प, आदि रखकर विधि विधान से प्रदोष व्रत करने का संकल्प करना चाहिए दिन में शिव के मंत्र का जाप आदि करते हुए सूर्यास्त के वक्त एक बार फिर स्नान करना चाहिए स्नान के बाद भगवान शिव का षोडशोपचार तरीके से पूजन और प्रदोष व्रत की कथा सुनना या पढ़ना चाहिए पूजा के बाद शिव का प्रसाद दूसरों को बांटने के बाद स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए।
भगवान शिव की कृपा दिलाने वाले प्रदोष व्रत का दिन के हिसाब से फल मिलता हैं जैसे साल का आखिरी प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। शुक्र प्रदोष व्रत को करने पर साधक को सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं उसे जीवन में किसी चीज का अभाव नहीं रहता हैं और उसके परिवार में हमेशा सुख और समृद्धि कायम रहती हैं।


